वाशिंगटन। अमेरिका में आज 5 नवंबर दिन मंगलवार को आम चुनाव है। अमेरिकी नागरिक राष्ट्रपति और संसद सदस्यों (कांग्रेस) को अप्रत्यक्ष रूप से चुनने के लिए मतदान में हिस्सा लेंगे। वास्तव में अमेरिकी लोग सीधे तौर पर वोट नहीं देते कि वे किसे राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति बनाना चाहते हैं।
इसके बजाय वे एक समूह के सदस्य यानी इलेक्टोरल कॉलेज के लिए वोट करते हैं। बाद में इलेक्टोरल कॉलेज के सदस्य ‘इलेक्टर’ राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति का चुनाव करते हैं। इलेक्टोरल कॉलेज एक ऐसी व्यवस्था है जिसमें कम वोट पाने वाला उम्मीदवार भी चुनाव जीत सकता है।
अमेरिकी इतिहास में पांच राष्ट्रपति हुए हैं जिन्होंने जनता द्वारा दिए गए ‘पापुलर वोट’ जीते बिना राष्ट्रपति का चुनाव जीता है। ऐसा करने वाले सबसे हाल के राष्ट्रपति 2016 में डोनाल्ड ट्रंप थे।
इलेक्टोरल कॉलेज क्या है और यह कैसे काम करता है?
इलेक्टोरल कॉलेज अमेरिकी चुनावों में एक अहम प्रक्रिया है। इलेक्टोरल कॉलेज के द्वारा अमेरिकी नागरिक अपने-अपने राज्य के निर्वाचकों (इलेक्टर्स) के जरिए अप्रत्यक्ष रूप से अपने राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति का चुनाव करते हैं।
इसे हम भारत के रूप में ऐसे समझें कि लोगों ने अपनी विधानसभा या लोकसभा सीट पर विधायक या सांसद का चुनाव किया और बाद में यही विधायक या सांसद मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री चुन लें। हालांकि, अमेरिकी परिप्रेक्ष्य में चुनावी प्रक्रिया काफी जटिल है।
इस तरह से अमेरिकी लोग राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनने के लिए इलेक्टोरल कॉलेज के लिए वोट करते हैं। बाद में यही इलेक्टर राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति पदों के लिए उनके द्वारा चुने गए उम्मीदवार का समर्थन करते हैं।
पूरे अमेरिका में कुल 538 इलेक्टर हैं। इनमें से अमेरिका के सभी 50 राज्यों से आबादी के आधार पर 535 इलेक्टर और अमेरिकी राजधानी वाशिंगटन, डीसी (डिस्ट्रिक्ट ऑफ कोलंबिया) से तीन अतिरिक्त निर्वाचक होते हैं।
डीसी से अलग इन 535 इलेक्टोरल वोट को समझें तो अमेरिकी संसद की कुल सीटों संख्या 535 है जिनमें से 435 हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव (HOR) और 100 सीनेट के सदस्य हैं। भारत के उदाहरण से समझें तो हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव के सदस्य निचले सदन लोकसभा के सांसद जबकि उच्च सदन सीनेट के सदस्य या सीनेटर राज्यसभा सांसद हुए।
नियमों के मुताबिक, हर राज्य में कम से कम एक या अधिक से अधिक आबादी के अनुसार HOR होंगे, जबकि सीनेटर हर राज्य से दो ही होंगे। यानी चुनाव में हर राज्य से कम से कम तीन इलेक्टोरल वोट तो होंगे ही। राष्ट्रपति चुनाव जीतने के लिए उम्मीदवारों को कुल 538 में से 270 इलेक्टोरल वोट का बहुमत हासिल करना होता है।
अमेरिका के संस्थापकों ने 1787 में संविधान में निर्वाचक मंडल की स्थापना की थी। राष्ट्रीय अभिलेखागार ने उल्लेख किया कि ‘निर्वाचक मंडल’ शब्द देश के ऐतिहासिक दस्तावेज में नहीं है बल्कि ‘निर्वाचक’ शब्द का जिक्र है।
1804 में 12वें अमेरिकी संशोधन के जरिए इलेक्टोरल कॉलेज के कुछ नियमों को बदल दिया गया। इसके तहत महत्वपूर्ण रूप से राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के लिए अलग-अलग इलेक्टोरल वोट डाले जाने की आवश्यकता खत्म कर दी गई।