![Rahul Gandhi will be the Leader of Opposition in Lok Sabha](https://divyaindianews.com/wp-content/uploads/2024/06/Rahul-Gandhi-will-be-the-Leader-of-Opposition-in-Lok-Sabha.jpg)
नई दिल्ली। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी लोकसभा में विपक्ष के नेता होंगे। मंगलवार को देर शाम इंडिया गठबंधन की मीटिंग में राहुल गांधी के बतौर विपक्ष का नेता बनने पर औपचारिक मुहर लगी।
पिछले दिनों कांग्रेस की CWC मीटिंग में एक सुर में राहुल गांधी से नेता विपक्ष बनने का आग्रह किया गया था। हालांकि उन्होंने सोचने के लिए थोड़ा वक्त मांगा था।
बताया जाता है कि शुरू में राहुल गांधी इसके लिए बहुत ज्यादा इच्छुक नहीं थे। लेकिन पार्टी की ओर से लगातार उठ रही मांग के बाद उन्होंने इस पर विचार किया।
इंडिया गठबंधन की बैठक में हुआ फैसला
इंडिया गठबंधन की बैठक में राहुल गांधी, टीएमसी के डेरेक ओ ब्रायन व कल्याण बनर्जी, एसपी के रामगोपाल यादव, डीएमके के टीआर बालू, आरजेडी के सुरेंद्र यादव, एनसीपी (शरद पवार) की सुप्रिया सुले, आरएसपी के एनके प्रेमचंद्रन, शिवसेना (UBT) के अरविंद सावंत, आरएलपी सांसद हनुमान बेनीवाल मौजूद थे।
बैठक के बाद मीडिया के सामने कांग्रेस के संगठन महासचिव के सी वेणुगोपाल ने इस फैसले की जानकारी दी। उनका कहना था कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने प्रोटेम स्पीकर भर्तहरि महताब को इस बारे में सूचित करते हुए औपचारिक लेटर लिखा है।
क्या होंगे अधिकार
नेता प्रतिपक्ष का कद कैबिनेट रैंक का होता है। नेता विपक्ष सीबीआई निदेशक सहित कई अहम पदों के लिए बनी सिलेक्ट कमिटी का मेंबर होता है। वहीं वह संसद की प्रतिष्ठित पीएसी लोकलेखा समिति का अध्यक्ष होता है।
दरअसल, पीएम मोदी लोकसभा में नेता सदन हैं। कांग्रेस का मानना है कि राहुल गांधी के नेता विपक्ष होने के बाद अगले पांच साल वह पीएम के सामने स्वाभाविक विकल्प के रूप में उभरेंगे।
गौरतलब है कि 2014 और 2019 आम चुनाव में कांग्रेस को उतनी सीटें नहीं मिली थी, जिससे नेता प्रतिपक्ष का दर्जा मिल सके। लोकसभा की कुल सीट का कम से कम दस फीसदी सीट जीतना नेता विपक्ष का पद हासिल करने के लिए जरूरी होता है
लेकिन परंपरा के तहत यह पद कांग्रेस की ओर से पिछले लोकसभा में पश्चिम बंगाल के सांसद अधीर रंजन चौधरी को मिला था। इस बार वह चुनाव हार गये हैं। हालांकि इस बार कांग्रेस के पास नेता विपक्ष का पद लेने के लिए पर्याप्त संख्या है।
लोकसभा में विपक्ष का चेहरा होंगे राहुल गांधी
दरअसल, पार्टी का मानना था कि अब वक्त आ गया है कि राहुल गांधी को आगे बढ़कर पार्टी को लीड करना चाहिए। जिस तरह से राहुल गांधी ने अपनी भारत छोड़ो यात्रा के दौरान पार्टी की अगुवाई की, पार्टी चाहती थी कि वैसा ही नेतृत्व लोकसभा में पार्टी का करें।
पार्टी के भीतर नेता प्रतिपक्ष के लिए राहुल गांधी पहली पसंद के तौर पर उभरे थे, इसलिए कहा जा रहा था कि नेतृत्व की भूमिका में आने के लिए यह एक बेहतरीन मौका है।
पार्टी का मानना था कि राहुल गांधी को अपने पिता वह पूर्व पीएम राजीव गांधी और मां सोनिया गांधी की तरह नेता प्रतिपक्ष बनकर सदन में लोगों के मुद्दे उठाने चाहिए।
पार्टी सूत्रों के मुताबिक, जिस तरह से भारत जोड़ो यात्रा से लेकर मौजूदा चुनाव तक में राहुल गांधी ने आम आदमी से जुड़े जमीनी मुद्दों को पूरी ताकत से उठाया, वैसे ही अब सदन में वह आम आदमी की आवाज बनेंगे।
पार्टी को होगा काफी फायदा
माना जा रहा है कि राहुल गांधी के इस भूमिका में आने से फायदा उन्हें और पार्टी दोनों को होगा। नेता प्रतिपक्ष की भूमिका में आने के बाद विपक्षी खेमे के भीतर भी राहुल गांधी को लेकर सोच बदलेगी।
भारत यात्राओं राहुल गांधी को एक निर्विवाद मास लीडर बना दिया है, जिसका लोहा सहयोगी दलों के साथ-साथ सत्तारूढ़ दल सहित देश मान रहा है, लेकिन नेता प्रतिपक्ष बनने के बाद उन लोगों की सोच भी बदलेगी, जो कहीं ना कहीं अब भी राहुल गांधी को लेकर असहज महसूस करते हैं।