
नई दिल्ली। आज शारदीय नवरात्र का पहला दिन है। यह दिन मां शैलपुत्री की पूजा के लिए समर्पित है, जो हिमालय की पुत्री हैं और मां दुर्गा का प्रथम रूप हैं। इस दिन कलश स्थापना के साथ ही नौ दिनों तक चलने वाले इस महाव्रत की शुरुआत होती है।
इस व्रत का पालन करने से मां दुर्गा की कृपा मिलती है। इसके साथ ही जीवन में शुभता आती है। कलश स्थापना के साथ ही, यह पर्व हमें देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा करने का अवसर देता है। ये नौ दिन आत्म-चिंतन, शुद्धिकरण और भक्ति के प्रतीक हैं। ऐसे में इस दौरान ज्यादा से ज्यादा देवी की पूजा करें।
पूजा विधि
शारदीय नवरात्र के पहले दिन कलश स्थापना का विशेष महत्व होता है।
एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं।
मिट्टी के बर्तन में जौ बोएं।
एक कलश में गंगाजल भरकर उसमें सुपारी, दूर्वा घास, अक्षत और सिक्के डालें।
कलश के मुख पर आम के पत्ते रखें और उस पर नारियल रखें।
कलश को जौ के बर्तन के ऊपर रखें।
देवी दुर्गा का आह्वान करें और नौ दिनों तक उनकी विधिवत पूजा करें।
कुछ साधक इस दौरान नौ दिनों तक उपवास रखते हैं।
देवी दुर्गा की प्रतिदिन सुबह और शाम भाव के साथ आरती करें।
घटस्थापना शुभ मुहूर्त
वैदिक पंचांग के अनुसार, 22 सितंबर को घटस्थापना का शुभ समय सुबह 06 बजकर 09 मिनट से लेकर सुबह 08 बजकर 06 मिनट तक रहेगा। वहीं, अभिजीत मुहूर्त 11 बजकर 49 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 38 मिनट तक रहेगा। इस दौरान भी साधक घटस्थापना कर सकते हैं।
पूजा मंत्र
सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके। शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोस्तुते।।
या देवी सर्वभूतेषु शैलपुत्री रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। पाठक लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें।





