आज है 2023 की पहली पुत्रदा एकादशी, जानें शुभ मुहूर्त व महत्व

नई दिल्ली। साल 2023 पहली एकादशी आज 2 जनवरी 2023 दिन सोमवार को है। इस एकादशी को पुत्रदा एकादशी के नाम से जाना जाता है। यह एकादशी हर वर्ष पौष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को आती है। शास्त्रों व पुराणों में इस एकादशी के व्रत को बहुत ही फलदायी माना गया है।

मान्यता है कि इस व्रत में भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करने से सुख-समृद्धि आती है और संतान की प्राप्ति होती है। पद्मपुराण में बताया गया है कि इस एकादशी के पुण्यफल से भगवान विष्णु के लोक का दरवाजा खुला रहता है और पुण्यात्माओं को बैकुंठ में प्रवेश मिलता है।

पुत्रदा एकादशी का महत्व

पुत्रदा एकादशी साल में दो बार आती है, पहली एकादशी श्रावण मास में तो दूसरी पौष मास में आती हैं। दोनों ही एकादशी का समान रूप से महत्व है। इस एकादशी का व्रत करने से संतान सुख की प्राप्ति होती है। साथ ही संतान की तरक्की और उसके अच्छे स्वास्थ्य को सुनिश्चित करने के लिए भी इस एकादशी का व्रत किया जाता है।

इस एकादशी के दिन शंख, चक्र और गदाधारी भगवान विष्णु के स्वरूप की पूजा करने और श्रीमद् भगवद्गीता का पाठ करने से जन्मों के पाप से मुक्ति मिलती है और शुभ फलों की प्राप्ति होती हैं। पुराणों में बताया गया है कि इस एकदाशी का उपवास रखने और दान करने से हजारों वर्षों की तपस्या का फल मिलता है।

पुत्रदा एकादशी पर शुभ योग

पुत्रदा एकादशी के दिन कई शुभ योग भी बन रहे हैं। इस तिथि पर रवि नामक योग बन रहा है, जिससे इस एकादशी का महत्व और भी बढ़ जाता है। मान्यता है कि इस शुभ योग में भगवान विष्णु के साथ माता लक्ष्मी की पूजा करने से विशेष फलों की प्राप्ति होती है।

इस एकादशी पर कुछ समय के लिए भद्रा का भी साया रहेगा, जो सुबह 07 बजकर 43 मिनट से 08 बजकर 23 मिनट तक रहेगा। वहीं रवि योग सुबह 07 बजकर 14 मिनट से दोपहर 02 बजकर 24 मिनट तक रहेगा।

पुत्रदा एकादशी शुभ मुहूर्त

पुत्रदा एकादशी व्रत 2 जनवरी 2023 दिन सोमवार

एकादशी तिथि प्रारंभ: 1 जनवरी, शाम 07 बजकर 11 मिनट से

एकादशी तिथि समाप्त: 2 जनवरी, शाम 08 बजकर 24 मिनट तक, इसके बाद द्वादशी तिथि का आरंभ

व्रत का पारण: 3 जनवरी सुबह 07:05 बजे से प्रातः 09:09 तक

पुत्रदा एकादशी पूजा विधि

पुत्रदा एकादशी तिथि पर ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि व ध्यान से निवृत होकर भगवान विष्णु के सामने हाथ में कुछ अक्षत और फूल लेकर व्रत का संकल्प लेना चाहिए।

इसके बाद घर के मंदिर में पूजा-अर्चना करें, फिर भगवान विष्णु के शंख, चक्र और गदाधारी धारण किए हुए चतुर्भुज स्वरूप की तस्वीर या मूर्ति की पूजा करनी चाहिए। सबसे पहले उनका पंचामृत से अभिषेक करें। इसके बाद विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना शुरू करें।

पूजा में रोली, अक्षत, सिंदूर, तुलसी के पत्ते, फूल, धूप, दीप आदि अर्पित करें और फिर सफेद रंग की मिष्ठान या फल का भोग लगाएं। इसके बाद देसी घी का दीपक जलाएं और फिर एकादशी तिथि की कथा सुनें।

कथा सुनने के बाद विष्णु सहस्रनाम और नारायण कवच का पाठ करना उत्तम रहेगा। इसके बाद भगवान विष्णु की आरती उतारें और एक माला भगवान विष्णु के बीज मंत्र का जप भी करें।

एकादशी तिथि पर पूरे दिन फलहार रखें और रात के समय परिवार के साथ जागरण भी करें। अगले दिन पूजा करने के बाद दान-पुण्य करें, फिर पारण कर सकते हैं।

Back to top button