यूएन एजेंसी पर हमास के हमले में मदद करने का आरोप, कई देशों ने रोकी फंडिंग

तेल अवीव। अमेरिका समेत कई देशों ने संयुक्त राष्ट्र की शरणार्थियों के लिए काम करने वाली एजेंसी की फंडिंग रोक दी है। दरअसल इस्राइल ने दावा किया है कि हमास द्वारा उनके देश पर 7 अक्तूबर को किए गए हमले में यूएन एजेंसी के स्टाफ ने भी मदद की थी। 

जिन देशों ने फंडिंग रोकी है, उनमें अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, ब्रिटेन, जर्मनी, इटली, नीदरलैंड, स्विट्जरलैंड और फिनलैंड शामिल हैं। जिस एजेंसी की फंडिंग रोकी गई है, वह यूएनआरडब्लूए (UNRWA) है।

‘इसका दाग हम सब पर लगेगा’

UNRWA शरणार्थियों के लिए काम करने वाली एजेंसी हैं और गाजा में मानवीय मदद पहुंचाने में इसकी अहम भूमिका है। यही वजह है कि जब देशों ने एजेंसी की फंडिंग  रोकने का एलान किया तो एजेंसी के कमिश्नर जनरल फिलिप लाजारनी ने इस पर दुख जताया और कहा कि ‘गाजा के फिलस्तीनियों को अब और सजा नहीं मिलनी चाहिए। इसका दाग हम पर सब पर लगेगा।’

लाजारनी ने कहा कि फंडिंग रोकने के फैसले से उनके द्वारा किए जा रहे मानवीय कार्य प्रभावित होंगे और खासकर गाजा में समस्या बढ़ेगी। UNRWA ने शुक्रवार को बताया कि इसके स्टाफ पर जो आरोप लगे हैं, उसकी जांच की जा रही है।

1948 में शरणार्थियों की मदद के लिए हुआ था UNRWA का गठन

इस्राइल के विदेश मंत्री इस्राइल काट्ज ने UNRWA पर आरोप लगाते हुए कहा कि इस एजेंसी के इस्लामिक आतंकियों से संबंध हैं और उन्होंने सलाह दी कि गाजा में लड़ाई समाप्त होने के बाद इस एजेंसी को किसी दूसरी एजेंसी से बदल देना चाहिए।UNRWA का गठन साल 1948 में गाजा, लेबनान, जॉर्डन, सीरिया के शरणार्थियों की मदद के लिए बनाया गया था। इस्राइल द्वारा गाजा पर हमले के बाद से यही एजेंसी फिलस्तीनियों को मानवीय मदद पहुंचा रही है।

फिलस्तीन लिबरेशन ऑर्गेनाइजेशन (PLO) के प्रमुख हुसैन अल शेख ने कहा कि एजेंसी की मदद रोकने से गाजा में गंभीर राजनीतिक और मानवीय मदद संबंधी संकट पैदा हो सकता है। उन्होंने फंडिंग रोकने वाले देशों से अपना फैसला वापस लेने की अपील की। यूएनआरडब्लूए में सबसे बड़ा दानदाता जर्मनी है और उसने जांच का स्वागत किया है। जर्मनी ने कहा है कि ‘वह इस्राइल के आरोपों से बेहद चिंतित हैं और हम यूएन एजेंसी के स्टाफ में किसी भी तरह की हिंसा को बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करेंगे।’

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