कोलकाता। कोलकाता के आरजी कर अस्पताल के पूर्व प्राचार्य संदीप घोष पर भ्रष्टाचार, लावारिस शवों को बेचने और बायोमेडिकल वेस्ट के अवैध व्यापार के गंभीर आरोप लगे हैं। यह आरोप अस्पताल के पूर्व डिप्टी मेडिकल सुपरिटेंडेंट अख्तर अली ने लगाए हैं। संदीप घोष इस महीने की शुरुआत में एक जूनियर डॉक्टर के बलात्कार और हत्या मामले में CBI जांच का सामना कर रहे हैं।
अली ने बताया कि उन्होंने पिछले साल सतर्कता आयोग और भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो में शिकायत दर्ज कराई थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। उन्होंने पुलिस में भी मामला दर्ज कराने की कोशिश की, लेकिन उनकी शिकायत दर्ज नहीं की गई। अली फिलहाल मुर्शिदाबाद मेडिकल कॉलेज में डिप्टी मेडिकल सुपरिटेंडेंट के पद पर तैनात हैं।
बायोमेडिकल वेस्ट की तस्करी
अली ने बताया कि एक शिकायत बायोमेडिकल वेस्ट की तस्करी के बारे में थी। हम सभी जानते हैं कि इस्तेमाल की गई सीरिंज और उपयोग किए गए हैंड ग्लव्स जैसे मेडिकल वेस्ट का निपटान कीटाणुशोधन मानदंडों के अनुसार किया जाना चाहिए, लेकिन वह (डॉ घोष) इस सामग्री को बांग्लादेशी लोगों को बेचते थे। उन्होंने आगे कहा कि खान नाम का एक सुरक्षा अधिकारी इस तस्करी में शामिल था।
लावारिस शवों को बेचने का आरोप
अली ने डॉ संदीप घोष पर लावारिस शवों की अवैध बिक्री का भी आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि उनकी अगली शिकायत शवों की अवैध बिक्री को लेकर थी। फोरेंसिक मेडिसिन हेड से शिकायत की थी।
परिवार के सदस्यों (जिनके शव कथित तौर पर उन्होंने बेचे थे) ने भी शिकायत की थी। एक राष्ट्रीय आयोग ने उन्हें तलब किया था। अली ने अपनी बात पूरी करते हुए कहा कि तलब के बाद भी कुछ नहीं हुआ।
ठेके देने के लिए 20 प्रतिशत रिश्वत
अली ने डॉ घोष पर काम के ऑर्डर या ठेके देने के लिए 20 प्रतिशत रिश्वत लेने और जानबूझकर छात्रों को फेल करने का भी आरोप लगाया। अली ने पहले कहा था कि वह (डॉ घोष) एक माफिया व्यक्ति की तरह था। उन्होंने आगे बताया कि ये सारे आरोप मैंने लगाए थे लेकिन अधिकारियों ने कोई कार्रवाई नहीं की।
कल रात मैं एक पुलिस स्टेशन गया लेकिन उन्होंने एफआईआर दर्ज करने से इनकार कर दिया। कहा कि उन्होंने संदीप घोष के खिलाफ कलकत्ता हाईकोर्ट में एक आपराधिक मामला भी दायर किया है। उन्होंने बताया कि इस मामले की सुनवाई जल्द हो सकती है।
संदीप घोष पर भ्रष्टाचार के आरोप भी लगाए
पिछले दिनों मीडिया से बात करते हुए अली ने अपने पूर्व बॉस के बारे में यह भी कहा था कि वह बहुत भ्रष्ट व्यक्ति हैं। घोष के पास एक बड़ा सुरक्षा दस्ता हुआ करता था। वह बहुत शक्तिशाली हैं। डॉ घोष अपनी जूनियर सहयोगी के बलात्कार और हत्या मामले को लेकर भी विवादों के घेरे में हैं।
युवती का शव मिलने के कुछ दिनों बाद उन्होंने एक अभिभावक के रूप में नैतिक जिम्मेदारी के आधार पर इस्तीफा दे दिया था। हालांकि इस्तीफे के कुछ ही घंटों के भीतर उन्हें कलकत्ता नेशनल मेडिकल कॉलेज का प्रमुख नियुक्त कर दिया गया।
हाईकोर्ट ने उन्हें ‘लंबी छुट्टी’ पर जाने का निर्देश दिया
उनकी नियुक्ति पर हाईकोर्ट ने सवाल उठाए और उन्हें ‘लंबी छुट्टी’ पर जाने का निर्देश दिया। मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवज्ञानम की अगुवाई वाली बेंच ने कहा कि अगर प्रिंसिपल ने नैतिक जिम्मेदारी के कारण पद छोड़ा है, तो यह और भी गंभीर है कि उन्हें 12 घंटे के भीतर दूसरी नियुक्ति देकर पुरस्कृत किया जाता है।
उन्हें घर पर रहना चाहिए। कहीं और काम नहीं करना चाहिए। अदालत ने यह भी सवाल उठाया कि क्या सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस डॉ घोष को बचा रही है।
डॉ घोष से CBI पूछताछ कर रही
तब से डॉ घोष से CBI पूछताछ कर रही है। हाईकोर्ट के निर्देश पर सीबीआई ने यह मामला अपने हाथ में लिया है। जांच एजेंसी पिछले कुछ दिनों में उनसे (डॉ घोष) 60 घंटे से ज्यादा समय तक पूछताछ कर चुकी है। सुप्रीम कोर्ट ने भी आरजी कर से इस्तीफा देने के तुरंत बाद उनकी दोबारा नियुक्ति पर सवाल उठाया है।
शीर्ष अदालत ने उनसे और अस्पताल प्रशासन से 9 अगस्त की सुबह युवती का गंभीर रूप से घायल शव मिलने के बाद पुलिस में मामला दर्ज करने में देरी पर भी सवाल किए हैं।
विशेष पुलिस टीम के गठन का आदेशइस बीच इन आरोपों के बावजूद राज्य की ओर से उन्हें समर्थन देने के आरोपों के बीच मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की सरकार ने इन दावों की जांच के लिए एक विशेष पुलिस टीम के गठन का आदेश दिया है। मृतका की पहचान उजागर करने के आरोप में भी डॉ घोष पर मुकदमा चलाया जा सकता है।