अयोध्या। धर्मनगरी अयोध्या की रामजन्मभूमि में भव्य राममंदिर का निर्माण लगभग 60 फीसदी हो चुका है। उम्मीद है कि 15 जनवरी 2024 को रामलला विराजमान हो जाएंगे और भक्तों को दर्शन देंगे। इसी क्रम में श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने लोगों के लिए सुविधाएं विकसित करने की कवायद तेज कर दी है।
वहीं सुरक्षा कारणों के चलते ट्रस्ट रामजन्मभूमि में म्यूजियम नहीं बनाना चाहता। इसके लिए ट्रस्ट सरयू तट स्थित रामकथा संग्रहालय को अपने अधीन लेने की योजना बना रहा है। ट्रस्ट सूत्रों ने बताया कि राममंदिर निर्माण समिति के चेयरमैन नृपेंद्र मिश्र द्वारा इसको लेकर शासन को पत्र भी भेजा चुका है। जिसमें रामकथा संग्रहालय को ट्रस्ट के अधीन करने की सिफारिश की गई है।
ट्रस्ट का मानना है कि रामजन्मभूमि परिसर में म्यूजियम (संग्रहालय) बनाना सुरक्षा कारणों से संभव नहीं है। यहां म्यूजियम बनने से बड़ी संख्या में लोग इसे देखने आएंगे, जो सुरक्षा प्रबंधों के लिहाज से ठीक नहीं होगा। साथ ही ट्रस्ट चाहता है कि विकास योजनाओं का दोहराव भी न हो।
जो योजना पहले से अयोध्या में है उसे रामजन्मभूमि परिसर में विकसित करने की कोई जरूरत नहीं है। इसीलिए सरयू तट पर निर्मित रामकथा संग्रहालय को ही ट्रस्ट अपने अधीन लेकर यहां म्यूजियम विकसित करने की तैयारी पर लगा हुआ है। इसके लिए शासन से अनुमति मांगी गई है। राममंदिर ट्रस्ट जो म्यूजियम बनाएगा उसमें खोदाई से मिली कलाकृतियां सहेजी जाएंगी ताकि राममंदिर के पांच सौ सालों के संघर्ष से युवा पीढ़ी भी रूबरू हो सके।
राममंदिर के ट्रस्टी डॉ.अनिल मिश्र बताते हैं कि राममंदिर निर्माण के लिए करीब 50 फीट गहराई तक की गई नींव की खोदाई के दौरान चरण पादुका सहित प्राचीन पाषाण व कुड खंडित मूर्तियों के अवशेष प्राप्त हुए हैं। कुछ पत्थर ऐसे भी मिले हैं जिन पर नक्काशी की गई है वह मूर्तियों की तरह हैं।
उन्होंने बताया कि गर्भगृह स्थल पर खोदाई के दौरान पुरातात्विक मूर्तियां, खंभे और चार फीट का शिवलिंग मिला था, जो अद्भुत है। इसे कुबेर टीला पर स्थापित किया गया है। कुछ कलाकृतियां कमिश्नर के यहां हैं, कुछ सुप्रीम कोर्ट ने लॉक करा दी गई हैं। जितनी कलाकृतियां मिली हैं, उन्हें देखने के लिए कोर्ट की अनुमति लेनी पड़ती है। जब म्यूजियम बन जाएगा, तब उसमें इन्हें प्रदर्शित किया जाएगा।
रामकथा संग्रहालय में सुरक्षित हैं 150 से अधिक पुरावशेष
रामकथा संग्रहालय में पहले से राममंदिर के पुरावशेषों को सुरक्षित रखा गया है। संग्रहालय की दो गैलरियों में ये अवशेष सहेजे गए हैं। 22 जुलाई 1992 में केंद्र व प्रदेश सरकारों के सहयोग से विहिप की ओर से अधिग्रहीत परिसर में कारसेवा कराई गई थी।
इस दौरान राम चबूतरे के निर्माण के लिए करीब 12 फीट खोदाई कराई गई। इस खोदाई में 150 से अधिक पुरावशेष मिले थे जो कि किसी प्राचीन हिंदू मंदिर के थे। इनमें कई कलाकृतियां व स्तंभ भी थे। इन सभी पुरावशेषों को अंतरराष्ट्रीय रामकथा संग्रहालय में ही संग्रहित कराया गया है।