जनसंख्या नियंत्रण बनेगा बड़ा एजेंडा,बजट में है जिक्र; PM मोदी भी दे चुके हैं संकेत

नई दिल्ली। कल गुरुवार को पेश अंतरिम बजट की सबसे अहम बातों में एक रहा जनसंख्या नियंत्रण की दिशा में सरकार का अब निर्णायक पहल करने का संकेत। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि सरकार जनसंख्या वृद्धि और डेमोग्राफिक चेंज से पैदा होने वाली चुनौतियों से निबटने के लिए सरकार एक कमिटी का गठन करेगी।

उन्होंने कहा कि समिति को ‘विकसित भारत’ के लक्ष्य के संबंध में इन चुनौतियों से व्यापक रूप से निपटने के लिए सिफारिशें करने का काम सौंपा जाएगा। इसका साफ संदेश गया कि अगर मोदी सरकार तीसरे टर्म में आती है तो उनके अजेंडे में यह एक सबसे अहम बात होगी।

पीएम मोदी खुद दे चुके हैं संकेत

ऐसा नहीं है कि वित्त मंत्री ने अचानक बजट में इस बारे में संकेत दिया। पिछले दिनों पीएम नरेन्द्र मोदी खुद इस दिशा में बोल चुके हैं। उन्होंने पिछले दिनों जनसंख्या नियंत्रण बजट की बात को सार्वजनिक बहस का मुद्दा बनाने की पहल की। पीएम मोदी ने लाल किले से कहा था कि हमारे यहां जो जनसंख्या विस्फोट हो रहा है, ये आने वाली पीढ़ी के लिए संकट पैदा करता है।

पीएम ने जनसंख्या विस्फोट को सबसे बड़ा चिंताजनक ट्रेंड बताते हुए छोटे परिवार की परिकल्पना को देशभक्ति से जोड़ा था। दरअसल जनसंख्या नियंत्रण बीजेपी और संघ दोनों के लिए सबसे अहम एजेंडा रहा है। सरकार और पार्टी के अंदर मानना है कि राम मंदिर, धारा 370 सहित कई अहम मुद्दे सुलझ गए हैं। इसके बाद 2024 में अगर सत्ता में आती है तो जनसंख्या नियंत्रण का काम आगे लाया जाएगा।

करुणाकरण कमिटी की रिपोर्ट पहले से मौजूद

दरअसल, पिछले तीन दशक से जनसंख्या नियंत्रण के लिए क्या-क्या प्रभावी कदम उठाए जा सकते हैं इस बार बहस जारी है। 1991 में सीनियर कांग्रेस नेता के करुणाकरण के नेतृत्व में एक कमिटी ने जनसंख्या नियंत्रण की दिशा में जो सुझाव दिए थे उसमें जनप्रतिनिधियों के लिए यह शर्त अनिवार्य रूप से लागू करने को कहा गया था कि उनके दो से अधिक बच्चे नहीं हों। लेकिन वह प्रस्ताव लागू नहीं हो सका।

हालांकि टुकड़ों-टुकड़ों में कुछ राज्यों ने पंचायत स्तर पर इसकी कोशिश जरूर की। उसी रिपोर्ट से इनपुट लेते हुए मोदी सरकार ने भी पिछले दिनों कानून मंत्रालय को इस दिशा में बेहतर कानून के विकल्प तलाशने को कहा था। अब बजट में वित्त मंत्री ने एक कमिटी गठन का प्रस्ताव देकर ठोस संकेत दे दिया कि इस संवदेनशील मसले पर सरकार निर्णायक तरीके से आगे बढ़ने को तैयार है।

चुनौतियां भी हैं

जनसंख्या नियंत्रण पर हालांकि आगे बढ़ने की बात जरूर की गई है, लेकिन आगे का रास्ता सहज नहीं है। सबसे पहले जनसंख्या के आंकड़ों को पेश करना होगा जिससे इस पहल को जस्टिफाय किया जा सके। 2011 के बाद देश में जनगणना नहीं हुई है। तब के आंकड़े ने संकेत दिया था कि देश में आबादी के बढ़ने की दर में कमी आई है।

यह ट्रेंड हर धर्मों में समान रूप से दिखा था। उसमें यह बात सामने आई थी कि जनसंख्या वृद्धि का सीधा संबंध गरीबी और अशिक्षा से है। पूर्व में तमाम सरकारों ने इस मोर्चे पर पहले करने की इच्छा जरूर दिखाई, लेकिन बात आगे नहीं बढ़ी। साथ ही यह ऐसा संवेदनशील मामला है जहां कोई सरकार सीधे कानून बनाकर आगे बढ़ना नहीं चाहेगी।

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