दिल्ली: सख्ती के बाद मोहल्ला क्लीनिकों के मरीजों और टेस्ट में भारी गिरावट, उठे कई सवाल

नई दिल्ली। दिल्ली के मोहल्ला क्लिनिकों में लैब टेस्ट के नाम पर चल रहे कथित फर्जीवाड़े की सीबीआई जांच की सिफारिश होने और फर्जीवाड़े को रोकने के लिए मरीजों के रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया में किए गए बदलावों के चौंकाने वाले नतीजे सामने आए हैं।

दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य विभाग की ओर से तैयार की गई एक रिपोर्ट के अनुसार, फर्जीवाड़े को रोकने के लिए मरीजों के फोन नंबर और आधार नंबर को लिंक करना अनिवार्य किया गया था।

उसके बाद से मोहल्ला क्लिनिकों में जांच कराने वाले मरीजों और लैब में टेस्ट की संख्या में 90 से 95 प्रतिशत तक की भारी गिरावट देखने को मिली है।

अधिकारियों का मानना है कि इससे यह स्पष्ट हो गया है कि पहले कहीं न कहीं मरीजों और उनकी जांच के मामले में भारी गड़बड़ी हो रही थी। एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) की रिपोर्ट में इस बात का जिक्र है कि लैब टेस्ट में काफी अनियमितता पाई गई है।

मोहल्ला क्लिनिकों में नकली मरीजों और फर्जी लैब टेस्ट का कथित फर्जीवाड़ा सामने आने के बाद इसी साल जनवरी में दिल्ली सरकार के विजिलेंस विभाग ने चीफ सेक्रेटरी के माध्यम से एलजी को प्रस्ताव भेजा था। इस मामले की सीबीआई जांच कराने की सिफारिश की थी।

स्वास्थ्य विभाग के विशेष सचिव और दिल्ली स्टेट हेल्थ मिशन के एमडी की रिपोर्ट से यह बात सामने आई थी कि मोहल्ला क्लिनिकों में जांच के नाम पर हो रही गड़बड़ी का फायदा उन दो प्राइवेट लैब्स को हो रहा है, जिन्हें सरकार ने लैब टेस्ट कराने के लिए आउटसोर्स किया है। आरोप है कि घोस्ट पेशंट पर किए गए फर्जी टेस्ट के नाम पर सरकार को करोड़ों रुपये का चूना लगाया गया।

दिल्ली सरकार ने मोहल्ला क्लिनिकों में लैब टेस्ट सेवाओं की आउटसोर्सिंग करते हुए दो नामी प्राइवेट लैब्स को हायर किया था। ये लैब्स मोहल्ला क्लिनिकों के अलावा दिल्ली सरकार की डिस्पेंसरियों, अस्पतालों और संबंधित पॉलिक्लिनिकों में भी अपनी सेवाएं दे रही थीं।

पिछले साल अक्टूबर में रिव्यू के लिए दोनों लैब्स की ओर से जुलाई से सितंबर के बीच की गई मरीजों की जांच के डाटा के रैंडम सैंपल कलेक्ट करके उनका विश्लेषण किया गया, तो गंभीर खामियां पाई गईं। अलग-अलग नामों के मरीजों के रजिस्ट्रेशन और लैब टेस्ट के लिए एक ही मोबाइल नंबर का इस्तेमाल किया गया था।

कुछ मरीजों का मोबाइल नंबर ही नहीं डाला गया था, तो कुछ के मोबाइल नंबर बंद पाए गए। जब आधार कार्ड और मोबाइल नंबर को लिंक किया गया, तो मरीजों और टेस्ट का आंकड़ा काफी नीचे आ गया। पिछले महीने एलजी और दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य मंत्री ने इस मद्दे को लेकर एक-दूसरे को कई चिट्ठियां भी लिखी थीं।

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