![Uttarakhand HC sought answer from the government](https://divyaindianews.com/wp-content/uploads/2024/03/Uttarakhand-HC-sought-answer-from-the-government-780x470.jpg)
नैनीताल। उत्तराखंड की नैनीताल हाईकोर्ट ने नैनीताल जेल में फैली अव्यवस्थाओं व जेल के जर्जर भवन का स्वतः संज्ञान वाली जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद राज्य सरकार को जेल को शिफ्ट करने या इसका सुधारीकरण किए जाने को लेकर दस दिन के भीतर स्थिति स्पष्ट करने के निर्देश दिए हैं।
कोर्ट ने अधिवक्ता श्रुति जोशी को इस मामले में न्यायमित्र नियुक्त किया है। कोर्ट ने उनसे कहा है कि वह जेल का निरीक्षण करें। कैदियों से मिलकर उनकी समस्याओं से कोर्ट को अवगत कराएं। जिससे कि जेल में बंद कैदी समाज की मुख्य धारा से जुड़ सकें उन्हें रोजगारपरक प्रशिक्षण देने की व्यवस्था पर सुझाव देने को कहा है। ताकि जेल से बाहर आने के बाद वे बेहतर जीवन यापन कर सके।
मुख्य न्यायाधीश रितु बाहरी एवं न्यायमूर्ति रोकश थपलियाल की खंडपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। मामले के अनुसार राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण ने नैनीताल जेल के निरीक्षण के दौरान पाया कि 1906 में बना जेल का भवन काफी पुराना हो चुका है जो जर्जर हालत में पहुंच चुका है। जेल में क्षमता से अधिक कैदियों को रखा गया है। जेल में बंद कैदियों के लिए मूलभूत सुविधाओं का अभाव है।
जेल भवन मुख्य सड़क से काफी दूरी पर स्थित है। कैदियों के बीमार पड़ने पर उन्हें समय पर अस्पताल पहुंचाने की दिक्कतें होती है। निरीक्षण के दौरान पाया गया कि नैनीताल जेल भवन भूगर्भीय दृष्टि से भी संवेदनशील है। जो कभी भी भूस्खलन की जद में आ सकता है। जिसका हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया है।