नई दिल्ली। भाजपा में मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कमलनाथ के प्रवेश पर पेच फंस गया है। प्रवेश से पहले सिख विरोधी दंगों में उनकी भूमिका पर उठ रहे सवाल और इसका पंजाब की सिख बिरादरी में नकारात्मक संदेश जाने के प्रति पार्टी सतर्क है। पार्टी नेतृत्व चाहता है कि कमलनाथ के सांसद पुत्र नकुल नाथ समर्थक विधायकों के साथ भाजपा में शामिल हों। हालांकि, इस प्रस्ताव पर कमलनाथ मन नहीं बना पा रहे।
दरअसल, केंद्रीय नेतृत्व की हरी झंडी के बाद ही कमलनाथ के भाजपा में प्रवेश की पटकथा तैयार की गई थी। तय पटकथा के मुताबिक उन्हें रविवार को ही अपने सांसद पुत्र और समर्थक विधायकों के साथ भाजपा में शामिल होना था। हालांकि, इस आशय की रिपोर्ट सामने आने के बाद पार्टी के सिख बिरादरी के नेताओं ने आपत्ति दर्ज कराई। इनका कहना था कि कमलनाथ को भाजपा में शामिल करने से पंजाब में इसका बेहद नकारात्मक संदेश जाएगा। ब्यूरो
नए प्रस्ताव पर जवाब का इंतजार
सूत्रों का कहना है कि नई परिस्थिति में कमलनाथ को अपने सांसद पुत्र और समर्थक विधायकों को भाजपा में शामिल कराने का प्रस्ताव दिया गया है। हालांकि, इस प्रस्ताव पर उनकी ओर से कोई जवाब नहीं आया है। हालांकि, कमलनाथ के भाजपा में प्रवेश के मामले में बातचीत बंद नहीं हुई है।
सिख विरोधी दंगों में भूमिका पर उठते रहे हैं सवाल
1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद राजधानी में हुए सिख विरोधी दंगे में जिन कांग्रेस नेताओं की भूमिका पर सवाल उठते रहे हैं, उनमें कमलनाथ प्रमुख थे। सिख संगठनों ने सज्जन कुमार, जगदीश टाइटलर के साथ कमलनाथ के खिलाफ लगातार मोर्चा खोला था।
भाजपा के लिए इसलिए कमलनाथ अहम
कमलनाथ का छिंदवाड़ा में मोदी लहर के बावजूद जलवा कायम है। पार्टी बीते विधानसभा चुनाव में इस संसदीय क्षेत्र में शामिल एक भी विधानसभा सीट नहीं जीत पाई। इसके अलावा पार्टी 2014 और 2019 में भी इस सीट को हासिल नहीं कर पाई। भाजपा कांग्रेस के एक अन्य दिग्गज नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया को पहले ही शामिल कर चुकी है, जिनकी ग्वालियर संभाग में बेहतर पकड़ रही है।