‘देश को बदलना है तो शिक्षा को बदलो’ की अवधारणा को लेकर शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास ने किया विमर्श का आयोजन

लखनऊ। शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास अवध प्रांत ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति, देश की शिक्षा अपनी संस्कृति, प्रकृति एवं प्रगति के अनुरूप बने विषय पर एक विमर्श का आयोजन लखनऊ के विपुलखंड गोमती नगर स्थित आर के मित्तल सभागार में किया।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि माननीय सदस्य विधान परिषद् एवं एस आर ग्रुप के चेयरमैन पवन सिंह चौहान और अध्यक्षता शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास नई दिल्ली के राष्ट्रीय सह संयोजक संजय स्वामी जी थे। कार्यक्रम का शुभारम्भ दीप प्रज्वलन के साथ हुआ।

शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास अवध प्रांत के संयोजक प्रमिल द्विवेदी ने अतिथियों के स्वागत संबोधन के साथ न्यास का संक्षिप्त परिचय देते हुए कहा कि स्वतंत्रता के बाद अपेक्षा थी कि देश की शिक्षा का स्वरुप भारतीय द्रष्टिकोण से अपनी आवश्यकताओं के अनुरूप होगा परन्तु ऐसा नहीं हुआ।

हमारा यह प्रयास मात्र छोटी मोटी गलतियों के सुधार तक सीमित नहीं है बल्कि राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपने देश की भाषा, धर्म, संस्कृति, महापुरुषों, परम्पराओं आदि को अपमानित करने का जो षड्यंत्र चलाय जा रहा है उनको बेनकाब करके रोकने हेतु सफल एवं सार्थक प्रयास है।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पवन सिंह चौहान ने शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास द्वारा किये जा शिक्षा में भारतीयता का समावेश, “आत्मनिर्भर भारत में शैक्षिक संस्थाओं की भूमिका विषय को लेकर देश की लगभग 100 से अधिक संस्थाओं में किये जा रहे प्रयासों और उससे प्राप्त हो रहे परिणामों पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि देश को आत्म निर्भर बनाना है, तो देश के छात्रों को आत्मनिर्भर बनाना होगा और छात्रों को आत्मनिर्भर बनाने का सशक्त माध्यम शिक्षा है। देश की शिक्षा का केंद्र अभारतीय था।

इससे हटकर यह राष्ट्रीयता की ओर अग्रसर हो रहा है। शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास हुत कम समय में देश की शिक्षा में आधारभूत परिवर्तन के सफल प्रयास किये हैं परन्तु, अभी बहुत कुछ करना शेष है।

नई दिल्ली से पधारे न्यास के राष्ट्रीय सह संयोजक संजय स्वामी ने अपने उद्बोधन में बताया कि अवध प्रांत में न्यास के उद्देश्यों को आगे बढ़ाने के लिए प्रमिल दुविवेदी की अवध प्रांत के प्रांत संयोजक का दायित्व एवं डॉ कीर्ति विक्रम सिंह को सह संयोजक का दायित्व दिया गया है। हमें प्रसन्नता है कि इनके नेतृत्व में अवध प्रांत नए कीर्तिमान स्थापित करेगा।

15 अगस्त 1947 को यूनियन बैंक के स्थान पर तिरंगा तो फहराया गया परन्तु देश की विभिन्न व्यवस्थाओं में शिक्षा सहित किसी भी प्रकार का मूलभूत बदलाव नहीं किया गया।

देश की शिक्षा को एक नया विकल्प देने के लिए 24 मई 2007 को शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास का गठन किया गया।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर कार्य के अंतर्गत हमने देश भर में 400 से अधिक संगोष्ठियाँ, कार्यशालाओ, परिचर्चाओं आदि की आयोजित करके सुझाव दिए गए। अब शिक्षा नीति के क्रियान्वयन की दिशा में प्रयास किये जा रहे हैं जो फलित होते हुए दिख रहे हैं।

उन्होंने आगे बताया कि शैक्षिक पाठ्यक्रमों में विकृतियाँ एवं विसंगतियों के विरु‌द्ध 12 न्यायालयों के निर्णय शिक्षा बचाओ आन्दोलन के पक्ष में आये।

चरित्र निर्माण एवं व्यक्तित्व के समग्र विकास के पाठ्‌यक्रम का कुछ शैक्षिक संस्थाओं में अद्‌भुत परिणाम आये हैं वहां बिना परीक्षक परीक्षाएं भी ली गई और किसी छात्र ने नक़ल नहीं की राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भी इसका समावेश किया गया है।

प्रतियोगी परीक्षाओं में संघ लोकसेवा आयोग एवं राज्य लोकसेवा आयोगों द्वारा आयोजित प्रशाशनिक सेवा परीक्षाओं में सुधार हेतु सफल प्रयास जारी हैं।

देश के न्यायालयों में भारतीय भाषा का विषय आगे आया है परिणामस्वरूप हरियाणा में न्यायालयों में अंग्रेजी के बदले हिंदी में कार्य करने का निर्णय लिया गया है, कई राज्यों के उच्च न्यायालयों ने स्थानीय भाषाओं ने निर्णय देने प्रारम्भ कर दिए हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने भी 16 भाषाओं में निर्णय वेबसाइट पर डालना प्रारम्भ कर दिया है। यौन शिक्षा के विकृत पाठ्यक्रम को रोकने में हमें सफलता मिली है,

विश्वविख्यात गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन के जन्मदिवस को “राष्ट्रीय गणित दिवस के रूप में प्रस्थापित करने का प्रयास हुआ है, 21 फ़रवरी अंतर्राष्ट्रीय मातृ‌भाषा दिवस व्यापक रूप से मनाया जाने लगा है,

देश के अधिकतर विश्ववि‌द्यालयों के दीक्षांत समारोह अब भारतीय वेशभूषा एवं परंपरा के अनुरूप होने लगे है तथा वैदिक गणित विषय में 38 विश्ववि‌द्यालयों एवं इतने ही महावि‌द्यालयों ने न्यास के साथ अनुबंध (MoU) करके पाठ्यक्रम प्रारम्भ कर दिए हैं।

उन्होंने आहवान करते हुए कहा कि लोकतंत्र में सरकार एवं समाज दोनों के संयुक्त प्रयास से ही किसी भी क्षेत्र में परिवर्तन संभव है, न्यास के द्वारा शिक्षा में परिवर्तन हेतु प्रारम्भ किये गए इन प्रयासों में आप भी तन मन धन से अपनी आहुति प्रदान करें।

प्रांत सह संयोजक डॉ कीर्ति विक्रम सिंह ने कार्यक्रम में पधारे अतिथियों का धन्यवाद् ज्ञापित किया।

कार्यक्रम में विशेषरूप से जिनकी उपस्थिति रही उनमे कानपुर प्रांत अध्यक्ष प्रो. अवनीश कुमार, प्रो. कीर्ति नारायण, राजेश अग्रवाल, प्रो. शीला मिश्रा,

प्रवीण ‌द्विवेदी, प्रो. हिमांशु सिंह, के बी पन्त,प्रो. आर के पाण्डेय, ए के श्रीवास्तव, संजीव सिंह, डॉ नीता सक्सेना सहित प्रदेश भर से पधारे अनेक शिक्षाविद, वैज्ञानिक, प्रोफेसर्स, डॉक्टर्स, चिन्तक, लेखक, शिक्षक, सामाजिक कार्यकर्ता, बैंकर्स सहित अनेक गणमान्य लोग शामिल थे।

Back to top button