आमलकी एकादशी पर इस विधि से करें आंवले के पेड़ की पूजा, दूर होंगे सभी दु:ख-दर्द

नई दिल्ली। हिंदू धर्म में आमलकी एकादशी विशेष महत्व रखती है। शास्त्रों में माना गया है कि आमलकी एकादशी का व्रत करने से 100 गाय दान करने जितना पुण्य मिलता है। वहीं, शास्त्रों में इस शुभ दिन पर आंवले के पेड़ की पूजा का भी विशेष महत्व बताया गया है।

शुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुसार, एकादशी तिथि का प्रारम्भ 20 मार्च 20 रात्रि 12 बजकर 21 मिनट पर होने जा रहा है। वहीं इस तिथि का समापन 21 मार्च को प्रातः 02 बजकर 22 मिनट पर होगा। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार आमलकी या रंगभरी एकादशी 20 मार्च, बुधवार के दिन मनाई जाएगी।

आमलकी एकादशी व्रत पूजा विधि

सबसे पहले एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान-ध्यान करें। इसके बाद मंदिर की साफ-सफाई करने के बाद एक चौकी पर लाल रंग का कपड़ा बिछाकर भगवान विष्णु की मूर्ति या प्रतिमा स्थापित करें। इसके बाद विष्णु जी के समक्ष दीपक जलाएं और विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें।

भगवान विष्णु की पूजा करके आंवले का भोग लगाएं। पूजा के बाद आंवले के पेड़ के नीचे कलश स्थापित करें। इसके बाद वृक्ष के पूजन के दौरान धूप, दीप, चंदन, रोली, फूल और अक्षत आदि अर्पित करें और गरीब या ब्राह्मण को भोजन कराएं। अगले दिन यानी द्वादशी तिथि पर इस कलश, वस्त्र और आंवला का दान कर दें।

करें इस मंत्र का जाप

आमलकी एकादशी के दिन विष्णु जी की विशेष कृपा प्राप्त करने के लिए पूजा के दौरान आसन पर बैठकर ॐ दामोदराय नमः, ॐ पद्मनाभाय नमः, या ॐ वैकुण्ठाय नमः इनमें से किसी एक मंत्र की कम से कम एक माला का जप करें। इससे आपके और आपके परिवार के ऊपर भगवान विष्णु की कृपा बनी रहेगी।

डिसक्लेमर: इस लेख में निहित किसी भी जानकारी की सटीकता की हमारी गारंटी नहीं है।

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