मणिरुपी श्रीमद्भगवद्गीता कथामृत के प्रकाश में होती है आनंद की प्राप्ति: आचार्य रजनीश भट्ट

त्रिदिवसीय श्रीमद्भगवद्गीता सत्संग सम्पन्न

लखनऊ। विश्व जागृति मिशन और कबीर शांति मिशन के संयुक्त तत्वावधान में श्रीमद्भगवद्गीता में जीवन दर्शन विषय पर तीन दिवसीय सत्संग का आयोजन, स्मृति भवन, विपुल खण्ड गोमती नगर लखनऊ में आयोजित किया गया। सत्संग 8 दिसंबर से प्रतिदिन अपरान्ह 3 बजे से 5 बजे तक आयोजित किया जा रहा था। आज सत्संग का तीसरा दिन सम्पन्न हुआ।

सुधांशु जी महाराज ने दिया ऑनलाइन आशीर्वाद

इस अवसर पर विश्व जागृति मिशन के सुधांशु जी महाराज ने मुंबई से ऑनलाइन उपस्थित होकर लखनऊ के श्रृद्धालुओं को सुखी और आनंदित रहने का आशीर्वाद दिया। धन्यवाद ज्ञापन कबीर शांति मिशन के मुख्य समन्वयक राजेश अग्रवाल ने किया।

सबको आशीर्वाद देते हुए सुधांशु जी महाराज ने कहा कि हर आदमी का अपना कोई न कोई फर्ज बनता है उनको सबको याद रखना चाहिए,भगवान को सदैव अपने साथ जोड़कर चलें, दो चीजों से बचना चाहिए, कर्ज से और मर्ज से ध्यान रहे कि जीवन में ये दोनों आपसे दूर रहें, जीवन में इन चार सूत्रों का बड़ा महत्व है इनके प्रति संवेदनशील रहिए जैसे

अर्ज, मर्ज, कर्ज, फर्ज।

युक्ति, मुक्ति, भुक्ति और सूक्ति

धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष ये चार चार शब्द अपने जीवन में उतार लीजिए, आप सबका कल्याण होगा।

सिध्दि धाम आश्रम (कानपुर बिठूर) के आचार्य श्री रजनीश कथा व्यास जी द्वारा गीता के जीवन दर्शन द्वारा जीवन को उत्कृष्ट, ऐश्वर्यवान और सार्थक कैसे बनाया जा सकता है पर प्रकाश डालते हुए कहा कि जिसने परमात्मा का स्मरण किया उन पर ईश्वर की कृपा बरसती है। श्रीमद्भगवद्गीता कथामृत एक मणि के समान है जिसके प्रकाश में हमे आनंद की प्राप्ति होती है उन्होने एक भजन के माध्यम से एक संदेश दिया…

सारे जहां के मालिक,तेरा ही आसरा है, राजी हैं हम उसी में जिसमे तेरी रजा है….

हम क्या बताएं तुझको, सब कुछ तुम्हे ख़बर है ……

बुद्धि सुबुद्धि बनती है भगवान की कृपा से और वह सुबुध्दि मानव को सन्मार्ग पर ले जाती है। हरि का नाम ही जिसका धर्म हो वह नृसिंह भक्त जैसा बन जाता है।

गीता के  अध्याय 18 के दो श्लोक संख्या 65 और 66 मन्मना भव मद भक्तो, मद्याजी माम नमस्करु… और  सर्वधर्मान्परित्यज्य मामेकं शरणं व्रज… हमे जीवन जीना सिखाते हैं, सहज और सरल बनना सिखाते हैं, मन को भगवान मे निमज्जित करने की जरूरत है आप मे भी स्वयं ईश्वरत्व के गुण पनपने लगेंगे। जब तक मन नहीं बदलेगा तब तक जीवन नहीं बदलेगा।

उन्होने आगे कहा कि यदि हमें जीवन को आदर्श, उत्कृष्ट और मानवीय गुणों से युक्त बनाना है तो शिक्षा में गुरुकुल पद्धति अपनानी होगी। कबीर शान्ति मिशन  के सौजन्य से आयोजित आज सतसंग के तीसरे और अंतिम दिन  समस्त भगवत् चरणानुरागी आत्मीय बन्धुओं एवं बहनों ने इस ज्ञान गंगा रूपी श्रीमद्भगवद्गीता कथामृत का पान किया।

आज के इस भगवद सत्संग में प्रमुख रूप जिनकी उपस्थिति रही उनमें बीके पांडेय, राजेश अग्रवाल, प्रमिल द्विवेदी, पं प्रभाकर त्रिपाठी, प्रो कीर्ति नारायण, विश्व जागृति मिशन लखनऊ मंडल की चेयरपर्सन मीनाक्षी कौल, डॉ मधुरिमा प्रधान, राजेश अग्रवाल, के डी सिंह, राम निहाल पांडेय, नीरू द्विवेदी, रजनी राय, राजीव प्रधान, डॉ अरुणा सिंह, डॉ अर्चना श्रीवास्तव, श्री रामचंद्र त्रिपाठी, जी पी त्रिपाठी, पूर्व आईपीएस राधेश्याम त्रिपाठी, डॉ मंजूषा आदि सहित विश्व जागृति मिशन और कबीर शांति मिशन के अनेक श्रद्धालुगणों की विशेष उपस्थिति रही।

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