अजित पवार बन गए भाजपा के गले की हड्डी? महाराष्ट्र में बदल सकता है सियासत का चेहरा

मुंबई। 2024 लोकसभा चुनाव में देश के दूसरे सबसे बड़े सूबे (48 सीट) महाराष्ट्र में सिंगल डिजिट (09) पर सिमटी बीजेपी विधानसभा चुनावों से पहले अजित पवार से नाता तोड़ सकती है। पार्टी मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाली शिवसेना के साथ राज्य की 288 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ सकती है।

अजित पवार की तरफ से जहां एक ओर 80 सीटों की मांग की गई है तो वहीं दूसरी बीजेपी का एक बड़ा गुट अजित पवार को महायुति में रखने का पक्षधर नहीं है। अजित पवार को जब महायुति (ग्रैंड अलांयस) लाया गया था, तब भी कुछ नेताओं ने इसे सही फैसला नहीं माना था।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के मुखपत्र ऑर्गनाइजर में छपे लेख में बीजेपी की हार के लिए अजित पवार से गठबंधन को बड़ा कारण बताया गया है। इसके बाद अब संभावना बढ़ गई है कि बीजेपी विधानसभा चुनावों से पहले अजित पवार की अगुवाई वाली एनसीपी से नाता तोड़ ले।

2019 के चुनावों में बीजेपी विधानसभा की 152 सीटों पर चुनाव लड़ी थी। तब उसने उद्धव की अगुवाई वाली शिवसेना के लिए 124 सीटें छोड़ी थी। एनडीए के बाकी सहयोगियों को 12 सीटें मिली थीं।

समर्थन में नहीं निकले BJP-RSS कार्यकर्ता

आजीवन RSS कार्यकर्ता रहे रतन शारदा ने ऑर्गेनाइज़र में अपने लेख में कहा कि अजित के साथ गठबंधन करने से बीजेपी की ब्रांड वैल्यू कम हो गई और यह बिना किसी अंतर के सिर्फ एक और पार्टी बन गई।

अजित के आने से पार्टी भ्रष्टाचार के मोर्चे पर मुखर नहीं हो पाई। 2019 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी को 23 सीटें मिली थी। इसके बाद हुए विधानसभा चुनावों में बीजेपी को अपने बूते पर 105 सीटें हासिल हुई थी।

बीजेपी राज्य में सबसे बड़ी पार्टी बन गई थी। 2024 लोकसभा चुनावों की हार के बाद बीजेपी आत्ममंथन की मुद्रा में है। यह भी सामने आया है कि अजित पवार को महायुति में लेने के चलते बीजेपी और आरएसएस का एक बड़ा कैडर प्रचार के लिए नहीं निकला।

NCP वाली सीटों पर यह स्पष्ट तौर पर देखने को मिला। ऐसे में अगर बीजेपी विधानसभा चुनावों में अगर अजित पवार को साथ रखती है तो कार्यकर्ता फिर से निष्क्रिय रह सकते हैं। ऐसी स्थित में बीजेपी को नुकसान होगा।

आत्ममंथन में जुटी है बीजेपी

एक अंग्रेजी अखबार में विश्वस्त सूत्रों के हवाले से छपी रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि बीजेपी नेतृत्व इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनावों में अजित के साथ कोई समझौता नहीं होने के प्रभाव पर विचार-विमर्श कर रहा है।

उन्होंने कहा कि अगर हमारी पार्टी अजित को छोड़कर विधानसभा चुनाव में शिंदे के साथ आगे बढ़ती है, तो ऐसा लग सकता है कि बीजेपी ने अजित का इस्तेमाल किया और बाद में उन्हें फेंक दिया।

यह इस्तेमाल करो और फेंको की नीति उलटा भी पड़ सकती है, लेकिन दूसरी तरफ बीजेपी को यह लग रहा है कि अजित को सहयोगी बनाए रखना फायदेमंद नहीं हो सकता है।

अजित पवार की अगुवाई वाली एनसीपी चार सीटों पर चुनाव लड़कर 1 सीट पर जीती है। अजित की पत्नी सुनेत्रा पवार भी चुनाव हारी हैं। इतना ही नहीं अजित पवार जिस विधानसभा (बारामती) क्षेत्र से पिछले 33 साल से विधायक हैं। वहां पर भी उनकी पत्नी सबसे ज्यादा मार्जिन से पीछे रहीं।

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