लखनऊ। लाइलाज बीमारियों से आज़ादी समय की मांग है और ग्रैड सिस्टम यह आज़ादी प्रदान करने वाले चमत्कारिक समाधानों में से एक है। ग्रैड सिस्टम और डिप डाइट प्रोटोकॉल के आविष्कारक डॉ. बिस्वरूप रॉय चौधरी ने स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर यह बात कही। डॉ. बीआरसी नाम से लोकप्रिय, वह लखनऊ, मेरठ, चंडीगढ़, जयपुर और भारत व मलेशिया में अनेक शहरों में स्थित हिम्स हॉस्पिटल्स ग्रुप के सह-संस्थापक भी हैं।
स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर देशवासियों को अपने संदेश में, डॉ. बीआरसी ने कहा कि पुराने किडनी रोग (सीकेडी) के 75% तक मरीज आयुर्वेद व प्राकृतिक चिकित्सा समर्थित, गुरुत्वाकर्षण और तापमान-आधारित ग्रैड प्रणाली की मदद से ठीक हो रहे हैं। पहली बार ग्रैड सिस्टम की मदद से गुर्दा रोगियों को डायलिसिस से मुक्ति मिली है। डॉ. चौधरी के आविष्कार से कैंसर, गुर्दा, मधुमेह आदि कई गंभीर असाध्य रोगों को ठीक करने में सफलता मिली है।
उन्होंने आयुर्वेद और प्राकृतिक चिकित्सा जैसी भारतीय पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों के उत्थान के लिए, भारत सरकार से ‘ड्रग एंड मैजिक रेमेडीज एक्ट 1954’ को रद्द करने की मांग करते हुए कहा कि भारतीय चिकित्सा प्रणालियों को खत्म करने और एलोपैथी को स्थापित करने के लिए ब्रिटिश शासकों ने इस काले कानून को थोपा था। इस अधिनियम से आज भी भारतीय चिकित्सा पद्धतियों के प्रवर्तकों पर कानूनी कार्रवाई की धमकी दी जाती है।
डॉ. बीआरसी की मेडिकल इंजीनियरिंग की मदद से असाध्य रोगों का इलाज संभव है और यह बात नेपाल के स्वास्थ्य मंत्रालय और भारत सरकार के आयुष मंत्रालय के क्लिनिकल ट्रायल में भी साबित हो चुकी है। डॉ. बीआरसी को हाल ही में आईआईटी मंडी, हिमाचल प्रदेश, और पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज (पेक) चंडीगढ़ में ग्रैड सिस्टम पर व्याख्यान देने के लिए आमंत्रित किया गया था।
इस बीच, दिल्ली में आयोजित एक भव्य स्वास्थ्य जागरूकता कार्यक्रम में, देश-विदेश के उनके 36 मरीज़ शामिल हुए, जो कैंसर, थैलेसीमिया, किडनी और लीवर फेल्योर, डायबिटीज टाइप-1 और 2 और ब्रेन ट्यूमर आदि जैसी असाध्य बीमारियों से ठीक हुए हैं। उन्होंने डॉ. बीआरसी के क्रांतिकारी ग्रैड सिस्टम से ठीक होने के अपने प्रेरक अनुभव साझा किए। उन्होंने दवाओं या साइड इफेक्ट के बिना सरल और लागत प्रभावी भारतीय पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों के माध्यम से उपचार के प्रमाण भी प्रस्तुत किए।
डॉ. बीआरसी ने कहा, “स्वस्थ भारत अभियान के तहत हम आधुनिक चिकित्सा, महंगी दवाओं और अंग प्रत्यारोपण के दुष्प्रभावों के बिना लोगों की मदद कर रहे हैं और जीवनशैली में बदलाव, आयुर्वेद, अनुशासित दिनचर्या, प्राकृतिक चिकित्सा, पंचकर्म और संतुलित आहार के माध्यम से नया जीवन प्रदान करने में सफल रहे हैं।” अधिक जानकारी के लिए उनकी वेबसाइट www.biswaroop.com पर लॉग ऑन करें।