मप्र विस चुनाव : तीन एग्जिट पोल में बीजेपी की आंधी, कांग्रेस की हालत पतली

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भोपाल। मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए एग्जिट पोल जारी हो गए हैं। राज्य के ज्यादातर एग्जिट पोल में फिर से बीजेपी की सरकार बनने का दावा किया गया है। दो एग्जिट पोल में तो बीजेपी को 150 सीटों से ज्यादा आंकड़े दिखाए गए हैं।

वोटिंग से पहले राज्य में दावा किया जा रहा था कि कांटे की टक्कर है, लेकिन एग्जिट पोल में बीजेपी को बंपर बढ़त मिलती दिख रही है। ऐसे में जानते हैं कि वे कौन से पांच कारण है जिस कारण से शिवराज सिंह चौहान एक बार फिर से कमलनाथ पर भारी पड़ते दिखाई दे रहे हैं।

न्यूज-24 चाणक्य ने अपने एग्जिट पोल में बीजेपी को 151 सीटें मिलने का अनुमान लगाया है। वहीं, इंडिया टुडे माय एक्सिस ने अपने एग्जिट पोल में बीजेपी को 140 से 162 सीटें मिलने का अनुमान लगाया है।

ऐसे में आइए जानते हैं कौन से वो पांच कारण हैं जिससे एमपी में एक बार फिर से बीजेपी की सरकार बनने का दावा किया जा रहा है।

महिला वोटर्स

मप्र विधानसभा चुनाव में बीजेपी-कांग्रेस ने महिला वोटर्स पर फोकस किया। बीजेपी ने विधानसभा चुनाव से पहले लाडली बहना योजना की शुरुआत की। इस योजना का पहले से ही गेम चेंजर योजना माना जा रहा था। इस योजना का तहत पात्र महिलाओं को हर महीने 1250 रुपए मिल रहे हैं। महिला वोटर्स ने इस बार वोटिंग भी जमकर की। एग्जिट पोल के रुझान के अनुसार, महिला वोटर्स ने बीजेपी के पक्ष में वोटिंग की।

किसान पर फोकस

बीजेपी ने विधानसभा चुनाव के लिए किसानों पर फोकस किया। बीजेपी ने अपने घोषणा पत्र में धान का समर्थन मूल्य 3100 रुपए प्रति क्विंटल में खरीदने की घोषणा की। वहीं, कांग्रेस इस मामले में भी बीजेपी से पीछे रह गई।

संगठन की भूमिका

मप्र विधानसभा चुनाव में बीजेपी का राष्ट्रीय संगठन पूरी तरह से सक्रिय रहा। अमित शाह लगातार बैठकें और मीटिंग करके विधानसभा चुनाव के लिए योजना बनाते रहे। पीएम मोदी ने भी मध्यप्रदेश में खास ध्यान दिया। पीएम मोदी ने एमपी के अलग-अलग इलाकों में 14 रैलियां की। बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व के सारे नेता एमपी में एक्टिव थे। वहीं, कांग्रेस की तरफ से केवल कमलनाथ ही सक्रिय दिखाई दिए।

गुटबाजी को खत्म करना

बीजेपी ने रणनीति के तहत राज्य में आचार संहिता लगने से पहले ही अपने उम्मीदवारों की सूची जारी कर दी। सूची जारी होने के बाद कई सीटों पर विरोध भी सामने आया लेकिन बीजेपी ने वक्त रहते कई सीनियर नेताओं को नामांकन से पहले मना लिया जिसका असर दिखाई दिया। वहीं, कांग्रेस के कई बागी नेता टिकट नहीं मिलने से अलग-अलग पार्टियों या निर्दलीय चुनाव लड़ गए।

चेहरे पर सस्पेंस

बीजेपी ने इस विधानसभा चुनाव में चेहरे पर सस्पेंस बनाकर रखा। शिवराज सिंह चौहान के चेहरे को घोषित किए बिना चुनाव लड़ा। वहीं, कांग्रेस ने पूरा चुनाव कमलनाथ के नेतृत्व में लड़ा। विधानसभा चुनाव के दौरान सबसे ज्यादा कांग्रेस की तरफ से कमलनाथ ही दिखाई दिए।

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