रामचरितमानस पर स्वामी प्रसाद मौर्य का विवादित बयान, अपर्णा यादव ने किया पलटवार  

बुलंदशहर। सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य भी बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर की राह पर चल पड़े हैं। मौर्य ने भी रामचरितमानस पर विवादित बयान दिया, जिस पर भाजपा नेता अपर्णा यादव ने पलटवार किया है। अपर्णा ने कहा कि आज भी भारत में कहा जाता है कि बेटा हो तो राम जैसा हो, राम भारत के चरित्र हैं और राम किसी एक धर्म या मजहब के नहीं है। शबरी के जूठे बेर खाकर श्रीराम ने कास्ट बैरियर को तोड़ा।

स्वामी प्रसाद पर हमला बोलते हुए अपर्णा ने कहा कि उन्होंने रामचरितमानस को पढ़ा ही नहीं। एक राजनेता की ओर से रामचरितमानस पर इस तरह की टिप्पणी करना उनकी निकृष्ट मानसिकता को दर्शाता था। ये वे अपने चरित्र के बारे में बता रहे हैं।

अपर्णा यादव कल रविवार को बुलंदशहर में कोतवाली नगर क्षेत्र के नुमाइश ग्राउंड में एक शाम सांवरिया सेठ कार्यक्रम में पहुची थीं। इस दौरान उन्होंने स्वामी प्रसाद मौर्य पर यह प्रतिक्रिया दी।

क्या कहा था स्वामी प्रसाद मौर्य ने

स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा था कि रामचरितमानस के कुछ हिस्सों पर मुझे आपत्ति है। किसी भी धर्म में किसी को गाली देने का हक नहीं है। उन्होंने कहा था कि तुलसीदास की रामायण में एक चौपाई है, जिसमें शूद्रों को अधम जाति का बताया गया है। धर्म के नाम पर विशेष जाति का अपमान किया गया है।

कुछ पंक्तियों में कुछ जातियों का नाम लिया गया

मौर्य ने कहा था कि धर्म का वास्तविक अर्थ मानवता के कल्याण और उसकी मजबूती से है। अगर रामचरितमानस की किन्ही पंक्तियों के कारण समाज के एक वर्ग का जाति, वर्ण और वर्ग के आधार पर अपमान होता हो तो यह निश्चित रूप से धर्म नहीं बल्कि अधर्म है। रामचरितमानस में कुछ पंक्तियों में कुछ जातियों जैसे कि तेली और कुम्हार का नाम लिया गया है।

‘महिलाओं की चिंता क्यों नहीं होती’

मौर्य ने कहा कि इन जातियों के लाखों लोगों की भावनाएं आहत हो रही हैं। इसी तरह से रामचरितमानस की एक चौपाई यह कहती है कि महिलाओं को दंड दिया जाना चाहिए। यह उन महिलाओं की भावनाओं को आहत करने वाली बात है, जो हमारे समाज का आधा हिस्सा हैं।

अगर तुलसीदास की रामचरितमानस पर वाद-विवाद करना किसी धर्म का अपमान है तो धार्मिक नेताओं को अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों, अन्य पिछड़े वर्गों और महिलाओं की चिंता क्यों नहीं होती? क्या यह वर्ग हिंदू नहीं है? रामचरितमानस के आपत्तिजनक हिस्सों, जिनसे जाति वर्ग और वर्ण के आधार पर समाज के एक हिस्से का अपमान होता है उन्हें प्रतिबंधित कर दिया जाना चाहिए।

क्या बोले थे बिहार के शिक्षा मंत्री

बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने 11 जनवरी को नालंदा मुक्त विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में ‘‘श्रीरामचरितमानस को समाज में नफरत फैलाने वाला ग्रंथ बताया था।’’ उनके इस बयान पर काफी विवाद हुआ था।

सपा ने कहा कि सभी धर्मों का सम्मान करती है पार्टी

इस बीच, मौर्य के इस बयान के बारे में पूछे जाने पर सपा प्रवक्ता फखरुल हसन ने कहा कि पार्टी सभी धर्मों और परंपराओं का सम्मान करती है। स्वामी प्रसाद मौर्य द्वारा की गई टिप्पणी उनके निजी विचार हैं, उनका पार्टी से कोई लेना देना नहीं है। सपा युवाओं, बेरोजगारों और महिलाओं के हक की आवाज उठाती है।

Back to top button