यूपी विप चुनाव: 30 सितंबर से वोटर लिस्ट का पुनरीक्षण, दिसंबर में अंतिम प्रकाशन

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में विधान परिषद की पांच स्नातक और छह शिक्षक निर्वाचन क्षेत्रों की सीटें अगले साल 6 दिसंबर को खाली हो रही है। इसी को देखते हुए भारत निर्वाचन आयोग के निर्देश पर प्रदेश में वोटर लिस्ट का पुनरीक्षण कार्यक्रम तय कर दिया गया है।

मुख्य निर्वाचन अधिकारी नवदीप रिणवा ने बताया कि पुनरीक्षण प्रक्रिया 30 सितंबर से शुरू होकर 30 दिसंबर तक चलेगी और उसी दिन अंतिम लिस्ट प्रकाशित कर दी जाएगी।

मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने बताया कि विधान परिषद की जो सीटें रिक्त हो रही हैं, उनमें स्नातक निर्वाचन क्षेत्र की पांच सीटें हैं। इसमें लखनऊ, वाराणसी, आगरा, मेरठ और इलाहाबाद-झांसी शामिल हैं।

वहीं शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र की छह सीटों में लखनऊ, वाराणसी, आगरा, मेरठ, बरेली-मुरादाबाद और गोरखपुर-फैजाबाद हैं। इन सभी निर्वाचन क्षेत्रों के लिए वोटर लिस्ट का पुनरीक्षण किया जाएगा।

30 दिसंबर को अंतिम वोटर लिस्ट

निर्वाचन आयोग के कार्यक्रम के मुताबिक 30 सितंबर को सार्वजनिक नोटिस जारी होगा। इसके बाद 15 और 25 अक्टूबर को समाचार पत्रों में नोटिस का प्रकाशन होगा। वोटर लिस्ट में नाम दर्ज कराने के लिए आवेदन पत्र (फॉर्म 18 या 19) 6 नवंबर तक जमा किए जा सकेंगे।

20 नवंबर को पांडुलिपि तैयार कर नामावली का मुद्रण किया जाएगा। इसके बाद 25 नवंबर को निर्वाचक नामावली का आलेख्य प्रकाशन होगा। नाम जुड़वाने और संशोधन कराने के लिए दावे-आपत्तियां 25 नवंबर से 10 दिसंबर तक ली जाएंगी।

इनका निस्तारण 25 दिसंबर तक होगा और अनुपूरक सूची जारी की जाएगी। इसी क्रम में इसी साल की 30 दिसंबर को अंतिम वोटर लिस्ट जारी कर दी जाएगी। स्नातक निर्वाचन क्षेत्र की वोटर लिस्ट में नाम शामिल कराने के लिए आवश्यक है कि आवेदक अर्हता तिथि यानी 1 नवंबर 2025 से कम से कम तीन साल पूर्व स्नातक या समकक्ष डिग्रीधारी हो।

वहीं शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र में नाम दर्ज कराने के लिए यह अनिवार्य है कि आवेदक ने राज्य के मान्यता प्राप्त माध्यमिक स्तर के शैक्षिक संस्थान में बीते छह सालों में कम से कम तीन साल तक अध्यापन कार्य किया हो। इसके साथ ही सभी स्नातक और शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र में कई जिलों को शामिल किया गया है।

स्नातक निर्वाचन क्षेत्र का विस्तार

मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने बताया कि स्नातक निर्वाचन क्षेत्रों में लखनऊ स्नातक निर्वाचन क्षेत्र का विस्तार लखनऊ, हरदोई, खीरी, सीतापुर, बाराबंकी, रायबरेली और प्रतापगढ़ जिले तक होगा।

जबकि वाराणसी स्नातक निर्वाचन क्षेत्र का विस्तार बलिया, गाजीपुर, जौनपुर, वाराणसी, चंदौली, भदोही, मिर्जापुर और सोनभद्र जिले तक।

ऐसे ही आगरा स्नातक निर्वाचन क्षेत्र का विस्तार आगरा, फिरोजाबाद, मथुरा, अलीगढ़, हाथरस, एटा, मैनपुरी, इटावा, कन्नौज, औरैया, फर्रुखाबाद और कासगंज तक होगा।

मेरठ स्नातक निर्वाचन क्षेत्र का विस्तार बुलंदशहर, गाजियाबाद, गौतमबुद्धनगर, मेरठ, बागपत, मुजफ्फरनगर, सहारनपुर, शामली और हापुड़ जिले तक होगा।

इलाहाबाद झांसी स्नातक निर्वाचन क्षेत्र का विस्तार प्रयागराज, कौशांबी, फतेहपुर, बांदा, चित्रकूट, हमीरपुर, महोबा, जालौन, झांसी और ललितपुर जिले तक होगा।

शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र का विस्तार

इसी प्रकार शिक्षक निर्वाचन क्षेत्रों में लखनऊ शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र का विस्तार लखनऊ, हरदोई, खीरी, सीतापुर, बाराबंकी, रायबरेली और प्रतापगढ़ तक होगा।

वाराणसी शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र का विस्तार बलिया, गाजीपुर, जौनपुर, वाराणसी, चंदौली, भदोही, मिर्जापुर और सोनभद्र तक होगा।

आगरा शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र का विस्तार आगरा, फिरोजाबाद, मथुरा, अलीगढ़, हाथरस, एटा, मैनपुरी, इटावा, कन्नौज, औरैया, फर्रुखाबाद और कासगंज जिले तक होगा।

मेरठ शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र का विस्तार बुलंदशहर, गाजियाबाद, गौतमबुद्धनगर, मेरठ, बागपत, मुजफ्फरनगर, सहारनपुर, शामली और हापुड़ जिले तक होना है।

बरेली-मुरादाबाद शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र का विस्तार बरेली, पीलीभीत, शाहजहांपुर, बदायूं, रामपुर, मुरादाबाद, अमरोहा, बिजनौर और संभल तक।

गोरखपुर-फैजाबाद शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र के विस्तार में बहराइच, श्रावस्ती, गोंडा, बलरामपुर, बस्ती, सिद्धार्थनगर, संतकबीरनगर, गोरखपुर, महाराजगंज, देवरिया, कुशीनगर, आजमगढ़, मऊ, सुल्तानपुर, अयोध्या, अमेठी और अंबेडकर नगर शामिल है।

2026 में होने वाले चुनाव की तैयारी

मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने बताया कि इन क्षेत्रों के लिए संबंधित मंडलायुक्त निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी होंगे, जबकि जिलाधिकारी सहायक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी के रूप में कार्य करेंगे।

इन निर्वाचन क्षेत्रों के अंतर्गत आने वाली सभी विधानसभा क्षेत्रों के निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी भी अपने निर्वाचन क्षेत्र के सहायक निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी होंगे। यह पुनरीक्षण प्रक्रिया विधान परिषद के 2026 में होने वाले चुनावों की तैयारियों की दिशा में एक अहम कदम साबित होगी।

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