
नई दिल्ली। हिंदू धर्म में शारदीय नवरात्रि का अत्यंत महत्व है। नवरात्रि का पर्व वर्ष में चार बार आता है, जिसमें दो गुप्त नवरात्रि के रूप में मनाई जाती है और अन्य दो चैत्र और शारदीय नवरात्रि के नाम से जानी जाती है।
इसमें शारदीय नवरात्रि का अपना अलग ही स्थान है। खासतौर पर उत्तर और पूर्वी भारत के राज्यों जैसे बिहार, झारखंड, असम और पश्चिम बंगाल में इसे बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। इन नौ दिनों में माता दुर्गा के अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है।
शारदीय नवरात्रि 2025 की शुरुआत
इस वर्ष शारदीय नवरात्रि की शुरुआत 22 सितंबर से होगी। नवरात्रि की शुरुआत कलश स्थापना के साथ होती है। इस पर्व का प्रमुख आकर्षण दुर्गा पूजा है, जो नवरात्रि की षष्ठी तिथि से आरंभ होती है।
इस बार षष्ठी की तिथि 28 सितंबर को पड़ेगी। इसी दिन से दुर्गा पूजा की शुरुआत होगी, जो पांच दिनों तक चलेगी। इस दौरान महाषष्ठी, महासप्तमी, महाअष्टमी, महानवमी और विजयदशमी का पर्व मनाया जाएगा।
शारदीय नवरात्रि 2025 कैलेंडर
22 सितंबर 2025 – प्रतिपदा (शैलपुत्री पूजा)
23 सितंबर – द्वितीया (ब्रह्मचारिणी पूजा)
24 सितंबर – तृतीया (चन्द्रघण्टा पूजा)
26 सितंबर – चतुर्थी (कूष्माण्डा पूजा)
27 सितंबर – पञ्चमी (स्कन्दमाता पूजा)
28 सितंबर – महाषष्ठी (कात्यायनी पूजा)
29 सितंबर – महासप्तमी (कालरात्रि पूजा)
30 सितंबर – महाअष्टमी (महागौरी पूजा)
1 अक्टूबर – महानवमी (सिद्धिदात्री पूजा)
2 अक्टूबर – विजयादशमी
घटस्थापना का शुभ मुहूर्त
नवरात्रि का आरंभ घटस्थापना के साथ होता है, जिसे बहुत ही शुभ माना जाता है। 2025 में घटस्थापना सोमवार, सितम्बर 22, 2025 को की जाएगी। इसके लिए शुभ मुहूर्त कुछ इस प्रकार है।
घटस्थापना मुहूर्त – सुबह 06:09 बजे से 08:06 बजे तक
अवधि – 01 घंटा 56 मिनट
घटस्थापना अभिजीत मुहूर्त – दोपहर 11:49 बजे से 12:38 बजे तक
अवधि – 00 घंटे 49 मिनट
मां दुर्गा की सवारी
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार हर वर्ष नवरात्रि के समय देवी दुर्गा अलग-अलग वाहनों पर सवार होकर आती हैं। इस बार माता रानी हाथी पर सवार होकर अपने भक्तों के घर पधारेंगी। हाथी की सवारी को अत्यंत शुभ और मंगलकारी मानी जाती है। इसे समृद्धि, उन्नति और शांति का प्रतीक माना गया है।