निठारी कांड में कोली और पंढेर क्यों हुए दोषमुक्त? हाईकोर्ट ने विस्तार से बताए तथ्य

नोएडा/प्रयागराज। 2005 में हुए उप्र के नोएडा के बहुचर्चित निठारी कांड में मौत की सजा पाए सुरेंद्र कोली और मनिंदर सिंह पंढेर को दोषमुक्त करार देते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जांच प्रकिया पर गंभीर सवाल उठाए हैं।

कोर्ट ने कहा कि भारत सरकार के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की उच्च स्तरीय समिति की सिफारिशों के बावजूद निठारी हत्याकांड में अंग व्यापार की संभावित संलिप्तता की जांच करने में अभियोजन पक्ष की विफलता जांच एजेंसियों द्वारा जनता के भरोसे के साथ विश्वासघात से कम नहीं है।

हाई कोर्ट की दो सदस्सीय पीठ ने कहा कि छोटे बच्चों और महिलाओं की जान जाना गंभीर चिंता का विषय है, खासकर तब जब उनके जीवन को बेहद अमानवीय तरीके से समाप्त कर दिया गया है। लेकिन इसके कारण आरोपियों को निष्पक्ष सुनवाई के अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता।

जस्टिस अश्वनी कुमार मिश्रा और जस्टिस एसएएच रिजवी की खंडपीठ ने कहा, नोएडा के सेक्टर-31 में मकान संख्या डी-5 के भीतर से एकमात्र बरामदगी दो चाकू और एक कुल्हाड़ी की है, जिनका उपयोग बलात्कार, हत्या आदि के अपराध को अंजाम देने के लिए नहीं किया गया था, लेकिन आरोप है कि पीड़ितों की गला दबाकर हत्या करने के बाद शरीर के अंगों को काटने के लिए इनका इस्तेमाल किया गया था। कोर्ट ने कहा, पुलिस दोनों के खिलाफ आरोप साबित करने में विफल रही।

न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति एसएएच रिजवी की खंडपीठ ने जांच पर नाखुशी जताते हुए कहा, जांच बेहद खराब थी सबूत जुटाने की मौलिक प्रक्रिया का पूरी तरह उल्लंघन किया गया। जांच एजेंसियों की नाकामी जनता के विश्वास से धोखाधड़ी है।

हाईकोर्ट ने कहा, जांच एजेंसियों ने अंग व्यापार के गंभीर पहलुओं की जांच किए बिना एक गरीब नौकर को खलनायक की तरह पेश कर उसे फंसाने का आसान तरीका चुना। ऐसी गंभीर चूक के कारण मिलीभगत सहित कई तरह के निष्कर्ष संभव हैं।कोर्ट ने यह भी कहा कि आरोपी अपीलकर्ताओं की निचली अदालत से स्पष्ट रूप से निष्पक्ष सुनवाई का मौका नहीं मिला।

पंढेर की कोठी से हड्डी या कंकाल नहीं मिला

अदालत ने इस तथ्य पर भी गौर किया कि अभियोजन पक्ष लगातार अपना रुख बदलता रहा। पहले पंढेर और कोली पर संयुक्त रूप से आरोप लगाए। बाद में कोली पर दोष मढ़ दिया। कोर्ट ने यह भी कहा कि मानव अवशेषों की बरामदगी मकान संख्या डी-5 और डी-6 की सीमा से परे स्थित जल निकासी से हुई थी। पंढेर के घर से कोई बरामदगी नहीं की गई थी।

क्या थी वकीलों की दलील?

सीबीआई के वकील संजय यादव, मंबई से आए कोली के वकील युग चौधरी व पयोसी राय और मोनिंदर सिंह पंढेर की वकील मनीषा भंडारी ने जुलाई से चली सुनवाई के दौरान हफ्तों अपनी दलीलें पेश कीं।

कोली और पंढेर के वकीलों ने दोनों की गिरफ्तारी से लेकर सीबीआई कोर्ट के फांसी की सजा होने तक के घटनाक्रमों पर गंभीर सवाल उठाए थे। वकीलों ने पुलिस और सीबीआई की जांच, नरकंकालों की बरामदगी, हत्या में प्रयुक्त हथियारों और कोर्ट की विसंगतिपूर्ण कार्यवाही में चौंकाने वाले तथ्य सामने रखे थे।

कोली को यातनाएं देकर बयान लेने का आरोप

वकीलों ने कोली के बयान दर्ज करने के दौरान उसे अमानवीय यातनाएं देना और कोर्ट में उसके इकबालिया बयान की पेश हुई वीडियो रिकॉर्डिंग की सीडी से कोली और मजिस्ट्रेट के हस्ताक्षर गायब होने का मामला भी सामने रखा।

गौरतलब है कि सीबीआई की विशेष अदालत ने 13 फरवरी 2009 को दोनों को दुष्कर्म और हत्या का दोषी मानकर फांसी की सजा सुनाई थी। पंढेर और कोली पर 18 मासूमों और एक महिला से दुष्कर्म व हत्या का आरोप था। इस मामले अदालत में पहला केस 8 फरवरी, 2005 को दर्ज किया गया था।

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