
नई दिल्ली। आज पौष महीने के शुक्ल पक्ष की पुत्रदा एकादशी मनाई जा रही है। हिंदू धर्म में इस एकादशी का विशेष महत्व है।
यह व्रत न केवल संतान की प्राप्ति के लिए किया जाता है, बल्कि संतान के जीवन में आने वाले सभी संकटों को दूर करने और उनकी उन्नति के लिए भी किया जाता है। अगर आप इस दिन भगवान विष्णु की विशेष पूजा करते हैं, तो आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो सकती हैं।
पुत्रदा एकादशी पूजन विधि
- सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और पीले रंग के कपड़े धारण करें।
- हाथ में जल लेकर व्रत का संकल्प करें।
- घर के मंदिर में एक चौकी पर पीला कपड़ा बिछाएं और भगवान विष्णु या लड्डू गोपाल की प्रतिमा स्थापित करें।
- भगवान का दूध, दही, घी, शहद और से अभिषेक कराएं।
- इसके बाद उन्हें शुद्ध जल से स्नान कराकर पीले चंदन का तिलक लगाएं।
- श्री हरि को पीले फूल, ऋतु फल, पीली मिठाई और तुलसी दल अर्पित करें।
- ध्यान रखें, बिना तुलसी के भगवान विष्णु भोग स्वीकार नहीं करते।
- पुत्रदा एकादशी’ की व्रत कथा पढ़ें या सुनें, क्योंकि कथा के बिना एकादशी का फल अधूरा माना जाता है।
- श्री हरि के मंत्रों का जप करें।अंत में आरती करें।
श्री हरि के प्रिय फूल
कमल, पारिजात, मालती, केवड़ा, चंपा, गुलाब, मोगरा, कनेर और गेंदे के फूल आदि।
भगवान विष्णु के प्रिय भोग
पंचामृत और पंजीरी – धनिया की पंजीरी या भुने हुए आटे की पंजीरी का भोग लगाएं। साथ ही भोग में पंचामृत भी शामिल करें।
पीली मिठाई – बेसन के लड्डू, केसर की खीर या पीले फल चढ़ाएं।
मिश्री-माखन – अगर आप बाल गोपाल की पूजा कर रहे हैं, तो उन्हें माखन और मिश्री का भोग लगाएं।
क्या करें और क्या न करें?
इस दिन घर में चावल बनाना और खाना पूरी तरह वर्जित है।
इस दिन पीले अनाज या गरम कपड़ों का दान करने से पुण्य कई गुना बढ़ जाता है।
अगर हो पाए तो इस तिथि की रात को भगवान विष्णु के नामों का भजन-कीर्तन करें।
।।भगवान विष्णु की आरती।।
ॐ जय जगदीश हरे आरती





