नई दिल्ली। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के कथित शराब घोटाले में जेल चले जाने के बाद आम आदमी पार्टी (आप) में बगावत का बिगुल फूंगने वाले राजकुमार आनंद को लेकर अटकलों का दौर जारी है। ‘आप’ ने आनंद के इस्तीफे के लिए ईडी के दबाव का दावा करते हुए कहा कि वह भाजपा में शामिल हो सकते हैं।
केजरीवाल सरकार पर दलितों को दरकिनार करने और भ्रष्टाचार का आरोप लगाकर मंत्री पद छोड़ने वाले राजकुमार ने भाजपा में जाने की अटकलों पर खुद जवाब दिया है। उन्होंने किसी तरह के दबाव-धमकी को खारिज करते हुए कहा है कि वह भाजपा में शामिल नहीं होंगे। आनंद ने कहा, ‘किसी ने मुझे धमकी नहीं दी है। आम आदमी पार्टी की तरफ से कहानी बताई जा रही है।
उन्होंने कहा मैंने किसी राजनीतिक दल में शामिल होने की योजना नहीं बनाई है। मैंने इस्तीफा इसलिए दिया क्योंकि मैं मंत्री होते हुए भी अपने समुदाय के लिए काम नहीं कर सकता था। मेरे समाज (दलित) के साथ अच्छा व्यवहार नहीं किया जा रहा था। नेतृत्व में कोई प्रतिनिधित्व नहीं दिया गया था। मैंने इस बारे में पार्टी नेताओं के साथ कई बात बातचीत की थी।’
संजय सिंह की ओर से यह दावा किए जाने पर कि आनंद को ईडी ने पूछताछ के लिए समन भेजा था, पूर्व मंत्री ने कहा कि उन्हें ऐसा कोई नोटिस नहीं मिला है। उन्होंने कहा, ‘आम आदमी पार्टी की तरफ से झूठ फैलाया जा रहा है।’
नवंबर में पड़े ईडी के छापे को लेकर आनंद ने कहा कि यह शराब घोटाले से जुड़ा है, जिसमें मुख्ममंत्री अरविंद केजरीवाल और उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को गिरफ्तार किया गया। राजकुमार आनंद ने कहा, ‘वह शराब घोटाले से जुड़े केस में मेरे घर आए थे। वे मनी ट्रेल की तलाश कर रहे थे और जब उन्हें पता चला कि कुछ नहीं है तो वे चले गए।’
नवंबर में ऐक्शन के बाद ईडी प्रवक्ता ने कहा था कि डीआरआई की तरफ से दर्ज केस को लेकर जांच शुरू की गई है। बताया गया था कि आनंद पर हवाला के जरिए पेमेंट और 7 करोड़ की कस्टम ड्यूटी चोरी का आरोप है। आनंद से जब इसको लेकर पूछा गया तो उन्होंने कहा, ‘हां, 2005 का एक केस है।
आरोप है कि मेरी कंपनी ने 7 करोड़ रुपए कस्टम ड्यूटी नहीं दी। मामला अदालत में है और मैंने कहा है कि यदि मुझ पर देनदारी बनती है तो मैं दूंगा। ईडी जब मेरे घर आई थी तो शराब घोटाले से जुड़े सवाल किए गए थे।’