
नई दिल्ली। देश में अंग्रेजों के जमाने से चल रहे तीन आपराधिक कानून 1 जुलाई से बदल गए हैं। जिसके तहत दिल्ली के कमला मार्केट थाने में भारतीय न्याय संहिता 2023 के तहत पहला मामला दर्ज हो गया है।
पहली FIR नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के फुटओवर ब्रिज के नीचे अवरोध पैदा करने और सामान बेचने के आरोप में एक रेहड़ी-पटरी वाले के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (BNS) 2023 की धारा 285 के तहत दर्ज हुई है।
पुराने मामले IPC के तहत निपटाए जाएंगे: स्पेशल सीपी छाया शर्मा
दिल्ली पुलिस की स्पेशल सीपी छाया शर्मा ने बताया कि पुराने मामलों को IPC के तहत निपटाया जाएगा। एक जुलाई से जब नए मामले दर्ज किए जाएंगे, तो उन पर भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धाराएं लागू होंगी।
सभी को इन धाराओं का पालन करना होगा। अब नए मामलों को BNS, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) की धाराओं के तहत निपटाया जाएगा।
तीन नए आपराधिक कानून लागू होने पर पुडुचेरी की पूर्व एलजी और पूर्व आईपीएस अधिकारी किरण बेदी ने कहा कि इससे मुझे जो सबसे बड़ा लाभ दिखाई देता है, वह यह है कि इससे पुलिस को जवाबदेही, पारदर्शिता, तकनीक, पीड़ितों के अधिकार, अदालतों में त्वरित सुनवाई, अभियुक्तों के अधिकारों के लिए पुनः प्रशिक्षण मिल रहा है।
तीन नए विधेयक
भारतीय दंड संहिता में 511 धाराएं थीं, लेकिन भारतीय न्याय संहिता में धाराएं 358 रह गई हैं। संशोधन के जरिए इसमें 20 नए अपराध शामिल किए हैं, तो 33 अपराधों में सजा अवधि बढ़ाई है।
83 अपराधों में जुर्माने की रकम भी बढ़ाई है। 23 अपराधों में अनिवार्य न्यूनतम सजा का प्रावधान है। छह अपराधों में सामुदायिक सेवा की सजा का प्रावधान किया गया है।
पहले लोकसभा और फिर राज्यसभा से मिली मंजूरी
भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम को 12 दिसंबर 2023 को केंद्र सरकार ने लोकसभा में तीन संशोधित आपराधिक विधियकों को पेश किया था। इन विधेयकों को लोकसभा ने 20 दिसंबर, 2023 को और राज्यसभा ने 21 दिसंबर, 2023 को मंजूरी दी।
राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद बने कानून
राज्यसभा में विधेयकों को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा पेश किए जाने के बाद ध्वनि मत से पारित किया गया था। इसके बाद 25 दिसंबर, 2023 को राष्ट्रपति से मंजूरी के बाद विधेयक कानून बन गए लेकिन इनके प्रभावी होने की तारीख 1 जुलाई, 2024 रखी गई।
संसद में तीनों विधेयकों पर चर्चा के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि इनमें सजा देने के बजाय न्याय देने पर फोकस किया गया है।





