महाराष्ट्र: सोलापुर में प्रणीति शिंदे बनाम राम सातपुते, सियासी विरासत बचाने के साथ गढ़ सुरक्षित रखना चुनौती

सोलापुर (महाराष्ट्र) । बीते दस साल से भाजपा के कब्जे वाले महाराष्ट्र की सोलापुर लोकसभा सीट से इस बार दो विधायक मैदान में है। गांधी परिवार के विश्वासपात्र पूर्व केंद्रीय गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे की बेटी प्रणीति शिंदे भाजपा के इस गढ़ में सेंध लगाने के लिए मैदान में उतर पड़ी हैं।

वहीं, हर बार प्रत्याशी बदलने की परंपरा को आगे बढ़ाते हुए भाजपा ने विधायक राम सातपुते के रूप में फिर नए चेहरे पर दांव लगाया है। दोनों युवा प्रत्याशी हैं। एक ओर विरासत बचाने तो दूसरी ओर गढ़ सुरक्षित रखने की चुनौती है।

कर्नाटक और तेलंगाना की सीमा से सटा सोलापुर लोकसभा क्षेत्र कभी कांग्रेस का अभेद्य किला हुआ करता था। यहां तक कि आपातकाल में भी यहां कांग्रेस को कोई डिगा नहीं पाया था, लेकिन बीते 10 साल में भाजपा ने यहां अपना वर्चस्व कायम किया है। महाराष्ट्र के दिग्गज कांग्रेस नेता सुशील कुमार शिंदे दो बार भाजपा से मात खा चुके हैं।

2014 में मोदी लहर में चुनाव हारने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री शिंदे को 2019 में दूसरा झटका लगा था। लेकिन, इस बार वंचित बहुजन अघाड़ी के उम्मीदवार ने उनकी बेटी प्रणीति का समर्थन करते हुए नामांकन वापस ले लिया है।

वहीं, असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM ने भी उन्हें समर्थन दे दिया है। तीन बार विधायक रहे माकपा नेता नरसैय्या अडाम भी इस बार शिंदे की बेटी के साथ हैं। इससे भाजपा की चुनौती बढ़ गई है।

भाजपा का गन्ना किसान के बेटे पर भरोसा

सोलापुर में राम सातपुते, प्रणीति के अलावा बसपा के बबलू गायकवाड़ सहित 21 उम्मीदवार मैदान में हैं। गन्ना तोड़ने वाले मजदूर के बेटे विधायक सातपुते भाजपा से मैदान हैं, लेकिन इस बार जातिगत समीकरण बदले हैं। इससे लड़ाई उतनी आसान नहीं रह गई।

भाजपा के लिए राहत की बात यह है कि युवा वर्ग उसके साथ है। दूसरी ओर, सोलापुरवासी अब भी गंभीर जलसंकट से जूझ रहे हैं। उजनी बांध शहर में पेयजल आपूर्ति का मुख्य स्रोत है, जिसका जलस्तर निचले स्तर पर पहुंच गया है। हालांकि अन्य झीलों से अतिरिक्त 160 एमएलडी पानी की आपूर्ति हो रही है।

टैंकर के पानी पर निर्भर हैं ग्रामीण इलाके के लोग  

जल संकट की स्थिति यह है कि कई हिस्सों में आठ तो कुछ हिस्सों में सात दिन में लोगों को पानी नसीब हो रहा है। वहीं, ग्रामीण इलाकों में लोग टैंकर के पानी पर निर्भर हैं।

खास बात यह है कि पानी की समस्या खत्म करने के वादे के साथ भाजपा दो बार चुनाव जीत गई लेकिन जलसंकट का समाधान नहीं हो सका है। सोलापुर के लोग चाहते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पानी की समस्या का समाधान करें।

मीडिया से जुड़े स्थानीय लोग कहते हैं कि गुटबाजी और राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी के कारण सोलापुर के विकास को गति नहीं मिल पा रही है। सोलापुर लोकसभा क्षेत्र में विधानसभा की कुल 6 सीटें हैं, जिसमें प्रणीति शिंदे कांग्रेस की इकलौती विधायक हैं।

पिछले दो चुनावों का हाल

2019

उम्मीदवार                  दल        मत%

डॉ. जयसिद्धेश्वर         भाजपा     48.69

सुशील कुमार शिंदे     कांग्रेस      33.98

प्रकाश आंबेडकर       वीबीए      15.77

2014

उम्मीदवार                 दल           मत%

शरद बंसोड़े              भाजपा       54.43

सुशील कुमार शिंदे    कांग्रेस        38.70

कांग्रेस के साथ जा सकता है लिंगायत समाज 

सोलापुर में तेलुगू और कन्नड़ मतदाता भी बड़ी संख्या में रहते हैं। लिंगायत बहुल क्षेत्र में पद्मशाली समाज, अनुसूचित जाति, मुस्लिम और धनगर समाज बड़ी संख्या में है।

यहां का लिंगायत और मराठा समाज परंपरागत तौर पर भाजपा का वोटबैंक माना जाता है, लेकिन श्री सिद्धेश्वर चीनी मिल की चिमनी गिराए जाने से लिंगायत नाराज हो गए हैं।

मिल के पूर्व निदेशक व लिंगायत समाज के धर्मराज काड़ादी प्रणिति शिंदे के साथ हैं। यही नहीं, दलित और मुस्लिम वोटबैंक में इस बार बिखराव की स्थिति नहीं है।

भवानी पेठ के निवासी लिंगायत समाज के बालासाहेब जोड़भावी का कहना है कि पिछली बार समाज का पूरा वोट भाजपा को मिला था, लेकिन इस बार सिद्धेश्वर मिल से जुड़े समाज के लोग और कृषक भाजपा से नाराज है। इससे लिंगायत समाज का एक तबका कांग्रेस की तरफ जा सकता है।

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