‘कुल मिलाकर जीरो’, अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ ने ‘ट्रंप टैरिफ’ को दी रेटिंग

वाशिंगटन। अमेरिकी राष्ट्रपति ने दुनिया के तमाम देशों पर भारी टैरिफ लगाया है। कई बड़े अर्थशास्त्रियों ने ट्रंप के इस फैसले की आलोचना की है। हालांकि, राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप का दावा है कि इससे अमेरिकी अर्थव्यवस्था सुधरेगी।

दरअसल, अमेरिकी विनिर्माण को बढ़ावा देने और व्यापार संतुलन में सुधार लाने के उद्देश्य से भारत और ब्राजील जैसे देशों पर ट्रंप ने 50% तक के उच्च टैरिफ लगाए हैं। इस बीच अमेरिकी राष्ट्रपति के टैरिफ वाले फैसले की हार्वर्ड अर्थशास्त्र की प्रोफेसर और IMF की पूर्व मुख्य अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ ने आलोचना की है।

टैरिफ से नहीं दिखा कोई फायदा’

गीता गोपीनाथ ने हाल में ही अमेरिकी राष्ट्रपति की ओर से लगाए गए टैरिफ का मूल्यांकन किया। उन्होंने इसके निष्कर्ष में पाया कि इससे कोई फायदा नहीं हो रहा है। उन्होंने दावा किया कि टैरिफ लागू होने के छह महीने बाद भी, इन टैरिफ से अमेरिकी अर्थव्यवस्था को कोई खास फायदा नहीं हुआ है।

‘टैरिफ लगाने से हमें हासिल क्या हुआ?’

X पर एक पोस्ट में गोपीनाथ ने लिखा कि Liberation Day के दिन टैरिफ लागू किया गया। इस टैरिफ के लगे हुए 6 महीने हो गए, लेकिन अमेरिकी टैरिफ से हासिल क्या हुआ?

1. सरकार के लिए राजस्व बढ़ाएं? हां। काफी हद तक। लगभग पूरी तरह से अमेरिकी कंपनियों द्वारा वहन किया गया और कुछ अमेरिकी उपभोक्ताओं को दिया गया। इस प्रकार, इसने अमेरिकी कंपनियों/उपभोक्ताओं पर कर की तरह काम किया है।

2. मुद्रास्फीति बढ़ाएं? हां, कुल मिलाकर थोड़ी मात्रा में। घरेलू उपकरणों, फर्नीचर, कॉफी के लिए काफी हद तक।

3. व्यापार संतुलन में सुधार? अभी तक इसका कोई संकेत नहीं है।

4. अमेरिकी विनिर्माण में सुधार? अभी तक इसका कोई संकेत नहीं है।

अपनी पोस्ट में उन्होंने दावा किया कि कुल मिलाकर इस टैरिफ के फैसले के बाद का स्कोरकार्ड जीरो है।

ट्रंप के फैसले की आलोचना

उल्लेखनीय है कि कई विशेषज्ञों ने अमेरिका की ओर से लगाए गए टैरिफ की आलोचना की है। इस कड़ी में गत 4 अक्तूबर को NU के प्रोफेसर और चीन अध्ययन विशेषज्ञ श्रीकांत कोंडापल्ली ने कहा कि भारतीय वस्तुओं पर टैरिफ लगाने का ट्रंप का फैसला संभवतः अहंकारी कारणों से प्रेरित था।

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