आप संदेशखाली के आरोपियों को बचाना चाहते हैं? SC ने बंगाल सरकार से पूछे तीखे सवाल

कोलकाता। सुप्रीम कोर्ट ने संदेशखाली मामले में पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से दाखिल याचिका पर सुनवाई जुलाई के लिए टाल दी है। कोलकाता हाई कोर्ट ने मामले में सीबीआई जांच के आदेश दिए थे।

हाई कोर्ट के फैसले को पश्चिम बंगाल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। सीबीआई जमीन कब्जे और सेक्सुअल असॉल्ट मामले की जांच कर रही है। इस मामले में शाहजहां शेख आरोपी हैं। उसे टीएमसी से सस्पेंड किया जा चुका है।

इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार से सवाल किया कि सीबीआई जांच के मामले में किसी व्यक्ति को प्रोटेक्ट करने के लिए राज्य सरकार को क्यों आई? सुप्रीम कोर्ट में जब मामले की सुनवाई शुरू हुई तब राज्य सरकार की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट अभिषेक मनु सिंघवी ने अदालत से कहा कि मामले की सुनवाई एक दो हफ्ते में किया जाना चाहिए।

हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि राज्य सरकार याचिकाकर्ता की तरह किसी व्यक्ति विशेष को प्रोटेक्ट करने के लिए क्यों आई है? क्या राज्य सरकार को इसके लिए आना चाहिए? राज्य सरकार के वकील ने कहा कि इस मामले में राज्य पूरी तरह से जांच कर रही थी और सारे एक्शन लिए थे।

सुनवाई की शुरुआत में, पश्चिम बंगाल की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने स्थगन की मांग की। उन्होंने कहा कि राज्य अदालत के समक्ष मामले के संबंध में कुछ महत्वपूर्ण जानकारी रखना चाहता है जो बहुत प्रासंगिक है।

सुप्रीम कोर्ट ने दिखाई सख्ती

न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने हालांकि राज्य से पूछा कि उसने हाई कोर्ट के आदेश को क्यों चुनौती दी है? पीठ ने पूछा, ‘किसी निजी व्यक्ति के हितों की रक्षा के लिए राज्य को याचिकाकर्ता के रूप में क्यों आना चाहिए?’

सुप्रीम कोर्ट ने दागे सवाल पर सवाल

अदालत के सवाल का जवाब देते हुए राज्य की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता जयदीप गुप्ता ने कहा कि हाई कोर्ट ने राज्य सरकार के खिलाफ प्रतिकूल टिप्पणी की थी और यही फैसले को चुनौती देने का कारण था।

उन्होंने कहा कि हाई कोर्ट की ओर से टिप्पणियां करना अनुचित था क्योंकि सरकार ने पूरी कार्रवाई की थी। हालांकि, अदालत ने उनसे पूछा कि राज्य ने टिप्पणियों को हटाने के लिए हाई कोर्ट का दरवाजा क्यों नहीं खटखटाया?

चलती रहेगी सीबीआई जांच

पीठ ने जुलाई में ग्रीष्मकालीन अवकाश के बाद सुनवाई स्थगित कर दी और यह स्पष्ट किया कि सुप्रीम कोर्ट में राज्य की अपील के लंबित होने का उपयोग किसी भी उद्देश्य के लिए आधार के रूप में नहीं किया जाएगा। मतलब यह कि सीबीआई जांच आगे बढ़ती रहेगी।

चुनाव के बाद होगी सुनवाई

सुनवाई को जुलाई तक स्थगित करते हुए पीठ ने हल्के-फुल्के अंदाज में कहा कि उस समय सुनवाई के लिए माहौल अधिक अनुकूल होगा।

इस तथ्य का जिक्र करते हुए कि तब तक आम चुनाव समाप्त हो जाएंगे। 10 अप्रैल को कलकत्ता हाई कोर्ट ने संदेशखली मामले की सीबीआई जांच का आदेश दिया था। इतना ही नहीं, इस मामले की सीबीआई जांच की निगरानी खुद हाई कोर्ट करेगा

बंगाल सरकार ने याचिका में क्या कहा

हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए, राज्य ने अपनी अपील में कहा, ‘वर्तमान मामले में राज्य सरकार की कार्रवाइयों को पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया गया है, जबकि अदालत की कार्यवाही में राजनीतिक आवाजों को सर्वोच्चता दी गई है। यह न केवल मामले को दूषित करता है, बल्कि आगे पक्षपाती जांच की ओर ले जाएगा।

हाई कोर्ट निर्देश पारित करने के लिए राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग की रिपोर्ट और पीड़ितों के कई हलफनामों पर बहुत अधिक निर्भर करता है, जबकि उक्त रिपोर्ट निर्णायक नहीं है क्योंकि राज्य को रिपोर्ट के खिलाफ अपनी आपत्तियां दर्ज करने की अनुमति है।

याचिका में मांग की गई थी कि कलकत्ता हाई कोर्ट के उक्त निर्देश अनुचित हैं और कानून की नजर में टिकाऊ नहीं हैं। सुप्रीम कोर्ट को इन्हें रद्द कर देना चाहिए।

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