लखनऊ। अयोध्या के मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर उपचुनाव की घोषणा के साथ ही भाजपा में टिकट को लेकर होड़ मच गई है। वैसे तो टिकट के लिए एक दर्जन से अधिक लोगों ने दावेदारी की है, लेकिन भाजपा को किसी नए चेहरे की तलाश है।
पार्टी स्तर पर प्रत्याशी चयन को लेकर मंथन शुरू हो गया है। पार्टी नेतृत्व और जिला प्रभारी मंत्री के अलावा उपचुनाव में लगाए गए मंत्रियों के बीच मंथन हो रहा है।
मिल्कीपुर सीट पर 5 फरवरी को मतदान होना है। लिहाजा, पार्टी स्तर पर ऐसे प्रत्याशियों के चयन को लेकर मंथन किया जा रहा है, जिसकी जीत पर संशय न हो।
सूत्रों के मुताबिक, अब तक टिकट की दौड़ में पूर्व विधायक गोरखनाथ बाबा सबसे आगे हैं। गोरखनाथ बाबा 2017 में इस सीट से विधायक रह चुके हैं। हालांकि, 2022 में वह हार गए थे। इनके अलावा नौकरशाह व उप परिवहन आयुक्त सुरेंद्र रावत भी दावेदारों में शुमार हैं।
गैरविवादित नए चेहरे पर दांव
सूत्रों का कहना है कि संगठन और सरकार के कई नेता मिल्कीपुर में गैरविवादित नए चेहरे को उतारने के पक्षधर हैं। इसलिए सुरेंद्र सिंह रावत को गंभीर दावेदार माना जा रहा है।
दावेदारों में पूर्व विधायक रामू प्रियदर्शी भी हैं। ये 1991 में सोहवल से विधायक रहे हैं और 2012 में भाजपा ने इन्हें मिल्कीपुर से चुनाव लड़ाया था, लेकिन हार गए थे।
क्यों अहम है मिल्कीपुर सीट?
लगातार तीन बार से जिला संगठन में महामंत्री रहे राधेश्याम त्यागी भी दावेदारों में हैं। अन्य दावेदारों में भाजपा के प्रदेश अनुसूचित मोर्चा के कोषाध्यक्ष चंद्रकेश रावत के नाम की भी चर्चा है। बता दें कि हाल में नौ विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव में भाजपा ने सात सीटें जीती हैं।
इनमें मिल्कीपुर से सटे अंबेडकरनगर की कटेहरी और मुरादाबाद की कुंदरकी सीट पर तीन दशक बाद जीत मिलना चमत्कार से कम नहीं है। ऐसे में लोकसभा चुनाव में अयोध्या सीट हार चुकी भाजपा के लिए मिल्कीपुर सीट जीतना अहम माना जा रहा है।
इनके नाम की भी है चर्चा
उपचुनाव के लिए भाजपा के कई स्थानीय पदाधिकारियों ने दावेदारी की है। हालांकि चंद्रभानु पासवान, पूर्व ब्लाक प्रमुख विनय कुमार रावत, सियाराम रावत, विजय बहादुर फौजी, काशीराम पासी, शांति पासी और बाराबंकी की जिला पंचायत सदस्य नेहा आनंद सिंह ने भी टिकट के लिए दावेदारी कर रखी है।