लखनऊ। मिशन-80 को कामयाब बनाने के लिए भाजपा पूर्वांचल में जातीय समीकरण साधने में जुटी है। पूर्वी उत्तर प्रदेश में अलग-अलग जातीय के प्रभाव को देखते हुए पटेल, राजभर, निषाद बिरादरी की राजनीति करने वाले छोटे दलों को पहले ही एनडीए का हिस्सा बना चुकी भाजपा को अब जनवादी पार्टी का भी साथ मिल गया है।
सपा को झटका देते हुए पार्टी के अध्यक्ष संजय चौहान ने मंगलवार को अपने सभी प्रत्याशियों की उम्मीदवारी वापस लेने के साथ ही भाजपा का समर्थन करने की घोषणा की है। लोनिया चौहान बिरादरी की राजनीति करने वाल चौहान ने वाराणसी में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भूपेन्द्र सिंह चौधरी को समर्थन देने संबंधी पत्र सौंपा।
पूर्वांचल में लोनिया चौहान जाति के मतदाताओं का प्रभाव
प्रदेश में लगभग 40 लाख लोनिया चौहान बिरादरी के मतदाता माने जाते हैं। अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) में इनकी लगभग 2.33 प्रतिशत भागीदारी है।
पूर्वांचल की चंदौली, वाराणसी, आजमगढ़, गाजीपुर, घोसी, जौनपुर, बलिया, आंबेडकरनगर, भदोही, मिर्जापुर, कुशीनगर, सलेमपुर और देवरिया आदि लोकसभा सीटों पर लोनिया चौहान जाति के मतदाताओं का प्रभाव है।
वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में ओमप्रकाश राजभर की सुभासपा और संजय चौहान की जनवादी पार्टी का सपा के साथ गठबंधन था।
माना जाता है कि इन दोनों के साथ के कारण ही सपा को अंबेडकरनगर, आज़मगढ़, बलिया, मऊ, गाजीपुर, भदोही और कुशीनगर में फायदा हुआ था।
गौरतलब है कि सपा की सरकार न बनने के बाद अखिलेश का साथ छोड़ ओमप्रकाश भाजपा के साथ आ गए। अपना दल(एस), निषाद पार्टी के साथ ही सुभासपा अब एनडीए में शामिल है।
अब भाजपा को समर्थन देने की घोषणा करने वाले संजय, सपा से घोसी लोकसभा सीट से टिकट मांग रहे थे, लेकिन सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने वहां से राजीव राय को मैदान में उतार दिया।
इससे नाराज संजय ने सपा से गठबंधन तोड़ते हुए पूर्वांचल की 11 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे। अब भाजपा को समर्थन देने की घोषणा के साथ ही उन्होंने अपने सभी प्रत्याशियों को चुनाव मैदान से हटान का भी निर्णय किया है।
संजय दावा करते हैं कि उनके द्वारा भाजपा को समर्थन देने से सपा को पूर्वांचल में बड़ा झटका लगेगा। लोनिया चौहान बिरादरी के मतदाता गोरखपुर, आजमगढ़ व वाराणसी तीनों मंडलों में हैं।
संजय का मानना है कि यदि उनकी पार्टी के प्रत्याशी चुनाव लड़ते तो उसका फायदा सपा को मिल सकता था इसलिए उन्होंने भाजपा को समर्थन देने की घोषणा की है। संजय बताते हैं कि भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने उन्हें चुनाव बाद सम्मानजनक समायोजन का आश्वासन दिया है।
बता दें कि वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में जनवादी पार्टी ने 17 और वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में 25 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे। पार्टी को करीब दो प्रतिशत वोट हासिल हुए थे।
पिछले लोकसभा चुनाव में बसपा के साथ गठबंधन में शामिल सपा के टिकट पर चुनाव लड़े संजय, चंदौली लोकसभा सीट पर भाजपा के महेन्द्र नाथ पांडेय से मात्र 13,959 मतों के अंतर से हारे थे।