ISI के लिए जासूसी करने वालों को उम्रकैद, कोर्ट ने कहा- ऐसे लोग जाएं पाकिस्तान

अहमदाबाद। पाकिस्तान खुफिया एजेंसी ISI (Inter-Services Intelligence) के लिए जासूसी करने वाले तीन आरोपियों को अहमदाबाद की सत्र अदालत ने उम्रकैद की सजा सुनवाई है। इनमें दो युवक अहमदाबाद और एक जोधपुर का रहने वाला है। अदालत ने तीनों आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाते हुए कड़ी टिप्पणियां कीं।

अतरिक्त प्रधान न्यायधीश अंबालाल पटेल ने कहा कि इन्हें देश के 140 करोड़ लोगों की सुरक्षा की कोई चिंता नहीं है। इनमें पाकिस्तान के प्रति प्रेम दिखता है। कोर्ट ने यहा भी कहा कि पाकिस्तान के लिए जासूसी करने वालों को अपनी मर्जी से देश छोड़ देना चाहिए।

सैन्य ठिकानों की जासूसी

गौरतलब है कि अहमदाबाद क्राइम ब्रांच ने 2012 में भारतीय सैन्य ठिकानों से जुड़ी जानकारी आईएसआई (ISI) के एजेंटों को भेजने के आरोप में सिराजुद्दीन उर्फ करामत अली फकीर (24), मोहम्मद आयूब शेख (23) और नौशाद अली को अरेस्ट किया था।

इसके बाद पुलिस ने इन तीनों के खिलाफ आईपीसी की धारा 121(सरकार के खिलाफ युद्ध का ऐलान), 121ए (आपराधिक षडयंत्र),आईटी एक्ट की घारा 66 एफ और ऑफिशयल सीक्रेट एक्ट की धाराओं में केस दर्ज किया था। इन पर आरोप था कि अहमदाबाद और गांधीनगर में मौजूद सैन्य अड्‌डों से जुड़ी खुफिया जानकारी आईएसआई को भेजी।

क्राइम ब्रांच ने सिराजुद्दीन और आयूब को 14 अक्तूबर, 2012 को अरेस्ट किया था। इसके बाद जोधपुर निवासी नौशाद को जोधपुर सैन्य छावनी और बीएसएफ से जुड़ी सूचनाएं देने के आरोप में 2 नवंबर को अरेस्ट किया था। इसमें मामले में जामनगर से एक संदिग्ध आईएसआई एजेंट को भी पकड़ा गया था। जो ट्रायल के दौरान सबूतों के अभाव में बरी हो गया था। बाद में वह सरकारी गवाह बना गया था।

न्यायधीश अंबालाल पटेल ने अपने फैसले में कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा ये सभी भारत में रहकर नौकरी-धंधा करते हैं, लेकिन भारत के प्रति या देश प्रेम नहीं है। तीनों अभियुक्तों में पाकिस्तान के प्रति प्रेम झलकता है। इन सभी अभियुक्तों ने देश के लिए खतरा पैदा किया। खुद और पाकिस्तान के हित की सोची। सरकार को भारत में रहकर पाकिस्तान के लिए जासूसी करने वालों लोगों की पहचान करके पाकिस्तान भेज देना चाहिए या फिर ऐसे लोगों को अपनी मर्जी से भारत छोड़ देना चाहिए।

फांसी की मांग ठुकराई

मामले में कोर्ट ने तीनों आरोपियों को दोषी मानते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई। न्यायधीश ने अभियोजन की उस मांग को खारिज कर दिया। जिसमें तीनों आरोपियों के लिए फांसी की सजा की मांग की गई थी। जस्टिस पटेल ने कहा कि यह मामला रेयररेस्ट ऑफ द रेयर की श्रेणी में नहीं आता है। सैन्य ठिकानों से जुड़ी संवेदनशील जानकारी आईएसआई को भेजने पर इन्हें बदले में साऊदी अरब से रुपये मिलते थे।

OSA के तहत पहली सजा

इस मामले में सरकारी वकील भरत पटणी ने बताया कि गुजरात में ऑफिशियल सीक्रेट एक्ट (Official Secrets Act) के तरह पहली बार सजा दी गई है। पटणी ने बताय कि इस एक्ट के तहत दोषियों को 14 साल की सजा हुई है। हालांकि अलग-अलग धाराओं में मिली सजा एक साथ लागू होगी। पटणी ने बताया कि सिराजुद्दीन और आयूब अहमदाबाद के जमालपुर के रहने वाले हैं जबकि नौशाद राजस्थान के जोधपुर का निवासी है।

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