CAA पर बदले अमेरिका के सुर, US राजदूत ने बताया निगरानी का मतलब

वाशिंगटन। भारत की सख्ती के बाद नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA)पर ज्ञान देने वाले अमेरिका के सुर अब बदले नजर आ रहे हैं। भारत में अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी ने कहा है कि कभी-कभी नई दिल्ली और अमेरिका कुछ बातों पर सहमत या असहमत हो सकते हैं और इसे नकारात्मक रूप में नहीं देखा जाना चाहिए।

हालांकि, अमेरिकी राजदूत ने कहा कि धार्मिक स्वतंत्रता किसी भी लोकतंत्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसके पहले अमेरिकी विदेश विभाग ने कहा था कि वह भारत में CAA लागू किए जाने को लेकर चिंतित है और इस पर बारीकी से नजर रख रहा है। अमेरिका के बयान पर भारत ने कड़ी आपत्ति जताई थी।

गार्सेटी ने कहा, यह कुछ ऐसा है जिसकी हम निगरानी करते हैं और मैंने ऐसा कहा था। मैंने व्यापक परिप्रेक्ष्य में कहा था कि धार्मिक स्वतंत्रता किसी भी लोकतंत्र का अहम हिस्सा है। अल्पसंख्यकों की रक्षा करना महत्वपूर्ण है। इसे नकारात्मकता से लिए जाने की जरूरत नहीं है।

अमेरिकी राजदूत ने आगे कहा, “मुझे लगता है कि क्या हो रहा है, इसकी निगरानी करना ही हमारा काम है। एक राजदूत और विदेश विभाग का ये काम है। विदेश मंत्रालय और राजदूत का काम निगरानी करना और रिपोर्ट करना है। हमने बस यही कहा है।”

अमेरिका में भी कमियां

गार्सेटी ने हर देश के विशिष्ट इतिहास का सम्मान करने के महत्व पर जोर दिया और स्वीकार किया कि अमेरिका में भी कमियां हैं और वह आलोचना के लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा, हमारे बीच (भारत-अमेरिका) के बीच गहरी दोस्ती है। कभी-कभी हम चीजों पर असहमत होते हुए और अपना काम जारी रख सकते हैं और हमें इसे बिना सोचे-समझे नहीं लेना चाहिए। इसे व्यक्तिगत लेने की जरूरत नहीं है। मैं अमेरिका के बारे में खुलकर कहता हूं, कि हमारे पास कई खामियां हैं। हम आलोचना के लिए सदैव खुले हैं। हम इसे सुनना चाहते हैं।

उन्होंने आगे कहा, मुझे लगता है कि हम सभी के लिए सबसे महत्पूर्ण बात ऐसा आम अंतरराष्ट्रीय कानून ढूढ़ना है जिसका हम सभी हिस्सा बन सकें। समान रूप से लागू करने का प्रयास करें और प्रत्येक देश के विशिष्ट इतिहास का सम्मान करेंगे। इससे भी जरूरी कि आप इसके बारे में जानें, क्योंकि ऐसा होने पर आप चीजों पर टिप्पणी करने के लिए बेहतर स्थिति में होंगे।

भारत ने जताई थी आपत्ति

बीते महीने CAA पर अमेरिका की टिप्पणी के बाद भारत ने इस पर आपत्ति जताते हुए टिप्पणियों को ‘अनुचित और गलत सूचना के आधार पर’ करार दिया था। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा था कि “भारत की बहुलवादी परंपराओं की सीमित समझ” रखने वालों को भारत के ‘आंतरिक मामलों’ पर टिप्पणी नहीं करनी चाहिए।” भारत के केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 11 मार्च को देश में सीएए लागू करने के लिए अधिसूचना जारी की थी।

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