अध्यात्मिक शक्तियों के बल पर स्वामी विवेकानंद ने भारत को पूरे विश्व में दी पहचान: बृजेश पाठक

21 जिलों का भ्रमण कर वापस लौटी विवेकानंद संदेश यात्रा उप्र

लखनऊ। आज़ादी के अमृत महोत्सव के अंर्तगत और संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार के सौजन्य से तथा विवेकानंद केन्द्र कन्याकुमारी के 50 वर्ष पूर्ण होने पर स्वामी जी के संदेशों को जन जन तक पहुंचाने के उद्देश्य से विवेकानंद संदेश यात्रा उप्र का शुभारंभ स्वामी विवेकानंद जी के जयंती 12 जनवरी 2023 से लखनऊ से शुरू होकर 21 जिलों,7 मंडलों से गुजरती हुई नेता जी सुभाष चन्द्र बोस जयंती पर 23 जनवरी आज लखनऊ पहुंची।

लखनऊ पहुंचने पर लखनऊ विश्वविद्यालय के मालवीय सभागार में यात्रा के कर्मवीर यात्रियों का भव्य स्वागत समारोह आयोजित किया गया।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि उत्तर प्रदेश सरकार के उप मुख्यमंत्री बृजेश पाठक थे और कार्यक्रम का संचालन प्रो शीला मिश्रा ने किया,अध्यक्षता मेजर जनरल एके चतुर्वेदी, हनुमंत राव राष्ट्रीय उपाध्यक्ष विवेकानंद केंद्र कन्याकुमारी विशिष्ट अतिथि, प्रान्त संचालक दयानंद लाल यात्रा प्रमुख, भानु प्रताप सिंह यात्रा संयोजक, कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन से हुआ। भानु प्रताप सिंह जी ने अपने उद्बोधन में पूरी यात्रा प्रारम्भ और पूर्ण होने तक के प्रगति पर प्रकाश डालते हुए यात्रा में शामिल सभी यात्रियों का स्वागत एवं बधाई दी।

उप मुख्यमंत्री बृजेश पाठक जी ने अपने उद्बोधन में कहा कि स्वामी विवेकानंद जी ने अपने अध्यात्मिक शक्तियों के बल पर विपरीत परिस्थितियों में भी भारत को पूरे विश्व में एक पहचान दी। भारत की गौरवशाली संस्कृति की रक्षा मे हमारे यशश्वी प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी का भी बड़ा योगदान है। कोविड महामारी मे भारत की ताक़त का जिक्र करते हुए सभी को शुभ कामनाएं दी।

विवेकानंद केंद्र कन्याकुमारी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हनुमंत राव ने अपने उद्बोधन में कहा कि जीवन दो प्रकार का होता है, सफल जीवन और सार्थक जीवन, सार्थकता जीवन का परम लक्ष्य होना चाहिए, स्वामी विवेकानंद जी के सन्देश मे चार खंभे हैं ये चार दिव्य गुण हैं निरहंकार, निर्ममता,त्याग,सेवा जो भी इन चार बिंदु को अपनाएगा उसका जीवन सार्थक बन जायेगा।

मेजर जनरल अजय कुमार चतुर्वेदी ने कहा कि आज मैं अपने श्रद्धा सुमन नेता जी सुभाष चन्द्र बोस को देता हूं। दुर्भाग्य से लगभग 8 हज़ार वर्ष तक की पुरानी गुलामी की मानसिकता तोड़ी, स्वामी जी ने कहा था कि देश को जागने की जरूरत है, इस समाज में कोई भी काम कमतर नहीं है।

गर्व से कहो कि हम भारतीय हैं स्वामी जी के इस सन्देश को कई महापुरुषों ने अपनाया यह सन्देश आज भी प्रासंगिक है। विवेकानन्द संदेश यात्रा को गंभीरता से लिया जाना चाहिए इसके प्रति तटस्थता ठीक नहीं जो तटस्थ हैं इतिहास उनको। सन्देश यात्रियों को संबोधित करते हुए कहा कि आप ही चेंज एजेंट हो अपने काम में गर्व करो बदलाव अवश्य आयेगा।

विवेकानन्द संदेश यात्रा उत्तर प्रदेश के बारे में

आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर स्वामी जी के राष्ट्रीय चेतना जागृत करने वाले विचारों को जन – जन तक ले जाने हेतु विवेकानंद केंद्र कन्याकुमारी उत्तर प्रदेश के तत्वाधान में एवं भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के सौजन्य से इस यात्रा का आयोजन किया गया।

यह यात्रा स्वामी जी की जयंती 12 जनवरी से लखनऊ से से प्रारंभ होकर नेता जी सुभाष चंद्र बोस की जयंती 23 जनवरी तक उत्तर प्रदेश के 21 जिलों( लखनऊ, बाराबंकी,अयोध्या, बस्ती,संत कबीर नगर, गोरखपुर, कुशीनगर, देवरिया, मऊ, गाजीपुर, वाराणसी, जौनपुर, संत रविदास नगर, प्रयागराज, कौसांबी, चित्रकुट, बांदा,फतेहपुर,कानपुर नगर, कानपुर देहात, उन्नाव) का भ्रमण करते हुए लखनऊ में लखनऊ विश्वविद्यालय के मालवीय सभागार में समापन समारोह आयोजित किया गया।

इस यात्रा में युवाओं हेतु योग व्यायाम, स्वामी जी के विचारों पर आधारित बौद्धिक विमर्श, शोभा यात्रा द्वारा प्रचार प्रसार आदि कार्यक्रम संचालित किए जाते थे।

यात्रा का मूल उद्देश्य युवाओं के उत्साह ऊर्जा एवं निष्ठा को राष्ट्र पुनर्निर्माण की दिशा में प्रेरित करना है। विवेकानंद केंद्र की कार्य पद्धति से जुड़कर अपने व्यक्तित्व के सर्वांगीण विकास के साथ साथ समाज एवं राष्ट्रीय पुनर्निर्माण मे अपना अमूल्य योगदान दे सकें।

यात्रा को तीन जोन में व्यवस्था की दृष्टि से बाटा गया था। प्रथम जोन लखनऊ से कुशीनगर, द्वितीय जोन कुशीनगर से प्रयागराज, तीसरा जोन प्रयागराज से लखनऊ रहा। यात्रा टोली में मध्यप्रदेश, दिल्ली और उत्तर प्रदेश के लगभग पंद्रह लोग शामिल रहे। इस यात्रा मे शोभायात्रा, विमर्श एवं योग, व्यायाम और प्राणायाम की गतिविधियों को संचालित किया जाता था। इस हेतु प्रत्येक जिले में स्वागत समिति, शोभायात्रा समिति, योग समिति, व्यवस्था समिति का गठन किया गया था। जो जिले स्तर की सभी गतिविधियों के संचालन के दायित्व का निर्वहन कर रहे थे।

विवेकानंद संदेश यात्रा उत्तर प्रदेश के माध्यम से हम लोग बारह दिन मे 7 मंडल और 21 इक्कीस जिले को आच्छादित करते हुए लगभग दस करोड़ 10 करोड़ लोगो तक स्वामी विवेकानंद का संदेश मनुष्य निर्माण से राष्ट्र पुनर्निर्माण के जीवंत संदेश को पहुंचना यात्रा का प्रमुख उद्देश्य को पूर्ण करने में सफल रहे। विभिन्न संचार माध्यमों द्वारा इस संकल्प की सिद्धि का प्रयास किया गया। उत्तर प्रदेश के अलावा इससे पूर्व

विवेकानंद केन्द्र राजस्थान प्रांत  में 19 नवंबर को खेतड़ी भारत के उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और विवेकानंद केंद्र के राष्ट्रीय अध्यक्ष बाला कृष्णनन ने शुभारंभ किया था और समापन जोधपुर में केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत और विवेकानंद केंद्र की उपाध्यक्ष सुश्री निवेदिता भिड़े ने किया था। यह यात्रा राजस्थान के 33 जिलों से होकर गुजरी थी तथा पूर्णता में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने बधाई और शुभकामना संदेश दिया।

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