नई दिल्ली। अडानी-हिंडनबर्ग मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया है। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सेबी की जांच और एक्सपर्ट कमिटी के सदस्यों की निष्पक्षता पर उठाए गए सवालों को नकार दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसा कोई तथ्य नहीं है जिससे कि सेबी पर संदेह किया जाए। कोर्ट ने कहा कि हम बिना ठोस आधार के सेबी पर अविश्वास नहीं कर सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने पक्षकारों के वकील से कहा है कि वह 27 सितंबर तक मामले में लिखित दलील कोर्ट के सामने पेश कर दें।
सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि कुछ लोग ऐसे हैं जो बाहरी संस्थानों को रिपोर्ट देते हैं और रिपोर्ट छपवाते हैं। फिर उन्हीं के आधार पर कोर्ट में गुहार लगाते हैं। सेबी ने अपनी जांच पूरी कर ली है और 22 मामलों की जांच हो गई है।
इस दौरान प्रशांत भूषण ने कहा कि सेबी ने सही तरह से जांच नहीं की है। पैसे को गलत तरीके से दुबई और मॉरिशस भेजा गया और अडाणी ग्रुप के शेयर में उसे निवेश किया गया।
आरोपों को नकारा
चीफ जस्टिस ने सेबी से कहा है कि वह शॉर्ट सेलिंग के कारण बाजार में जो अस्थिरता होती है उसे सही करने के लिए कदम उठाए। कोर्ट ने याचिकाकर्ता के वकील प्रशांत भूषण के उस आरोप को नकार दिया जिसमें एक्सपर्ट कमिटी के सदस्य के निष्पक्षता पर सवाल उठाया गया था।
यह है मामला
अमेरिका की शॉर्ट सेलिंग कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च ने 24 जनवरी को अडानी ग्रुप के खिलाफ एक रिपोर्ट जारी की थी। इसके बाद अडानी ग्रुप के शेयरों में भारी गिरावट आई थी। 2 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने मामले में सेबी को जांच के लिए कहा था। साथ ही रेग्युलेटरी ढांचे की समीक्षा के लिए एक एक्सपर्ट कमिटी का गठन किया था।