
लखनऊ। संभल से हिंदुओं के लगातार पलायन के पीछे उनके परिवार की युवतियों से दुष्कर्म, लव-जिहाद, मुस्लिम युवकों से जबरन शादी व लूटपाट का कड़वा सच भी है। हिंदू युवती से शादी के बाद समाज को चिढ़ाने व नीचा दिखाने के लिए भव्य दावत-ए-वलीमा किया जाता था। न्यायिक जांच रिपोर्ट आने के बाद ऐसे जख्म याद कर लोग सिहर जा रहे हैं।
संभल हिंसा की न्यायिक जांच रिपोर्ट में वहां हुए 15 बड़े दंगों का ब्योरा दिए जाने के साथ ही उनमें शिकार हुए हिंदू परिवारों का भी जिक्र है। जांच आयोग ने हिंदू परिवारों के संभल से पलायन की भयावह, क्रूर व डरावनी स्थिति का वास्तविक आकलन करने के लिए शोध कराए जाने की सिफारिश भी की है।
जनगणना के आंकड़ों से भी हिंदुओं के पलायन की तस्वीर
जनगणना के आंकड़ों से भी हिंदुओं के पलायन की तस्वीर साफ होती है। जनगणना-2011 की रिपोर्ट में संभल शहर की कुल आबादी 2,20,813 सामने आई थी मुस्लिम 77.67 प्रतिशत (1,71,514) व हिंदू 22 प्रतिशत (48,581) थे। इनके अलावा बौद्ध, ईसाई, सिख व अन्य जाति के लोग थे।
जांच आयोग की रिपोर्ट में कहा गया है कि आजादी के समय संभल नगर क्षेत्र में लगभग 45 प्रतिशत हिंदू आबादी थी जो घटकर अब करीब 15 प्रतिशत ही रह गई है। संभल के एक पंजाबी परिवार की भयावह कहानी भी इसी त्रासदी का हिस्सा है।
निकाह कर लड़की का नाम सिदरा रखवा दिया
पंजाबी आरोड़ा समाज का यह परिवार मोहल्ला कोट पूर्वी, दरगाह मंदिर के पास रहता था। उनकी छोटी बेटी ने एमबीए किया था। उसे लव-जिहाद का शिकार बनाया गया। हम्माद नाम के युवक ने 2013-14 में निकाह कर उसका नाम सिदरा रखवा दिया।
लड़की पक्ष को पीड़ा पहुंचाने के लिए दीपा सराय में भव्य दावत-ए-वलीमा दिया गया था। ऐसा ही भव्य आयोजन अन्य हिंदू युवतियों के मुस्लिम युवकों से शादी करने पर होता रहा।
शादी के लगभग एक वर्ष बाद उसने घरवालों को फोन किया और फूटकर रोने लगी। कहा, मुझे बचा लो पर तब भय व धमकियों के चलते परिवार कुछ नहीं कर सका। वे आज भी बेटी को अपनाना चाहते हैं।
संभल में आज भी लोग डरे हैं, बोलने की हिम्मत नहीं जुटा पाते
न्यायिक जांच आयोग की रिपोर्ट में आयोग का मानना है कि आज भी लोग डर की वजह से कुछ बोलने की हिम्मत नहीं जुटा पाते हैं। संभल में कभी सांप्रदायिक सद्भाव व भाईचारा नहीं रहा, सब दिखावटी है।
सूत्रों के अनुसार संभल के लोगों ने आयोग को बताया कि हिंदू युवतियों को अगवा कर दुष्कर्म किया जाता था और फिर छोड़ दिया जाता था। पीड़ित परिवार पलायन कर जाते थे।
ऐसी ही एक घटना में एक मकान मालिक की घर में घुसकर हत्या कर दी गई थी। मामले में वर्ष 2005 में संभल थाने में एफआइआर दर्ज कराई गई थी। एक हिंदू परिवार अपनी तीन पुत्रियों के साथ किराए पर रहता था।
मकान मालिक की हत्या से दो दिन पूर्व हिंदू परिवार संभल छोड़कर चला गया था। स्थानीय लोगों में चर्चा है कि इस परिवार की बेटी से एक मुस्लिम नेता के बेटे ने जबरदस्ती का प्रयास किया था। मकान मालिक ने इसका प्रतिवाद किया था। इसी विवाद में उनकी हत्या की गई।
क्रूरता से मारे गए बनवारी लाल ने कई मुस्लिमों को दी थी उधारी
1978 में होली के बाद हुए दंगे में मामा बनवारी लाल गोयल की बेरहमी से हत्या की गई थी। उन्होंने कई मुस्लिमों को उधार दे रखा था। दंगे के दौरान उन्हें घर से निकलने से रोका गया लेकिन उन्होंने कहा कि मुस्लिम मेरे भाई जैसे हैं और मेरे साथ ही काम करते हैं।
लेकिन, मुस्लिमों ने उन्हें घेरकर कहा कि तुम इन पैरों से चलकर पैसा लेने आए हो और उनके पैर काट दिए। फिर कहा, इन हाथों से पैसा लोगे और उनके हाथ काट दिए, फिर उनकी गर्दन काट दी गई थी।
इस घटना को पास ही छिपे हरद्वारी लाल शर्मा व सुभाष चन्द्र रस्तोगी ने देखा था। साथ ही उधार न लौटाना पड़े, इसलिए भी यहां के रस्तोगी-बनिया परिवार को मुसलमानों ने निशाना बनाया।
1978 से पूर्व खग्गू सराय की गली में 50 से अधिक रस्तोगी परिवार रहते थे। पलायन करने वाले पीड़ितों में शिवचरण दास रस्तोगी, कन्हैयालाल रस्तोगी, अंगद लाल रस्तोगी, रोशन लाल रस्तोगी, प्रताप वर्मा, ओम प्रकाश रस्तोगी व अन्य के परिवार शामिल थे।
संभल का रहा है आतंकी कनेक्शन
संभल में पिछले वर्ष हुई हिंसा के दौरान भी कई ऐसे कुख्यात सक्रिय रहे थे, जिनके तार आतंकी संगठनों से जुड़े रहे हैं।अलकायदा, हिजबुल मुजाहिदीन, हरकत-उल-मुजाहिदीन व तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान जैसे आतंकी संगठनों के नेटवर्क को लेकर पुलिस व अन्य एजेंसियां भी जांच कर रही हैं। संभल के कई युवकों की आतंकी संगठनों में सक्रिय भूमिका रही है।
इनमें मौलाना आसिम उमर, अहमद रजा उर्फ शाहरुख व मोहम्मद आसिफ के नाम प्रमुख हैं। मौलाना असीम अलकायदा का कमांडर था। हिजबुल मुजाहिदीन से जुड़ा शाहरुख संभल के एक मदरसे में मौलाना था। जबकि संभल का असीम उमर अफगानिस्तान में मारा गया था।