
नई दिल्ली। झुलसा देने वाली गर्मी के बाद देश के कई हिस्सों में झमाझम बारिश का दौर जारी है। बरसात के इस सुहाने मौसम साथ कई तरह की समस्याएं भी साथ आती हैं। इन दिनों कई तरह के इन्फेक्शन बेहद आम होते हैं। फंगल इन्फेक्शन इन्हीं में से एक है, जो मानसून में कई लोगों के लिए परेशानी बनी रहती है।
क्यों होता है फंगल इन्फेक्शन?
फंगल संक्रमण आमतौर पर कैंडिडा और डर्मेटोफाइट्स जैसे फंगस के कारण होते हैं, जो नम हिस्सों में पनपते हैं। ज्यादा पसीना आना, गीले जूते पहनकर चलना या टाइट कपड़े पहनने से आपको एथलीट फुट, दाद (टिनिया) और त्वचा की सिलवटों में फंगल रैश जैसे इन्फेक्शन का खतरा बढ़ सकता है।
इन लक्षणों को न करें अनदेखा
लाल, खुजलीदार, परतदार या फटी त्वचा
पैर या हाथ के नाखूनों का रंग उड़ना या मोटा होना
बीच में साफ त्वचा वाले गोलाकार चकत्ते
बगल, कमर, स्तनों के नीचे लगातार खुजली
फंगल इन्फेक्शन से ऐसे करें बचाव (tips for Monsoon Fungal Infection)
नहाने के बाद, खासकर पैर की उंगलियों के बीच और शरीर के मोड़ों पर, हमेशा अच्छी तरह से तौलिए से पोंछें।
पसीने से बचने के लिए ढीले और सूती कपड़े ही चुनें।
ज्यादा देर तक गीले कपड़े, मोजे या जूते पहने रहने से बचें।
दिन में दो बार नहाएं, खासकर जिम या बाहरी खेलों के बाद।
नमी कम करने के लिए पैरों, बगलों या कमर जैसे सेंसिटिव हिस्सों पर एंटी-फंगल पाउडर लगाएं।
अपना पर्सनल सामान जैसे तौलिया, मोजे, जूते और रेजर कभी भी शेयर न करें।
बरसात के दिनों में नाखून छोटे और साफ रखें। लंबे नाखूनों के नीचे फंगस आसानी से छिप सकते हैं।
डायबिटीज से पीड़ित लोगों को ज्यादा खतरा होता है, इसलिए उन्हें एक्स्ट्रा सावधानी बरतने की जरूरत है।
बिना डॉक्टर की सलाह के किसी क्रीम का इस्तेमाल न करें क्योंकि उनमें स्टेरॉयड या केराटोलाइटिक तत्व हो सकते हैं, जो अस्थायी राहत तो दे सकते हैं, लेकिन इन्फेक्शन को और बिगाड़ सकते हैं।
कब लें मेडिकल हेल्प?
अगर आपको लगातार खुजली, दाने फैलते हुए या त्वचा का रंग बिगड़ते हुए दिखाई दे, और घरेलू उपचार से कोई सुधार न हो, तो किसी त्वचा विशेषज्ञ से सलाह लें। शुरुआती उपचार से संक्रमण गंभीर होने या बार-बार होने से बच जाता है।