नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने योगगुरु बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण को अवमानना का नोटिस जारी करते हुए दो सप्ताह बाद हाजिर होने का आदेश दिया है। कोर्ट ने पतंजलि आयुर्वेद के कथित भ्रामक विज्ञापन को लेकर यह आदेश सुनाया है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने पहले भी योगगुरु रामदेव को नोटिस जारी कर कोर्ट में बुलाया था।
कोर्ट ने तीन सप्ताह के भीतर पतंजलि आयुर्वेद के मैनेजिंग डायरेक्टर बालकृष्ण और योगगुरु रामदेव से जवाब मांगा था। इसके अलावा सुपरीम कोर्ट ने संस्था के विज्ञापन प्रकाशित करने पर भी प्रतिबंध लगा दिया था। दरअसल, डॉक्टरों के संगठन इंडियन मेडिकल असोसिएशन (IMA) ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका फाइल कर कहा था कि पतंजलि आयुर्वेद के विज्ञापन झूठा दावा करने वाले और भ्रामक हैं।
IMA का कहना है कि बाबा रामदेव ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी प्रेस कॉन्फ्रेंस करके डॉक्टरों पर दुष्प्रचार का आरोप लगाया। इसके अलावा कोर्ट से रोक के बाद भी उन्होंने विज्ञापन प्रकाशित करवाया। कोर्ट ने भी कहा था कि, आदेश के बाद भी विज्ञापन प्रकाशित हो रहे हैं जिनमें कहा जा रहा है कि केमिकल आधारित दवाएं से अच्छी पतंजलि की दवाएं हैं। ऐसे में पतंजलि आयुर्वेद लगातार कोर्ट के आदेश का उल्लंघन कर रहा है।
बाबा रामदेव कैसे बन गए पार्टी ?
दरअसल पतंजलि आयुर्वेद ने कोर्ट को अंडरटेकिंग दी थी और इसके बावजूद विज्ञापन छपवाया। ऐसे में जस्टिस हिमा कोहली और अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की बेंच ने नाराजगी जाहिर करते हुए रामदेव और एमडी आचार्य बालकृष्ण से जवाब मांगा।
जवाब नहीं मिलने पर कोर्ट ने हाजिर होने का आदेश दे दिया और अवमानना का नोटिस भी थमा दिया। पतंजलि के विज्ञापनों में बाबा रामदेव की तस्वीर भी लगी थी। ऐसे में कोर्ट ने उन्हें भी पार्टी बनाया और पूछा कि आखिर उनके खिलाफ अवमानना की कार्यवाही क्यों ना शुरू की जाए?