मुंबई। भारत में प्राईवेट सेक्टर का सबसे बड़ा बैंक, एचडीएफसी बैंक शुक्रवार, 9 दिसंबर को पूरे देश में रक्तदान शिविर का आयोजन करेगा। यह वार्षिक अभियान एचडीएफसी बैंक के फ्लैगशिप सीएसआर कार्यक्रम ‘परिवर्तन’ के तहत इसका अग्रणी हैल्थकेयर अभियान है। अपने 14वें वर्ष में रक्तदान शिविर भारत के 1150 शहरों में 5500 से ज्यादा केंद्रों पर आयोजित किए जाएंगे। इनमें बड़े कॉर्पोरेट, कॉलेज और बैंक शाखाएं शामिल होंगी।
जो लोग रक्तदान करना चाहते हैं, वो अपना नजदीकी केंद्र बैंक की वेबसाईट के निम्नलिखित लिंक द्वारा देख सकते हैं
इस साल रक्तदान शिविर में 4.5 लाख से ज्यादा रक्तदाताओं के भाग लेने की उम्मीद है। टेक्निकल और फंक्शनल सहायता के लिए इन शहरों में बैंक ने स्थानीय अस्पतालों, ब्लड बैंक्स और कॉलेजेस के साथ गठबंधन किया है। देश में 1200 से ज्यादा कॉलेजों को रक्तदान केंद्र बनाया गया है।
भावेश ज़वेरी, ग्रुप हेड – ऑपरेशंस, एचडीएफसी बैंक ने कहा, ‘‘यह ऑल इंडिया ब्लड डोनेशन अभियान का 14 वां साल है। यह अभियान 2007 से चल रहा है, और हमें इस पर गर्व है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मेडिकल इलाज रक्तदाता द्वारा खून की स्थिर आपूर्ति पर आश्रित होता है, क्योंकि अस्पताल में आने वाले हर सात में से एक मरीज के लिए खून की जरूरत पड़ती है।
मेडिकल व्यवसायियों ने इस बात की पुष्टि कर दी है कि यदि कोविड और अन्य सामान्य सावधानियों का पालन हो, तो रक्तदान करना सुरक्षित होता है। चलिए हम शुक्रवार, 9 दिसंबर को अपने नजदीकी रक्तदान शिविर में रक्तदान करके अपने आसपास के समुदायों के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लेकर आएं।’’
आशिमा भट्ट, ग्रुप हेड – बिज़नेस फाईनेंस एवं स्ट्रेट्जी, प्रशासन, इन्फ्रास्ट्रक्चर, ईएसजी एवं सीएसआर ने कहा, ‘‘एचडीएफसी परिवर्तन समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए प्रतिबद्ध है। ऑल इंडिया ब्लड डोनेशन अभियान इस दिशा में हमारा महत्वपूर्ण प्रयास है और इसका उद्देश्य रक्तदान के महत्व के बारे में जागरुकता बढ़ाना है।
खून की एक यूनिट से 3 जिंदगियां बचाई जा सकती हैं। रक्तदान से लाखों जिंदगियां बच सकती हैं, और यह संदेशे आगेले जाने का दायित्व अगली पीढ़ी पर है। मैं इतने सालों से इस अभियान से जुड़े सभी लोगों का आभार व्यक्त करती हूँ, जिन्होंने इस अभियान को सफल बनाया है।’’
इस अभियान को गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स द्वारा 2013 में ‘सबसे बड़े (एक दिन में अनेक स्थानों पर) रक्तदान अभियान’ के रूप में पहचान मिली थी। इस अभियान की शुरुआत साल 2007 में केवल 88 केंद्रों और 4000 डोनर्स के साथ हुई थी।