श्रीमद्भगवद्गीता वसुधा का अमृत है इसके पान से न विषाद होता है न भय: आचार्य रजनीश भट्ट

लखनऊ। विश्व जागृति मिशन और कबीर शांति मिशन के संयुक्त तत्वावधान में श्रीमद्भगवद्गीता में जीवन दर्शन विषय पर तीन दिवसीय (8,9 और 10 दिसंबर) सत्संग का आयोजन, स्मृति भवन, विपुल खण्ड गोमती नगर लखनऊ में आयोजित किया गया। सत्संग प्रतिदिन अपरान्ह 3 बजे से 5 बजे तक आयोजित किया जा रहा है। आज सत्संग का दूसरा दिन है।

सिध्दि धाम आश्रम (कानपुर बिठूर )के आचार्य श्री रजनीश कथा व्यास जी द्वारा गीता के जीवन दर्शन द्वारा जीवन को उत्कृष्ट और सार्थक कैसे बनाया जा सकता है पर प्रकाश डालते हुए कहा कि जिसको प्रणाम करने के बाद किसी को प्रणाम करने की जरूरत ही नही पड़ती है वह है परमात्मा, यदि आपका संकल्प ठीक है तो दुनियां में कुछ भी असंभव नहीं है, जब आप असहाय महसूस कर रहे हो उस समय जो सहायता करने वाली शक्ति आपके सहायता के लिए आगे आए वही परमात्मा है।

दुनिया का सबसे सफल और उत्कृष्ट धनुर्धारी सारी शक्तियों को धारण करने वाला योद्धा भी अपने परिजनों को युद्ध मैदान में देखकर असहाय और विषाद में डूब जाता है ऐसी परिस्थिति में जो इन विपत्तियों से बाहर निकालता है वह है श्रीमद्भगवद्गीता।

वेद ज्ञान का स्रोत है लेकिन वह ज्ञान सुग्राह्य नहीं है इसलिए गीता में सबकुछ सरल और सुगम है भगवान ने संसार को गीतामृत देने का कार्य किया लेकिन यह अमृत पात्र व्यक्ति को ही मिलता है। यदि भक्त मुझ ईश्वर की शरण में आते हैं तो भगवान श्री कृष्ण गीता में भरोसा देते हैं उनका भरण पोषण मैं स्वयं वहन करता हूं, योगक्षेमम वहाम्यहम ।

आचार्य जी ने एक भजन गाते हुए भक्ति की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि
दाता तेरी भक्ति का सुख है निराला, अमृत पीवै कोई, करे ……..प्रेम का दीपक प्रेम की बाती..
श्रीमद्भगवद्गीता वसुधा का अमृत है इसके पान से न विषाद होता है न भय।

उन्होने आगे कहा कि यदि आध्यात्मिक रूप से हमे ऊपर उठना है तो हमे झुकना सीखना होगा, विनम्र बनना होगा। मीठी वाणी बोलने से, किसी को सम्मान देने से से भी पुण्य प्राप्त होता है। मंत्रों की ध्वनियों से भी नाना प्रकार की व्याधियां नष्ट हो जाती हैं। जीवन में समत्व बहुत जरूरी है, जब तक हम मन को नहीं साधेंगे तब तक कोई बड़ी सफलता नहीं मिल सकती मन को साधना परम् आवश्यक है

संयम रूपी डंडे से और अभ्यास से मन को साधा जा सकता है। हम इस शरीर के धर्म को समझे, इसके विज्ञान को समझें, बिना इसे समझे दुःख हमारे जीवन में आते हैं यदि हमें जीवन को आदर्श, उत्कृष्ट और मानवीय गुणों से युक्त बनाना है तो शिक्षा में गुरुकुल पद्धति अपनानी होगी, हम विचार करें कि हम क्या हैं और क्या होना चाहिए था।

कबीर शान्ति मिशन के सौजन्य से आयोजित आज सतसंग के पहले दिन समस्त भगवत् चरणानुरागी आत्मीय बन्धुओं एवं बहनों ने इस ज्ञान गंगा रूपी सत्संग का लाभ लेने हेतु भारी संख्या में अपनी भागीदारी देकर सत्संग रूपी अमृत का पान किया।

आज के इस भगवद सत्संग में प्रमुख रूप जिनकी उपस्थिति रही उनमें बी के पांडेय, प्रमिल द्विवेदी, डॉ नीता सक्सेना, प्रो कीर्ति नारायण, मीनाक्षी कौल, के डी सिंह, राम निहाल पांडेय, नीरू द्विवेदी, रजनी राय, राजीव प्रधान, डॉ अरुणा सिंह, डॉ अर्चना श्रीवास्तव, श्री रामचंद्र त्रिपाठी, जी पी त्रिपाठी, एके सक्सेना, डॉ मंजूषा आदि सहित विश्व जागृति मिशन और कबीर शांति मिशन के अनेक श्रद्धालुगणों की विशेष उपस्थिति रही।

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