
नई दिल्ली। मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) ज्ञानेश कुमार ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद बिहार की मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण के बाद हटाए गए नामों की सूची जिला मजिस्ट्रेटों की वेबसाइटों पर डाल दी गई है।
चुनाव वाले राज्य बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने पिछले हफ़्ते चुनाव आयोग को निर्देश दिया था कि वह मतदाता सूची से हटाए गए 65 लाख नामों का ब्योरा पब्लिश करे।
हर कदम पर बरती जाती है पारदर्शिता
CEC ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि भारत में संसद और विधानसभा चुनावों की व्यवस्था एक बहु-स्तरीय और विकेंद्रीकृत ढांचे पर आधारित है, जैसा कि कानून में तय है। मतदाता सूची तैयार करने का जिम्मा इलेक्टोरल रजिस्ट्रेशन ऑफिसर्स (ERO) और बूथ लेवल ऑफिसर्स (BLO) पर होता है। ये अधिकारी SDM स्तर के होते हैं और मतदाता सूची की सटीकता के लिए जिम्मेदार हैं।
ड्राफ्ट मतदाता सूची प्रकाशित होने के बाद इसकी डिजिटल और फिजिकल कॉपियां सभी राजनीतिक दलों के साथ साझा की जाती हैं और इसे चुनाव आयोग की वेबसाइट पर भी डाला जाता है ताकि कोई भी इसे देख सके। इस प्रक्रिया में कोई छिपाव नहीं है और हर कदम पर पारदर्शिता बरती जाती है।
दावों और आपत्तियों का मिलेगा मौका
ज्ञानेश कुमार ने बताया कि बिहार में ड्राफ्ट मतदाता सूची 1 अगस्त को प्रकाशित की गई थी और यह 1 सितंबर तक दावे और आपत्तियों के लिए उपलब्ध रहेगी। इस दौरान कोई भी व्यक्ति या राजनीतिक दल पात्र नागरिकों को शामिल करने या अपात्र लोगों को हटाने की मांग कर सकता है। यह प्रक्रिया सुनिश्चित करती है कि अंतिम मतदाता सूची में कोई गलती न रहे।
उन्होंने यह भी कहा कि कुछ दल इस SIR को लेकर गलत जानकारी फैला रहे हैं, जो चिंता की बात है। CEC ने जोर देकर कहा कि यह प्रक्रिया पूरी तरह कानूनी और पारदर्शी है। उन्होंने लोगों से अपील की कि वे अफवाहों पर ध्यान न दें और सही जानकारी के लिए आधिकारिक स्रोतों पर भरोसा करें।