विवेकानन्द संदेश यात्रा पहुंची गोरखपुर, पुष्प वर्षा जोशीले नारों के साथ हुआ भव्य स्वागत

गोरखपुर। आज़ादी के 75वें अमृत महोत्सव के अंर्तगत और संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार के सौजन्य से तथा विवेकानंद केन्द्र कन्याकुमारी के 50 वर्ष पूर्ण होने पर स्वामी जी के संदेशों को जन जन तक पहुंचाने के उद्देश्य से विवेकानंद संदेश यात्रा उप्र का शुभारंभ स्वामी विवेकानंद जी के जयंती 12 जनवरी 2023 से लखनऊ से शुरू होकर 21 जिलों,7 मंडलों से गुजरती हुई नेता जी सुभाष चन्द्र बोस जयंती पर 23 जनवरी को लखनऊ पहुंचेगी।

यात्रा के इसी क्रम में लखनऊ, बाराबंकी, अयोध्या से गुजरती हुई विवेकानंद संदेश यात्रा आज 14 जनवरी को गोरखपुर पहुंची यहां पर इस यात्रा का पुष्प वर्षा, जोशीले नारों के साथ भव्य स्वागत हुआ।

15 जनवरी की सुबह शोभा यात्रा निकाली गई यह शोभा यात्रा गीडा (GIDA)  से गायत्री शक्तिपीठ, पैडले गंज चौराहा,विवेकानंद चौक, गोरखपुर विवि (विवेकानंद विग्रह), रामकृष्ण मिशन,गुरुद्वारा होते हुए दिग्विजयनाथ स्नातकोत्तर महाविद्यालय परिसर पहुंची।

तत्पश्चात 9 बजकर 15 मिनट पर योग सत्र में योगः कर्मशु कौशलम कार्यक्रम के तहत योग, व्यायाम और प्राणायाम दिग्विजयनाथ स्नातकोत्तर महाविद्यालय गोरखपुर में आयोजित किया गया इसमें शहर के अनेक युवाओं ने भाग लिया। कार्यक्रमों की अगली कड़ी में ‘सहस्त्राब्दि लक्ष्यों की प्राप्ति में युवाओं की भूमिका’ विषयक संगोष्ठी का आयोजन किया गया।

कार्यक्रम का शुभारंभ मंचासीन अतिथियों के स्वागत और दीप प्रज्वलन से हुआ। इस विमर्श कार्यक्रम के मुख्य वक्ता प्रांत प्रचारक सुभाष थे, अध्यक्षता शहर की पूर्व महापौर श्रीमती अंजु चौधरी और संचालन विवेकानंद केन्द्र गोरखपुर के पवित्र नारायण शुक्ल ने किया, धन्यवाद ज्ञापन दिग्विजयनाथ स्नातकोत्तर महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. ओम प्रकाश सिंह जी ने किया।

मुख्य वक्ता सुभाष ने अपने उद्बोधन में कहा कि हनुमान जी और शिवा जी से शिक्षा लेकर जो आगे बढ़ा वह स्वामी विवेकानंद जी थे वांग्मय और दर्शन पढ़ना कठिन है किंतु विवेकानंद जी के व्यवहार में साक्षात इनकी शिक्षा झलकती थी, भारत के जीवन के दो आधार, सादा जीवन उच्च विचार  का नारा दिया। शिक्षा और कृपा के बिना व्यक्ति महान नहीं होता स्वामी जी को ये दोनो गुण प्राप्त थे।

विनम्रता और समर्पण श्रद्धा से प्राप्त होती है स्वामी जी ने इन्हे अपने जीवन उतारा इन गुणों से नरेन्द्र विवेकानंद बने। हजारों लक्ष्य हमारे चरणों में आ जाएंगे यदि हमारे जीवन में अध्यात्म का समावेश हो जाय इससे हम संस्कारवान, संयमी, साधक, स्वाध्यायी और चरित्रवान बनेंगे। 

स्वामी जी की ये छः बातें अपने जीवन उतारिए सभी लक्ष्य आपके कदमों में होंगे जैसे विघटन मत करिए,सामान्यजन का उत्थान करिए,अपने भूतकाल को जानिए,अपने महापुरुषों का सम्मान करिए,शिक्षा मूलभूत आवश्यकता है और युवा आगे आवें।

विशिष्ट अतिथि लालमणि त्रिपाठी ने अपने उद्बोधन कहा कि देवभूमि भारतभूमि में एक दिव्य मानव का जन्म हुआ वे थे स्वामी विवेकानंद जी इनकी विचारधाराएं मानव जीवन के कल्याण में सहायक हैं, राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान हैं इनके सन्देश युवाओं के लिए प्रासंगिक हैं। स्वामी जी जीवन के इन चार आयामों को अपनाने की सलाह दी है शारीरिक शक्ति ,सामाजिक,बौद्धिक संधान,अध्यात्मिक  शक्तियों में से एक रास्ते पर चलकर अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर सकता है ।

अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में श्रीमती अंजु चौधरी ने कहा कि आज के कार्यक्रम से युवाओं को बहुत लाभ होगा युवाओं को विवेकानंद जी के संदेशों का अनुसरण करके राष्ट्र निर्माण में में अपना योगदान दें।

विमर्श के बाद शोभा यात्रा निकाली गई, शोभा यात्रा में शहर के विभिन्न स्कूल कॉलेजेस के सैकड़ों युवाओं सहित स्थानीय नागरिकों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया शोभा यात्रा दिग्विजयनाथ स्नातकोत्तर महाविद्यालय गोरखपुर से सिविल लाइंस, गुरूद्वारा, सुकरौली, हाटा, कुशीनगर कसया होते हुए पड़रौना के लिए प्रस्थान किया।

विवेकानन्द संदेश यात्रा उत्तर प्रदेश के बारे में

आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर स्वामी जी के राष्ट्रीय चेतना जागृत करने वाले विचारों को जन – जन तक ले जाने हेतु विवेकानंद केंद्र कन्याकुमारी उत्तर प्रदेश के तत्वाधान में एवं भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के सौजन्य से इस यात्रा का आयोजन किया जा रहा है।

यह यात्रा स्वामी जी की जयंती 12 जनवरी से लखनऊ से से प्रारंभ होकर नेता जी सुभाष चंद्र बोस की जयंती 23 जनवरी तक उत्तर प्रदेश के 21 जिलों (लखनऊ, बाराबंकी, अयोध्या, बस्ती, संत कबीर नगर, गोरखपुर, कुशीनगर, देवरिया, मऊ, गाजीपुर, वाराणसी, जौनपुर, संत रविदास नगर, प्रयागराज, कौशाम्बी, चित्रकुट, बांदा, फतेहपुर, कानपुर नगर, कानपुर देहात, उन्नाव) का भ्रमण करते हुए लखनऊ में लखनऊ विश्वविद्यालय के मालवीय सभागार में समापन समारोह आयोजित होगा।

इस यात्रा में युवाओं हेतु योग व्यायाम, स्वामी जी के विचारों पर आधारित बौद्धिक विमर्श, शोभा यात्रा द्वारा प्रचार प्रसार आदि कार्यक्रम संचालित किए जायेंगे।

यात्रा का मूल उद्देश्य युवाओं के उत्साह ऊर्जा एवं निष्ठा को राष्ट्र पुनर्निर्माण की दिशा में प्रेरित करना है। विवेकानंद केंद्र की कार्य पद्धति से जुड़कर अपने व्यक्तित्व के सर्वांगीण विकास के साथ साथ समाज एवं राष्ट्रीय पुनर्निर्माण मे अपना अमूल्य योगदान दे सकते है।

यात्रा को तीन जोन में व्यवस्था की दृष्टि से बाटा गया है। प्रथम जोन लखनऊ से कुशीनगर, द्वितीय जोन कुशीनगर से प्रयागराज, तीसरा जोन प्रयागराज से लखनऊ है। यात्रा टोली में मध्यप्रदेश, दिल्ली और उत्तर प्रदेश के लगभग पंद्रह लोग शामिल हैं।

इस यात्रा मे शोभायात्रा, विमर्श एवं योग, व्यायाम और प्राणायाम की गतिविधियों को संचालित करेंगे। इस हेतु प्रत्येक जिले में स्वागत समिति, शोभायात्रा समिति, योग समिति, व्यवस्था समिति का गठन किया गया है। जो जिले स्तर की सभी गतिविधियों के संचालन के दायित्व का निर्वहन करेंगे।

विवेकानंद संदेश यात्रा उप्र के माध्यम से हम लोग बारह दिन मे 7 मंडल और 21 इक्कीस जिले को आच्छादित करते हुए लगभग दस करोड़ 10 करोड़ लोगो तक स्वामी विवेकानंद का संदेश मनुष्य निर्माण से राष्ट्र पुनर्निर्माण के जीवंत संदेश को पहुंचना यात्रा का प्रमुख उद्देश्य है।

विभिन्न संचार माध्यमों द्वारा इस संकल्प की सिद्धि का प्रयास किया जा रहा है। जिसके तहत यात्रा की दैनिक प्रगति संबंधी सूचनाएं हेतु एक समर्पित वेबसाइट http.up.vkendra.org पर देखा जा सकता है।

उप्र के अलावा इससे पूर्व विवेकानंद केन्द्र राजस्थान प्रांत में 19 नवंबर को खेतड़ी भारत के माननीय उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और विवेकानंद केंद्र के राष्ट्रीय अध्यक्ष बाला कृष्णनन ने शुभारंभ किया था और समापन जोधपुर में केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत और विवेकानंद केंद्र की उपाध्यक्ष सुश्री निवेदिता भिड़े ने किया था। यह यात्रा राजस्थान के 33 जिलों से होकर गुजरी थी तथा पूर्णता में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बधाई और शुभकामना संदेश दिया।

Back to top button