नई दिल्ली। आज धनतेरस का त्योहार है। हर वर्ष कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी पर धनतेरस का पर्व मनाया जाता है। धनतेरस के त्योहार को धन त्रयोदशी और भगवान धन्वंतरि की जयंती के रूप में भी मनाई जाती है।
हिंदू धर्म में धन, संपदा, सुख-समृद्धि और आरोग्यता के इस त्योहार का विशेष महत्व होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस पर्व पर भगवान धन्वंतरि, मां लक्ष्मी और भगवान कुबेर की पूजा की जाती है।
धनतेरस से पांच दिवसीय दिवाली पर्व की शुरुआत हो जाती है। धनतेरस पर पूजा और खरीदारी का विशेष महत्व होता है। धनतेरस पर खरीदारी, निवेश और किसी नए काम की शुरुआत को बहुत ही शुभ माना है। इस बार धनतेरस पर त्रिपुष्कर योग का संयोग बन रहा है।
ऐसी मान्यता है धनतेरस पर खरीदारी और नए कार्य करने से इसमें तीन गुना फल की प्राप्ति होती है। धनतेरस पर मुख्य रूप से बर्तन, सोना-चांदी और वाहन की खरीदारी करना बहुत ही शुभ माना जाता है। इस तिथि पर देवताओं के वैध भगवान धन्वंतरि की प्रागट्य हुआ था।
आइए जानते हैं धनतेरस की तिथि, पूजा विधि और खरीदारी का शुभ मुहूर्त आदि।
धनतेरस 2024 तिथि और शुभ मुहूर्त
धनतेरस पर भगवान धन्वंतरि का पूजन और बर्तन की खरीदारी करना विशेष लाभकारी माना गया है। यह त्योहार हर वर्ष कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर मनाया जाता है।
ऐसी मान्यता है कि आयुर्वेद के जनक भगवान धन्वंतरि समुद्र मंथन से अमृत कलश लेकर प्रगट हुए थे। जिस कारण से हर वर्ष धनतेरस को धन्वंतरि जयंती के नाम से मनाया जाता है। धनतेरस पर बर्तन खरीदने की प्रथा सदियों से चली आ रही है।
त्रयोदशी तिथि आरंभ- 29 अक्तूबर सुबह 10:31 मिनट से
त्रयोदशी तिथि समाप्त- 30 अक्तूबर दोपहर 01:15 तक
धनतेरस पर खरीदारी का शुभ मुहूर्त
धनतेरस पांच दिनों तक चलने वाले दीपोत्सव का पहला पर्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार धनतेरस पर पूजा और बर्तन खरीदने पर कभी भी धन का भंडार खाली नहीं रहता है। धनतेरस के दिन धन और समृद्धि प्रदान करने वाली देवी लक्ष्मी की पूजा करने का विधान होता है।
इस दिन जो भी व्यक्ति धन की देवी मां लक्ष्मी, भगवान कुबेर और धन्वंतरि की पूजा करता है उसके जीवन में कभी भी धन, वैभव, सुख और समृद्धि की कमी नहीं होती है।
धनतेरस पर सोने के आभूषण, चांदी के सिक्के, बर्तन, कार, मोटरसाइकिल, इलेक्ट्रानिक चीजें और नए कपड़े शुभ मुहूर्त को ध्यान में रखते हुए खरीदे जाते हैं।
धनतेरस पर खरीदारी का शुभ मुहूर्त
पहला मुहूर्त- सुबह 06:31 से अगले दिन सुबह 10: 31 मिनट तक
दूसरा मुहूर्त (अभिजीत मुहूर्त)- सुबह 11:42 दोपहर 12: 27 मिनट तक
तीसरा मुहूर्त- शाम 06:36 से रात 8:32 मिनट तक
धनतेरस पूजा विधि और नियम
धनतेरस पर भगवान धन्वंतरि की 16 क्रियायों से पूजा करने का विशेष महत्व होता है। जिसे षोडशोपचार पूजा विधि कहते हैं। इस दिन सोने-चांदी के सिक्के, आभूषण और बर्तन की खरीदारी की जाती है।
शाम को मुख्य द्वार और आंगन में दीपक जलाए जाते हैं। धनतेरस पर दीपक जलाने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं। इसके अलावा धनतेरस की शाम को यमदेवता के लिए दीपदान किया जाता है।
धनतेरस पूजा शुभ मुहूर्त
शाम 06: 30 से 08: 12 मिनट तक
प्रदोषकाल मुहूर्त
शाम 05: 37 से 08:12 मिनट तक
वृषभ काल मुहूर्त
06: 30 से लेकर 08: 26 मिनट तक
धनतेरस पर क्या खरीदें
- धनतेरस के दिन सोना-चांदी के अलावा बर्तन, वाहन और कुबेर यंत्र खरीदना शुभ होता है।
- इसके अलावा झाड़ू खरीदना भी अच्छा माना जाता है। मान्यता है इस दिन झाड़ू खरीदने से मां लक्ष्मी मेहरबान रहती हैं।
- धनतेरस पर साबुत धनिया जरूर घर ले आएं।
- धनतेरस पर गोमती चक्र भी खरीद सकते हैं। इससे मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं।
धनतेरस पर क्या न खरीदें
- धनतेरस लोहा या लोहे से बनी वस्तुएं घर लाना शुभ नहीं माना जाता है।
- धनतेरस पर एल्युमिनियम या स्टील की वस्तुएं न खरीदें।
- धनतेरस के शुभ अवसर पर शीशे या कांच की बनी चीजें भी बिल्कुल नहीं खरीदनी चाहिए।
- ज्योतिष के अनुसार धनतेरस के दिन चीनी मिट्टी या बोन चाइना की कोई भी वस्तु नहीं खरीदनी चाहिए।
धनतेरस पर करें ये उपाय
- धनतेरस पर भगवान धन्वंतरि, माता लक्ष्मी, कुबेर, यमराज और भगवान गणेश जी की पूजा करें।
- धनतेरस के दिन घर और बाहर 13 दीपक जलाने से बीमारियों को दूर किया जा सकता है।
- दान करना पुण्य कर्म है। धनतेरस के दिन दान करने का विशेष महत्व होता है।
- धनतेरस पर पशुओं की पूजा करने से आर्थिक परेशानियां दूर होती हैं।
कौन है भगवान धन्वंतरि
समुद्र मंथन से चौदह प्रमुख रत्नों की उत्पत्ति हुई जिनमें चौदहवें रत्न के रूप में स्वयं भगवान धन्वन्तरि प्रकट हुए जो अपने हाथों में अमृत कलश लिए हुए थे।
भगवान विष्णु ने इन्हें देवताओं का वैद्य और वनस्पतियों तथा औषधियों का स्वामी नियुक्त किया। इन्हीं के वरदान स्वरूप सभी वृक्षों-वनस्पतियों में रोगनाशक शक्ति का प्रादुर्भाव हुआ। भगवान धन्वन्तरि आरोग्य और औषधियों के देव हैं।