धर्म व आध्यात्म Archives - Divya India News https://divyaindianews.com/News_id/category/धर्म-व-आध्यात्म Latest Hindi News & Information Portal Mon, 10 Nov 2025 04:03:51 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.9 https://divyaindianews.com/wp-content/uploads/2022/05/cropped-Screenshot-2022-05-23-115018-32x32.jpg धर्म व आध्यात्म Archives - Divya India News https://divyaindianews.com/News_id/category/धर्म-व-आध्यात्म 32 32 पं.धीरेंद्र शास्त्री की सनातन यात्रा में पहुंचे आचार्य प्रमोद कृष्णम, तस्वीर वायरल https://divyaindianews.com/News_id/40841 Mon, 10 Nov 2025 04:03:50 +0000 https://divyaindianews.com/?p=40841 नई दिल्ली। बाबा बागेश्वर धाम के प्रमुख धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की ‘सनातन यात्रा’ चल रही है। हाल ही में कांग्रेस नेता और कल्कि पीठाधीश्वर आचार्य प्रमोद कृष्णम ने भी धीरेंद्र शास्त्री की सनातन यात्रा में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। आचार्य कृष्णम ने स्वयं इस यात्रा के दौरान की एक तस्वीर सोशल मीडिया पर साझा की, …

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नई दिल्ली। बाबा बागेश्वर धाम के प्रमुख धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की ‘सनातन यात्रा’ चल रही है। हाल ही में कांग्रेस नेता और कल्कि पीठाधीश्वर आचार्य प्रमोद कृष्णम ने भी धीरेंद्र शास्त्री की सनातन यात्रा में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।

आचार्य कृष्णम ने स्वयं इस यात्रा के दौरान की एक तस्वीर सोशल मीडिया पर साझा की, जो तुरंत वायरल हो गई। इस तस्वीर के साथ उन्होंने कैप्शन में लिखा, “सनातन के ‘समंदर’ में ‘भावना’ का सैलाब… अद्भुत, अलौकिक और अविस्मरणीय तस्वीर।”

तस्वीर में धीरेंद्र शास्त्री से मिलते हुए आचार्य प्रमोद कृष्णम बेहद खुश नजर आए। दोनों गले मिलते हुए दिखाई दे रहे हैं।

सात नवंबर को दिल्ली से शुरू की सनातन यात्रा

बागेश्वर धाम पीठाधीश्वर आचार्य धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने सात नवंबर को दिल्ली के छतरपुर स्थित कात्यायनी मां मंदिर से सनातन एकता पदयात्रा की शुरुआत की।

रविवार को पदयात्रा हरियाणा के सीकरी स्थित शगुन गार्डन विश्राम स्थल पहुंची है।सनातन एकता पदयात्रा में लगातार सनातनियों की संख्या में वृद्धि हो रही है।

नामचीन हस्तियां पदयात्रा में शामिल होकर अपना समर्थन दे रही हैं। शनिवार को फिल्मस्टार संजय दत्त, क्रिकेटर शिखर धवन ने अपना समर्थन पदयात्रा को दिया और पदयात्रा में शामिल होकर फरीदाबाद तक चले।

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त्रिपुरासुर वध से मत्स्य अवतार तक, जानिए कार्तिक पूर्णिमा से जुड़ी कथाएं व परंपराएं https://divyaindianews.com/News_id/40778 Wed, 05 Nov 2025 06:00:33 +0000 https://divyaindianews.com/?p=40778 नई दिल्ली। सनातन परंपराओं में कार्तिक पूर्णिमा का दिन अत्यंत पवित्र माना गया है। यह दिन न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि आध्यात्मिक रूप से भी दिव्य ऊर्जा का संचार करता है। इस तिथि पर स्नान, दान और दीपदान का विशेष महत्व बताया गया है। मान्यता है कि इस दिन देवताओं ने स्वयं …

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नई दिल्ली। सनातन परंपराओं में कार्तिक पूर्णिमा का दिन अत्यंत पवित्र माना गया है। यह दिन न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि आध्यात्मिक रूप से भी दिव्य ऊर्जा का संचार करता है। इस तिथि पर स्नान, दान और दीपदान का विशेष महत्व बताया गया है।

मान्यता है कि इस दिन देवताओं ने स्वयं दीपावली मनाई थी, इसलिए इसे देव दीपावली कहा जाता है। पंचांग के अनुसार, कार्तिक पूर्णिमा की तिथि 4 नवंबर को रात 10 बजकर 36 मिनट पर शुरू होगी और तिथि का समापन 5 नवंबर को शाम 6 बजकर 48 मिनट पर होगा।

त्रिपुरासुर का वध-शिव बने त्रिपुरारी

कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नामक राक्षस का संहार किया था। इस विजय से प्रसन्न होकर देवताओं ने उनकी स्तुति की और भगवान विष्णु ने उन्हें ‘त्रिपुरारी’ नाम से संबोधित किया।

कहा जाता है कि प्रदोष काल में महादेव ने अर्धनारीश्वर रूप धारण कर त्रिपुरासुर का वध किया। इसी दिन देवताओं ने काशी में दीपावली मनाई, जो आज भी देव दीपावली के रूप में प्रसिद्ध है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन काशी में दीपदान करने से पूर्वजों को मोक्ष प्राप्त होता है।

मत्स्य अवतार-वेदों की रक्षा हेतु विष्णु का दिव्य रूप

भगवान विष्णु के दस अवतारों में पहला अवतार मत्स्य अवतार माना गया है। पौराणिक मान्यता के अनुसार प्रलय काल में जब समस्त सृष्टि जल में विलीन हो गई, तब भगवान विष्णु ने कार्तिक पूर्णिमा के दिन मत्स्य रूप धारण कर वेदों की रक्षा की थी। ऐसा भी कहा जाता है कि इस मास में नारायण मत्स्य रूप में जल में निवास करते हैं और पूर्णिमा के दिन बैकुंठ धाम लौट जाते हैं।

पांडवों का दीपदान-पितरों की तृप्ति के लिए गंगा स्नान

महाभारत युद्ध समाप्त होने के बाद पांडव अपने परिजनों की मृत्यु से अत्यंत दुखी थे। भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें पितरों की आत्मा की शांति हेतु उपाय बताया। इस पर पांडवों ने कार्तिक पूर्णिमा के दिन गढ़ मुक्तेश्वर में पवित्र गंगा स्नान कर तर्पण और दीपदान किया। तब से ही गढ़ मुक्तेश्वर में इस पर्व पर स्नान और दीपदान की परंपरा प्रचलित हुई।

देवी तुलसी का विवाह-शालिग्राम के संग दिव्य मिलन

पौराणिक कथा के अनुसार कार्तिक शुक्ल एकादशी को देवी तुलसी का भगवान विष्णु के शालिग्राम रूप से विवाह हुआ था। यह विवाह कार्तिक पूर्णिमा तक मनाया जाता है।मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु को तुलसी दल अर्पित करने से अनेक गुना अधिक पुण्य प्राप्त होता है। तुलसी विवाह के पश्चात ही विवाहोत्सवों का शुभारंभ भी होता है।

ब्रह्मा जी का अवतरण-पुष्कर तीर्थ का दिव्य महत्व

कार्तिक पूर्णिमा के दिन ब्रह्मा जी का अवतरण पवित्र पुष्कर सरोवर में हुआ था। इसी कारण यह स्थान आज भी ब्रह्मा जी की आराधना का प्रमुख केंद्र है। इस अवसर पर लाखों श्रद्धालु पुष्कर में स्नान कर ब्रह्मा मंदिर में पूजा-अर्चना और दीपदान करते हैं। ऐसा करने से देव कृपा और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

देवताओं की दीपावली-लक्ष्मी-नारायण की महाआरती का दिन

कार्तिक पूर्णिमा की रात्रि को भगवान विष्णु योगनिद्रा से जागे। उनके जागरण पर समस्त देवी-देवताओं ने हर्ष मनाया और लक्ष्मी-नारायण की महाआरती कर दीप प्रज्वलित किए। यह दिन देवताओं की दीपावली के रूप में मनाया जाता है। इसी परंपरा के अनुसार मनुष्य भी इस दिन दीपदान, व्रत-पूजन कर देव दीपावली का उत्सव मनाते हैं।

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बांकेबिहारी मंदिर में भीड़ से बिगड़ रहे हालात, दर्शन की नई व्यवस्था नहीं हुई लागू https://divyaindianews.com/News_id/40658 Tue, 28 Oct 2025 06:02:31 +0000 https://divyaindianews.com/?p=40658 मथुरा। वृंदावन के श्री बांकेबिहारी मंदिर में इन दिनों अव्यवस्थाएं देखने को मिल रही हैं। भीड़ से न गलियों में चैन मिल रहा है और न ही मंदिर में। सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित श्री बांकेबिहारी मंदिर प्रबंधन हाईपावर्ड कमेटी ने मंदिर की व्यवस्थाओं को लेकर कई आदेश दिए, लेकिन आदेशों के पालन के नाम पर …

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मथुरा। वृंदावन के श्री बांकेबिहारी मंदिर में इन दिनों अव्यवस्थाएं देखने को मिल रही हैं। भीड़ से न गलियों में चैन मिल रहा है और न ही मंदिर में। सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित श्री बांकेबिहारी मंदिर प्रबंधन हाईपावर्ड कमेटी ने मंदिर की व्यवस्थाओं को लेकर कई आदेश दिए, लेकिन आदेशों के पालन के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की गई।

आदेशों के पालन की चिंता न तो स्थानीय प्रशासन को है और न ही सेवायतों को। श्री बांकेबिहारी मंदिर हाईपावर्ड कमेटी के गठन के बाद कई बैठकों का दौर चला। हर बैठक में पुराने नियमों पर चर्चाएं हुईं तो नए नियमों को लागू किया गया।

आदेश जारी किया गया, लेकिन आदेश मंदिर पहुंचते ही दम तोड़ गए। वीआईपी पर्ची सिस्टम चूंकि सबको दिखाई देता है, इसलिए इसे तत्काल बंद कर दिया गया।

जबकि मंदिर के समय में जो परिवर्तन किया गया, वह आज तक लागू नहीं हो सका। मंदिर में रैलिंग लगाने की बात की जाए तो पिछली मीटिंग में इसके लिए आदेश दिए गए, लेकिन छह लाइन की रैलिंग की व्यवस्था भी नहीं हो पाई है।

यहां तक राजस्थान सिक्योरिटी एजेंसी को लेकर कहा गया कि इस एजेंसी की जगह रिटायर्ड सैनिकों की एजेंसी को लगाया जाए, लेकिन आज तक इस दिशा में भी कोई काम नहीं हो पाया है।

अब तो सेवायत ही खुद सवाल उठा रहे हैं कि अगर आदेशों का पालन ही नहीं होना है तो कमेटी नए आदेश क्यों दे रही है। कमेटी के पदाधिकारी अपने ही आदेशों का पालन कराने में पीछे क्यों हैं।

भीड़ में फंसे लोगों से इस बारे में बात की गई तो गाजियाबाद से आए वरुण ने कहा कि मंदिर में भीड़ लगातार बढ़ती ही जा रही है। नई कमेटी के बारे में सुना था, लग रहा था कि व्यवस्थाएं बेहतर होंगी, लेकिन यहां आए तो कुछ नहीं दिखा।

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संध्या अर्घ्य के समय करें ये विशेष आरती, चारों तरफ से कृपा बरसाएंगी छठी माता https://divyaindianews.com/News_id/40633 Mon, 27 Oct 2025 05:31:45 +0000 https://divyaindianews.com/?p=40633 नई दिल्ली। छठ महापर्व का तीसरा दिन यानी संध्या अर्घ्य का समय सबसे महत्वपूर्ण होता है। इस दिन व्रती 36 घंटे के निर्जला व्रत के साथ, डूबते हुए सूर्य देव को जल में खड़े होकर अर्घ्य देती हैं। यह दिन आस्था और त्याग का प्रतीक है। इस पावन बेला में, अर्घ्य देने के बाद छठी …

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नई दिल्ली। छठ महापर्व का तीसरा दिन यानी संध्या अर्घ्य का समय सबसे महत्वपूर्ण होता है। इस दिन व्रती 36 घंटे के निर्जला व्रत के साथ, डूबते हुए सूर्य देव को जल में खड़े होकर अर्घ्य देती हैं। यह दिन आस्था और त्याग का प्रतीक है। इस पावन बेला में, अर्घ्य देने के बाद छठी मैया की विशेष आरती करना न केवल पूजा को पूर्णता देता है, बल्कि छठी माता और सूर्य देव की असीम कृपा पाने का सबसे सरल उपाय भी है।

सूर्य देव की आरती

ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।

जगत् के नेत्रस्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।

धरत सब ही तव ध्यान, ॐ जय सूर्य भगवान।।

।।ॐ जय सूर्य भगवान…।।

सारथी अरुण हैं प्रभु तुम, श्वेत कमलधारी। तुम चार भुजाधारी।।

अश्व हैं सात तुम्हारे, कोटि किरण पसारे। तुम हो देव महान।।

।।ॐ जय सूर्य भगवान…।।

ऊषाकाल में जब तुम, उदयाचल आते। सब तब दर्शन पाते।।

फैलाते उजियारा, जागता तब जग सारा। करे सब तब गुणगान।।

।।ॐ जय सूर्य भगवान…।।

संध्या में भुवनेश्वर अस्ताचल जाते। गोधन तब घर आते।।

गोधूलि बेला में, हर घर हर आंगन में। हो तव महिमा गान।।

।।ॐ जय सूर्य भगवान…।।

देव-दनुज नर-नारी, ऋषि-मुनिवर भजते। आदित्य हृदय जपते।।

स्तोत्र ये मंगलकारी, इसकी है रचना न्यारी। दे नव जीवनदान।।

।।ॐ जय सूर्य भगवान…।।

तुम हो त्रिकाल रचयिता, तुम जग के आधार। महिमा तब अपरम्पार।।

प्राणों का सिंचन करके भक्तों को अपने देते। बल, बुद्धि और ज्ञान।।

।।ॐ जय सूर्य भगवान…।।

भूचर जलचर खेचर, सबके हों प्राण तुम्हीं। सब जीवों के प्राण तुम्हीं।।

वेद-पुराण बखाने, धर्म सभी तुम्हें माने। तुम ही सर्वशक्तिमान।।

।।ॐ जय सूर्य भगवान…।।

पूजन करतीं दिशाएं, पूजे दश दिक्पाल। तुम भुवनों के प्रतिपाल।।

ऋतुएं तुम्हारी दासी, तुम शाश्वत अविनाशी। शुभकारी अंशुमान।।

।।ॐ जय सूर्य भगवान…।।

ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।

जगत् के नेत्रस्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।स्वरूपा।।

धरत सब ही तव ध्यान, ॐ जय सूर्य भगवान।।

छठी मैया की आरती

जय छठी मैया ऊ जे केरवा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मंडराए.

मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए..

जय छठी मैया…

ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदिति होई ना सहाय.

ऊ जे नारियर जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मंडराए..

जय छठी मैया…

मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए.

ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय..

जय छठी मैया…

अमरुदवा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मंडरराए.

मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए..

जय छठी मैया…

ऊ जे सुहनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय.

शरीफवा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मंडराए..

जय छठी मैया…

मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए,

ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय..

जय छठी मैया…

ऊ जे सेववा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मंडराए.

मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए..

जय छठी मैया…

ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय.

सभे फलवा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मंडराए..

जय छठी मैया…

मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए.

ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय..

जय छठी मैया…

अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें।

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नहाय-खाय के साथ लोक आस्था के महापर्व छठ का शुभारंभ, पटना में व्यापक तैयारी https://divyaindianews.com/News_id/40613 Sat, 25 Oct 2025 05:33:52 +0000 https://divyaindianews.com/?p=40613 पटना। लोक आस्था का महापर्व छठ आज से नहाय खाय के साथ प्रारंभ हो गया। छठ महापर्व में श्रद्धालु छठ मैया की आराधना करते हैं और विशेष तौर पर सूर्य देव को अर्घ्य देकर अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति की कामना करते हैं। छठ पर्व की शुरुआत कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी के दिन …

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पटना। लोक आस्था का महापर्व छठ आज से नहाय खाय के साथ प्रारंभ हो गया। छठ महापर्व में श्रद्धालु छठ मैया की आराधना करते हैं और विशेष तौर पर सूर्य देव को अर्घ्य देकर अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति की कामना करते हैं।

छठ पर्व की शुरुआत कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी के दिन नहाय खाय से होती है। पंचमी को खरना, षष्ठी को डूबते सूर्य को अर्घ्य और उगते सूर्य सप्तमी को अर्घ्य देकर व्रत समाप्त होता है। इस चार दिवसीय त्योहार में सूर्य और छठी मैय्या की पूजा की जाती है।

इस दिन व्रत करना बहुत कठिन माना जाता है क्योंकि इस व्रत को कठोर नियमों के अनुसार 36 घंटे तक रखा जाता है। छठ मैया की भक्ति में समर्पण, पवित्रता और अनुशासन का विशेष महत्व है। पटना समेत बिहार के सभी जिलों में छठ को लेकर सारी तैयारी पहले ही पूरी हो चुकी है।

दानापुर से पटना सिटी तक 109 घाट तैयार

छठ घाट पर जिला प्रशासन की ओर से सारी तैयारी पहले ही पूरी कर ली गई है। पटना में दानापुर से पटना सिटी तक 109 छठ घाट तैयार किए गए हैं। राजधानी के 109 गंगा घाटों, 63 तालाबों और 45 पार्कों में महापर्व हो रहा है। पटना के जिलाधिकारी त्याग राजन और वरीय आरक्षी अधीक्षक (SSP) कार्तिकेय शर्मा लगातार छठ घाटों पर भ्रमण करके सभी स्थिति का जायजा ले रहे हैं।

किसी तरह की अफवाह पर ध्यान न दें

पटना SSP कार्तिकेय शर्मा ने कहा कि पटना में छठ घाट पर सुरक्षा की सारी तैयारी पूरी कर ली गई है। सभी जगह पर्याप्त संख्या में पुलिस बल की तैनाती कर ली गई है। महिला, पुरुष पुलिस बल के साथ-साथ गस्ती पार्टी, पैदल लाठी पार्टी और पेट्रोलिंग गाड़ी को भी लगातार पेट्रोलिंग का निर्देश दिया गया है।

कंट्रोल रूम बनाए गए हैं। सभी घाटों पर वॉच टावर भी लगाए गए हैं। CCTV से भी निगरानी रखी जा रही है। लोगों से अपील है कि किसी तरह की अफवाह पर ध्यान न दें। किसी भी समस्या के लिए पुलिस से संपर्क करें।

पटना के शहरी क्षेत्रों में नदी घाटों पर उपलब्ध करवाई गईं सुविधाएं

अस्थायी शौचालयों- 552

अस्थायी यूरिनल- 450

नलों- 185

पानी का टैंकर- 50

चापाकल- 37

सबमर्सिबल मोटर एवं PVC टैंक- 20

अस्थायी चेंजिंग रूम- 400

यात्री शेड-13

नियंत्रण कक्ष-112

सहायक नियंत्रण कक्ष- 13

वाच टावर- 171

550 घाटों पर छठव्रतियों द्वारा किया जाता है छठ

पटना जिला में गंगा नदी एवं उसकी सहायक नदियों के लगभग 550 घाटों पर छठव्रतियों द्वारा छठ किया जाता है। इसके अलावा पार्क एवं तालाबों में भी छठ किया जाता है।

इसमें पटना नगर निगम क्षेत्र में गंगा किनारे के लगभग 102 घाट तथा करीब 45 पार्क एवं 63 तालाब शामिल है। सार्वजनिक स्थानों पर भीड़-प्रबंधन के लिए निर्धारित मापदंडों के अनुसार तेज़ी से सभी जगह तैयारी चल रही है। यह अंतिम चरण में है।

आपदा प्रबंधन की मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) के अनुसार किसी भी तरह की आपदा की आकस्मिकता से निपटने हेतु NDRF की 09 टीम (277 सदस्य), SDRF की 09 टीम (36 सदस्य), 444 गोताखोर, 323 नाव/नाविक तथा सिविल डिफेंस के 149 वोलंटियर्स तैनात रहेंगे।

रिवर पेट्रोलिंग भी किया जाएगा। नावों का परिचालन प्रतिबंधित है। अवैध परिचालन के विरूद्ध सख़्त दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी।

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अयोध्या: रामलला के दर्शन-आरती के समय में बदलाव, नई समय सारिणी जारी https://divyaindianews.com/News_id/40582 Thu, 23 Oct 2025 05:49:39 +0000 https://divyaindianews.com/?p=40582 अयोध्या। शीत ऋतु का आगमन हो चुका है और इसके साथ ही रामनगरी अयोध्या में रामलला के दर्शन व आरती के समय में बदलाव कर दिया गया है। यह बदलाव आज बृहस्पतिवार से लागू हो गया है। श्रद्धालुओं को अब राम मंदिर में सुबह सात बजे से रामलला के दर्शन होंगे। मंदिर में दर्शन रात …

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अयोध्या। शीत ऋतु का आगमन हो चुका है और इसके साथ ही रामनगरी अयोध्या में रामलला के दर्शन व आरती के समय में बदलाव कर दिया गया है। यह बदलाव आज बृहस्पतिवार से लागू हो गया है।

श्रद्धालुओं को अब राम मंदिर में सुबह सात बजे से रामलला के दर्शन होंगे। मंदिर में दर्शन रात नौ बजे तक जारी रहेगा। रामलला की आरती के समय में भी बदलाव किया गया है। दोपहर में आरती व भोग के लिए एक घंटे तक मंदिर के पट बंद रहेंगे।

ट्रस्ट की ओर से रामलला के दर्शन की नई समय सारिणी जारी की गई है। राम मंदिर के ट्रस्टी डॉ. अनिल मिश्र ने बताया कि अब शरद ऋतु शुरू हो रही है। ऐसे में रामलला के दर्शन अवधि में कुछ बदलाव किया गया है।

रामलला की मंगला आरती जो अब तक सुबह चार बजे होती थी, अब वह 4:30 बजे होगी। साथ ही रामलला की श्रृंगार आरती सुबह छह बजे के बजाय 6:30 बजे होगी। दर्शन अब तक सुबह 6:30 बजे से शुरू होता है, वह अब सुबह सात बजे से शुरू होगा।

नई समय सारिणी

– सुबह 04:30 बजे- मंगला आरती

– सुबह 6:30 बजे श्रृंगार आरती-दर्शन मार्ग से प्रवेश प्रारंभ

– सुबह 07:00 बजे दर्शन प्रारंभदोपहर 12:00 बजे-भोग आरती-डी-वन से प्रवेश बंद

– बंद दोपहर 12:30 से 1 बजे तक पट

– दोपहर 01:00 बजे-दर्शन प्रारंभरात 09:00 बजे-डी-एक से प्रवेश बंद

– रात 9:15 बजे दर्शन समाप्त रात 9:30 बजे-शयन आरती-आरती के बाद कपाट बंद

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CM योगी ने गोरखनाथ मंदिर में की गोवर्धन पूजा, की गोसेवा; कही ये बात https://divyaindianews.com/News_id/40567 Wed, 22 Oct 2025 06:31:01 +0000 https://divyaindianews.com/?p=40567 गोरखपुर। गोवर्धन पूजा के अवसर पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गोरखपुर में गोरखनाथ मंदिर में पूजा-अर्चना और गौ-सेवा की। इस दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि “दीपोत्सव के पंचदिवसीय महापर्वों की श्रृंखला में आज पावन गोवर्धन पूजा है। भारत की कृषि प्रधान व्यवस्था का प्रतीक गोवर्धन पूजा का यह कार्यक्रम रहा। मैं इस अवसर पर प्रदेशवासियों …

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गोरखपुर। गोवर्धन पूजा के अवसर पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गोरखपुर में गोरखनाथ मंदिर में पूजा-अर्चना और गौ-सेवा की। इस दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि “दीपोत्सव के पंचदिवसीय महापर्वों की श्रृंखला में आज पावन गोवर्धन पूजा है।

भारत की कृषि प्रधान व्यवस्था का प्रतीक गोवर्धन पूजा का यह कार्यक्रम रहा। मैं इस अवसर पर प्रदेशवासियों को हृदय से बधाई देता हूं। भारत जैसे कृषि प्रधान देश में गौ और गौवंश का महत्व क्या है, गोवर्धन पूजा इस बात का प्रतीक है और दीपावली जैसे महापर्व के साथ इस आयोजन को जोड़कर इसके महत्व को और भी प्रभावी बनाया गया है।

ये मेरा सौभाग्य है कि आज सुबह मुझे गौ पूजन और गौ सेवा करने का अवसर यहां प्राप्त हुआ है। भारत की समृद्धि का आधार भारतीय गौवंश रहा है। आज भी प्रधानमंत्री की प्रेरणा से देश में गोवर्धन योजना के अंतर्गत गाय के गोबर से बायो कंपोस्ट और इथेनॉल बनाने के जो अभिनव कार्यक्रम प्रारंभ हुए हैं, यह गौवंश के संवर्धन और उनके संरक्षण में एक बड़ी भूमिका का निर्वहन कर रहे हैं।

मुझे बताते हुए प्रसन्नता है कि केवल पूजन ही नहीं बल्कि उसके अनुरूप कार्ययोजना भी प्रारंभ की जा रही है। प्रदेश में 16 लाख गौवंश ऐसे हैं जिन पर हम राज्य सरकार के माध्यम से सब्सिडी दे रहे हैं।

किसानों की फसलों को नुकसान न हो, यह सुनिश्चित करने के लिए यह प्रयास शुरू किया गया है। तीन प्रकार की योजनाएं हैं। निराश्रित गोशाला योजना, जिसमें हम सरकारी स्तर पर प्रत्येक गाय के लिए 1500 रुपये प्रति माह प्रदान करते हैं।

इसी प्रकार, एक सहभागिता योजना है, जिसमें यदि कोई किसान गोवंश संरक्षण के हमारे कार्यक्रम से जुड़ता है, तो उसे 4 गोवंश प्रदान किए जाते हैं। हम उसे हर महीने प्रति गाय 1500 रुपये देते हैं, यानी अगर उसके पास चार गोवंश हैं, तो वह परिवार सरकार से आसानी से 6000 रुपये मासिक प्राप्त कर सकता है।

ऐसी ही एक तीसरी योजना कुपोषित परिवारों के लिए है। कुपोषित माताओं और बच्चों वाले परिवारों को निराश्रित गोशालाओं में छोड़ी गई गायें मिलती हैं। वे गायों की सेवा भी करते हैं, गायों का दूध भी निकालते हैं, और इस योजना के तहत उन्हें 1500 रुपये प्रति माह दिए जाते हैं। मुझे खुशी है कि बड़ी संख्या में लोगों को इस योजना का लाभ मिला है।

किसानों को मिल रहा गोबर का मूल्य

अन्नदाता किसान समृद्धि की ओर अग्रसर हुआ है और प्रधानमंत्री जी की प्रेरणा से प्रदेश में क्रियान्वित गोवर्धन योजना के तहत संपीड़ित बायोगैस और इथेनॉल उत्पादन के अभिनव कार्यक्रम प्रारंभ किए गए हैं, जिससे किसानों को गोबर का मूल्य मिल रहा है।

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गोवर्धन पूजा आज; जानें पूजा विधि, मुहूर्त; मंत्र व आरती https://divyaindianews.com/News_id/40554 Wed, 22 Oct 2025 05:24:36 +0000 https://divyaindianews.com/?p=40554 नई दिल्ली। आज 22 अक्तूबर को गोवर्धन पूजा मनाई जा रही है। यह दिन खासतौर पर भगवान श्री कृष्ण की गोवर्धन पर्वत उठाने की अद्भुत लीला की याद में होता है। इस दिन लोग घरों में गाय के गोबर से गोवर्धन महाराज की आकृति बनाकर उनका पूजन करते हैं और उनके आशीर्वाद से सुख, समृद्धि …

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नई दिल्ली। आज 22 अक्तूबर को गोवर्धन पूजा मनाई जा रही है। यह दिन खासतौर पर भगवान श्री कृष्ण की गोवर्धन पर्वत उठाने की अद्भुत लीला की याद में होता है। इस दिन लोग घरों में गाय के गोबर से गोवर्धन महाराज की आकृति बनाकर उनका पूजन करते हैं और उनके आशीर्वाद से सुख, समृद्धि और सुरक्षा की कामना करते हैं।

गोवर्धन पूजा का महत्व सिर्फ धार्मिक ही नहीं, बल्कि पर्यावरण और प्रकृति की रक्षा से भी जुड़ा हुआ है। इसे प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त करने का पर्व माना जाता है, जिसमें लोग दान और पुण्य कार्य करते हैं।

इस दिन को लेकर कुछ असमंजस हो सकता है, लेकिन भारतीय समाज में इसका उल्लास और श्रद्धा पहले जैसा ही बना रहता है। गोवर्धन पूजा न केवल श्री कृष्ण की महिमा का जश्न है, बल्कि यह हम सभी को प्रकृति और उसकी शक्ति का सम्मान करने की प्रेरणा भी देता है।

गोवर्धन पूजा तिथि

गोवर्धन पूजा 2025 इस साल 22 अक्तूबर को मनाई जाएगी। पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि की शुरुआत 21 अक्तूबर को शाम 5:54 बजे होगी और इसका समापन 22 अक्तूबर को रात 8:16 बजे होगा।  

तिथि के हिसाब से इस बार गोवर्धन पूजा 22 अक्तूबर को ही सही समय पर मनाई जाएगी। गोवर्धन पूजा 2025 के लिए शुभ मुहूर्त इस साल दोपहर 3:13 बजे से लेकर शाम 5:49 बजे तक रहेगा।

गोवर्धन पूजा शुभ मुहूर्त

गोवर्धन पूजा 2025 के लिए शुभ मुहूर्त इस साल दोपहर 3:13 बजे से लेकर शाम 5:49 बजे तक रहेगा। इस दौरान स्वाति नक्षत्र और प्रीति योग का संयोग बनेगा, जो पूजा के लिए बेहद शुभ माना जाता है।

खास बात यह है कि इस दिन सूर्य तुला राशि में और चंद्रमा भी गोचर करेंगे, जिससे यह समय विशेष रूप से कल्याणकारी और शुभ रहेगा।

इस समय में पूजा करने से भगवान श्री कृष्ण का आशीर्वाद प्राप्त होने की संभावना अधिक होती है। गोवर्धन के पास दीपक जलाया जाता है ताकि वातावरण में पवित्रता और शुभता का वास हो।

गोवर्धन पूजा विधि

गोवर्धन पूजा के दौरान सबसे पहले गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत की आकृति बनाई जाती है, जिसे घर के आंगन या किसी खुले स्थान पर रखा जाता है।

फिर इस आकृति पर रोली और चावल चढ़ाए जाते हैं, जो पूजा की शुरुआत का प्रतीक होते हैं।

इसके बाद, गोवर्धन के पास दीपक जलाया जाता है ताकि वातावरण में पवित्रता और शुभता का वास हो।

पूजा में खीर, पूरी, बताशे, जल, दूध और केसर भी अर्पित किए जाते हैं, जो भगवान श्री कृष्ण और गोवर्धन पर्वत को समर्पित होते हैं।

इसके बाद सभी परिवारजन मिलकर गोवर्धन की परिक्रमा करते हैं, जो पूजा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह परिक्रमा श्रद्धा और भक्ति का प्रतीक मानी जाती है।

अंत में, पूजा के समापन पर आरती की जाती है और यदि पूजा में कोई भूल हो गई हो तो उसका क्षमा भी मांगा जाता है।

इस पूरी प्रक्रिया से जीवन में सकारात्मकता, समृद्धि और शांति आती है।

मंत्र जप करें

गोवर्धन धराधार गोकुल त्राणकारक।

विष्णुबाहु कृतोच्छ्राय गवां कोटिप्रभो भव।।

हरे कृष्ण हरे कृष्ण

कृष्ण कृष्ण हरे हरे

हरे राम हरे राम

राम राम हरे हरे॥

‘ॐ श्री कृष्णाय शरणं मम्।’

गोवर्धन जी की आरती  

श्री गोवर्धन महाराज, ओ महाराज,

तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।

तोपे पान चढ़े तोपे फूल चढ़े,

तोपे चढ़े दूध की धार।

तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।

तेरी सात कोस की परिकम्मा,

और चकलेश्वर विश्राम

तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।

तेरे गले में कण्ठा साज रहेओ,

ठोड़ी पे हीरा लाल।

तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।

तेरे कानन कुण्डल चमक रहेओ,

तेरी झाँकी बनी विशाल।

तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।

गिरिराज धरण प्रभु तेरी शरण।

करो भक्त का बेड़ा पार

डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं, ज्योतिष, धार्मिक ग्रंथों आदि पर आधारित है। यहां दी गई तथ्यों की सटीकता व संपूर्णता के लिए हम उत्तरदायी नहीं है।

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देशभर में आज दीपावली की धूम; जानिए लक्ष्मी पूजन विधि, मुहूर्त और मंत्र https://divyaindianews.com/News_id/40546 Mon, 20 Oct 2025 06:04:46 +0000 https://divyaindianews.com/?p=40546 नई दिल्ली। आज 20 अक्तूबर को पूरे देश में दीपावली मनाई जा रही है। यह कार्तिक माह की अमावस्या तिथि है। इस दिन घरों से लेकर मंदिरों में लक्ष्मी पूजन का भव्य आयोजन किया जाता है। इसके प्रभाव से जीवन में खुशियां, सुख-समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा आती है। साथ ही व्यक्ति के धन-धान्य में वृद्धि …

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नई दिल्ली। आज 20 अक्तूबर को पूरे देश में दीपावली मनाई जा रही है। यह कार्तिक माह की अमावस्या तिथि है। इस दिन घरों से लेकर मंदिरों में लक्ष्मी पूजन का भव्य आयोजन किया जाता है। इसके प्रभाव से जीवन में खुशियां, सुख-समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा आती है। साथ ही व्यक्ति के धन-धान्य में वृद्धि होती हैं।

दिवाली पर बन रहा है शुभ हंस महापुरुष राजयोग

इस वर्ष दिवाली के दिन एक विशेष और शुभ योग बन रहा है जिसे हंस महापुरुष राजयोग कहा जाता है। यह योग तब बनता है जब गुरु ग्रह (बृहस्पति) अपनी उच्च राशि कर्क में स्थित होता है।

गुरु का यह संयोग बेहद शुभ माना जाता है और यह योग व्यक्ति के जीवन में वैभव, बुद्धि, सम्मान और समृद्धि लाने वाला होता है। दिवाली जैसे पावन पर्व पर इस राजयोग का बनना इस दिन की धार्मिक और ज्योतिषीय महत्ता को और अधिक बढ़ा देता है।

20 अक्तूबर को क्यों मनाई जाएगी दिवाली

इस वर्ष दीपावली की तिथि को लेकर लोगों के बीच भ्रम बना हुआ है। दीपावली सिर्फ एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि यह देवी लक्ष्मी की कृपा पाने का शुभ अवसर है. सही समय पर पूजा करने से समृद्धि, शांति और कल्याण की प्राप्ति होती है।

दीपावली का त्योहार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की प्रदोष व्यापिनी अमावस्या को मनाया जाता है. श्री शुभ सम्वत् 2082 शाके 1947 कार्तिक कृष्ण अमावस्या (प्रदोष-कालीन) 20 अक्तूबर 2025 सोमवार को है।

इस दिन चतुर्दशी तिथि सूर्योदय से लेकर दोपहर 03 बजकर 44 मिनट तक रहेगी, तत्पश्चात् अमावस्या तिथि प्रारम्भ हो जाएगी। दीपावली के पूजन हेतु धर्मशास्त्रोक्त प्रदोष काल एवं महानिशीथ काल मुख्य हैं

लक्ष्मी पूजा के शुभ मुहर्त

ऑफिस के लिए (लाभ)- दोपहर 3:30 मिनट से शाम 5:00 बजे तक

छात्रों के लिए (अमृत)- शाम 5:00 मिनट से लेकर 6:30 मिनट तक

प्रदोष काल- 05:46 से 08:18 तक

वृषभ काल- 07:08 से 09 :03 तक

गृहस्थ, किसान, व्यापारी और विद्यार्थी के लिए- शाम 7: 32 मिनट से लेकर रात 9: 28 मिनट तक

नए व्यापारियों के लिए (चंचल)- शाम 5:55 मिनट से लेकर 7:25 मिनट तक।

परंपरागत व्यापारियों के लिए (शुभ)- रात 3:25 मिनट से लेकर 4:55 मिनट तक।

साधको के लिए (लाभ)- रात 12: 25 से 01:55 मिनट तक।

लक्ष्मी पूजा मुहूर्त (प्रदोष काल)- शाम 07:08 से 08:18 तक।

ब्रह्रा मुहूर्त (20 अक्टूबर 2025 सभी के लिए)- सुबह 3:55 से 5:25 तक।

दीपावली 2025- निशिता काल पूजा मुहूर्त

निशिता काल- रात्रि 11:41 से 12:31 तक

सिंह लग्न काल- सुबह 01:38 से 03:56 तक

दिवाली लक्ष्मी पूजन मंत्र

ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीभ्यो नमः

ॐ श्रीं ल्कीं महालक्ष्मी महालक्ष्मी एह्येहि सर्व सौभाग्यं देहि मे स्वाहा

ॐ श्री ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्मयै नमः

धनदाय नमस्तुभ्यं निधिपद्माधिपाय च। भगवान् त्वत्प्रसादेन धनधान्यादिसम्पदः

लक्ष्मी पूजा विधि 

लक्ष्मी पूजन से पहले घर की साफ-सफाई का खास महत्व है, इसलिए सभी जगह गंगाजल का छिड़काव करें।

घर के मुख्य दरवाजे पर रंगोली और तोरण द्वार बनाएं।

अब लक्ष्मी पूजन के लिए सर्वप्रथम एक साफ चौकी पर लाल रंग का नया वस्त्र बिछाएं।

अब चौकी पर लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति स्थापित करें और सजावट का सामान से चौकी सजाएं।

माता लक्ष्मी और गणेश भगवान की मूर्ति को वस्त्र पहनाएं और इस दौरान देवी को चुनरी अवश्य अर्पित करें।

अब साफ कलश में जल भरें और चौकी के पास रखें दें।

प्रथम पूज्य देवता का नाम लेते हुए भगवानों को तिलक लगाएं ।

लक्ष्मी-गणेश को फूल माला पहनाएं और ताजे फूल देवी को अर्पित करें। इस दौरान कमल का फूल चढ़ाना न भूलें।

अब अक्षत, चांदी का सिक्का, फल और सभी मिठाई संग भोग अर्पित करें।

यदि आपने किसी वस्तु या सोना-चांदी की खरीदारी की है, तो देवी लक्ष्मी के पास उसे रख दें।

शुद्ध देसी घी से दीपक जलाएं और इसके साथ ही घर के कोने में रखने के लिए कम से कम 21 दिए भी इसके साथ जलाएं।

अब भगवान गणेश जी आरती करें और गणेश चालीसा का पाठ भी करें

देवी लक्ष्मी की आरती और मंत्रों का जाप करें।

अब घर के सभी कोनों में दीपक रखें और तिजोरी में माता की पूजा में उपयोग किए फूल को रख दें।

अंत में सुख-समृद्धि की कामना करते हुए पूजा में हुई भूल की क्षमा मांगे।

पूजन सामग्री

पूजा के लिए मां लक्ष्मी और गणेश जी की प्रतिमा और कलावा अवश्य रखें।

भगवानों के वस्त्र और शहद शामिल करें।

गंगाजल, फूल, फूल माला, सिंदूर और पंचामृत।

बताशे, इत्र, चौकी और लाल वस्त्र के साथ कलश।

शंख, आसन, थाली, चांदी का सिक्का।

कमल का फूल और हवन कुंड।

हवन सामग्री,  आम के पत्ते और प्रसाद

रोली, कुमकुम, अक्षत (चावल), पान।

इस दौरान सुपारी, नारियल और मिट्टी के दीए संग रुई भी शामिल करें।

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रामलला के दरबार में CM योगी ने लगाई हाजिरी, जय श्रीराम से गूंजा परिसर; प्रदेशवासियों को दी शुभकामनाएं https://divyaindianews.com/News_id/40541 Mon, 20 Oct 2025 05:44:32 +0000 https://divyaindianews.com/?p=40541 अयोध्या। भव्य दीपोत्सव संपन्न होने और नया विश्व कीर्तिमान स्थापित होने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार की सुबह संकट मोचन हनुमानगढ़ी का दर्शन किया। यहां उन्होंने विधि-विधान से पूजा-अर्चना करते हुए श्रीराम भक्त हनुमान से प्रदेशवासियों की सुख-समृद्धि और कल्याण की कामना की। मुख्यमंत्री ने हनुमानगढ़ी मंदिर के गद्दीनशीन महंत प्रेमदास से भी …

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अयोध्या। भव्य दीपोत्सव संपन्न होने और नया विश्व कीर्तिमान स्थापित होने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार की सुबह संकट मोचन हनुमानगढ़ी का दर्शन किया। यहां उन्होंने विधि-विधान से पूजा-अर्चना करते हुए श्रीराम भक्त हनुमान से प्रदेशवासियों की सुख-समृद्धि और कल्याण की कामना की।

मुख्यमंत्री ने हनुमानगढ़ी मंदिर के गद्दीनशीन महंत प्रेमदास से भी मुलाकात की। मुख्यमंत्री के आगमन पर मंदिर परिसर “जय श्रीराम” के उद्घोष से गूंज उठा। संतों और पुजारियों ने पारंपरिक विधि से उनका स्वागत किया।

श्रीरामलला के दरबार में लगाई हाजिरी

हनुमानगढ़ी से निकलने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सीधे श्रीराम जन्मभूमि परिसर पहुंचे। यहां उन्होंने प्रभु श्रीरामलला के दरबार में हाजिरी लगाई, आरती उतारी और मंदिर की परिक्रमा की।

राम दरबार में दर्शन-पूजन के बाद किया श्रद्धालुओं का अभिवादन

मुख्यमंत्री ने राम दरबार में भी दर्शन-पूजन कर प्रदेश की उन्नति और जनकल्याण की प्रार्थना की। दर्शन के उपरांत जब वे मंदिर परिसर से बाहर निकले तो श्रद्धालुओं ने जयघोष के साथ उनका स्वागत किया। मुख्यमंत्री ने हाथ हिलाकर जनता का अभिवादन स्वीकार किया और बच्चों को आशीर्वाद दिया।

प्रदेशवासियों को दी दीपावली की शुभकामनाएं

अयोध्या प्रवास के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेशवासियों को दीपावली की शुभकामनाएं दीं। उन्होंने प्रदेशवासियों के सुखी व समृद्ध जीवन की कामना की।

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