
नई दिल्ली। न्यायमूर्ति भूषण रामकृष्ण गवई ने बुधवार को भारत के प्रधान न्यायाधीश (CJI) का पद संभाल लिया। उन्हें राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शपथ ग्रहण कराई। जस्टिस गवई ने न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की जगह ली, जो बीते दिन ही सेवानिवृत्त हुए थे।
इससे पहले बीते माह की 30 तारीख को कानून मंत्रालय ने जस्टिस गवई की भारत के 52वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति की अधिसूचना जारी की थी। 16 अप्रैल को CJI खन्ना ने केंद्र सरकार से उनके नाम की सिफारिश की थी। जस्टिस गवई का कार्यकाल छह महीने का होगा। वह 23 दिसंबर को सेवानिवृत्त होंगे।
जस्टिस खन्ना द्वारा नाम की अनुशंसा के बाद हुई नियुक्ति
निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार, 16 अप्रैल को चीफ जस्टिस खन्ना ने उनके नाम की अनुशंसा केंद्र सरकार को की थी। वह वर्तमान चीफ जस्टिस खन्ना के बाद सुप्रीम कोर्ट के सबसे वरिष्ठ जज हैं।
जस्टिस गवई को लंबा न्यायिक अनुभव
24 नवंबर, 1960 को अमरावती में जन्मे जस्टिस गवई को 14 नवंबर, 2003 को बॉम्बे हाईकोर्ट के अडिशनल जज के रूप में पदोन्नत किया गया था। वह 12 नवंबर, 2005 को हाईकोर्ट के स्थायी जज बने। जस्टिस गवई सुप्रीम कोर्ट में कई संविधान पीठों का हिस्सा रहे हैं, जिन्होंने कई महत्वपूर्ण फैसले सुनाए हैं।
कौन हैं जस्टिस गवई?
जस्टिस गवई को 24 मई 2019 को सुप्रीम कोर्ट का जज नियुक्त किया गया था। उनका जन्म 24 नवंबर को महाराष्ट्र के अमरावती में हुआ था। वे दिवंगत आर.एस. गवई के बेटे हैं, जो बिहार और केरल के राज्यपाल रह चुके हैं।
बॉम्बे हाईकोर्ट में एडिशनल जज के रूप में उन्होंने 14 नवंबर 2003 को अपनी न्यायिक करियर की शुरुआत की थी। बतौर जज वो मुंबई, नागपुर, औरंगाबाद और पणजी के विभिन्न पीठों पर काम कर चुके हैं।