
श्रीनगर। पहलगाम आतंकी हमले में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) को बड़ी कामयाबी मिली है। नरसंहार के ठीक दो महीने बाद NIAने तस्वीर साफ कर दी कि हमले में स्थानीय लोगों का ही सहयोग था।
रविवार को NIA ने पहलगाम के रहने वाले आतंकियों के दो मददगारों को गिरफ्तार किया, जिन्होंने हमले से पहले तीन पाकिस्तानी आतंकियों के लिए खाने, रहने की जगह और रेकी में मदद दी थी।
पूछताछ में दोनों आरोपितों ने कुबूला कि पर्यटकों को चुन-चुनकर मारने वाले तीनों पाकिस्तानी आतंकी लश्कर-ए-तैयबा के थे। दोनों से अभी भी पूछताछ जारी है। उनके मोबाइल फोन व अन्य उपकरणें की जांच के बाद NIA को कई सुराग मिले हैं।
सुरक्षा एजेंसियों ने जाहिर की थी आशंका
हमले के बाद सुरक्षा एजेंसियों ने आशंका जाहिर की थी कि हमले में स्थानीय का ही सहयोग है। इस पर कश्मीर केंद्रित दलों ने खूब सियासत भी की थी।
बता दें कि 22 अप्रैल को पहलगाम से छह किलोमीटर दूर बैसरन क्षेत्र में आतंकियों ने 25 पर्यटकों और एक स्थानीय घोड़ेवाले की हत्या की थी।
हमले के बाद आतंकी वहां से भाग निकले थे।सुरक्षा एजेंसियों ने दावा किया कि हमले में पांच आतंकी शामिल हैं, जिनमें दो स्थानीय और पाकिस्तानी थे।
पहलगाम हमले के बाद ही भारत ने पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों को नष्ट करने के लिए ऑपरेशन सिंदूर भी चलाया।नरसंहार की जांच NIA को सौंपने के बाद हर पहलू की बारीकी से जांच की।
हालांकि, NIAको पहले ही पता था कि इस मामले में स्थानीय ही कोई मदद करने वाला हो सकता है। छोटी-छोटी हर कड़ी को जोड़ कर NIA टीम मददगारों तक जा पहुंची।
NIA टीम ने परवेज अहमद जोथड़ निवासी बटकोट, पहलगाम और बशीर अहमद जोथड़ निवासी हिलपार्क, पहलगाम नाम के दोनों आतंकी मददगारों को उनके ठिकाने से दबोचा।बताया जाता है कि हमले के बाद दोनों अपने ठिकाने बदल रहे थे।
पूछताछ में दोनों ने राजफाश किया कि पहलगाम नरसंहार से पहले लश्कर के तीन आतंकियों को एक ढोक (झोपड़ी) में ठहराया और राशन-पानी व अन्य साजो-सामान भी उपलब्ध कराया था।
हमले से कुछ समय पहले तक तीनों आतंकी ढोक में छिपे थे। यहीं पर उन्होंने पूरी नरसंहार की योजना बनाई।
हमले के बाद आतंकी किसी अन्य ठिकाने की तरफ चले गए। हिलपार्क पहाड़ी और बैसरन में लगभग डेढ़ किलोमीटर दूर है।
पूछताछ में यह भी पता लगाया जा रहा कि क्या पूर्व में भी दोनों आतंकी मददगार कभी आतंकियों के लिए काम करते थे या पहली बार ही किसी आतंकी गतिविधि में शामिल हुए हैं।
आरोपितों को अदालत में पेश किया गया
NIAने दोनों आरोपितों को गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 1967 की धारा 19 के तहत गिरफ्तार किया है।
कोर्ट में पेशी के बाद दोनों को रिमांड पर लेकर उनसे हमले की साजिश, आतंकी संगठनों से उनके संबंध और आतंकवादियों को मदद देने के अन्य मामलों की जानकारी ली जाएगी।
इसके साथ ही, पाकिस्तानी आतंकवादियों के सहयोग और सहायता का भी पता लगाया जाएगा। पूछताछ के दौरान, NIA ने आरोपितों के मोबाइल फोन और अन्य डिजिटल उपकरणों की बरामदगी कर उनकी जांच की।
इन उपकरणों में संदिग्ध कॉल्स, मैसेजेस और अन्य सूचनाओं को खंगाला, जिससे आतंकवादी नेटवर्क के अन्य सदस्यों की पहचान की जा सके। इसके अलावा, आतंकियों के पाकिस्तान से संपर्कों के कई सुराग मिले।
250 संदिग्ध तत्वों से की पूछताछ
संबंधित अधिकारियों ने बताया कि पहलगाम नरसंहार के बाद NIA समेत विभिन्न सुरक्षा एजेंसियों ने पहलगाम और उसके आसपास के इलाकों समेत पूरी वादी में 250 संदिग्ध तत्वों से पूछताछ की। इनमें बड़ी संख्या में पूर्व आतंकी और उनके पुराने मददगार शामिल थे।
इनमें से लगभग 100 तत्वों को जन सुरक्षा अधिनियम के तहत बंदी भी बनाया गया।हमले में लिप्त प्रत्येक आतंकी पर 20 लाख रुपये का इनाम घोषित किया गया है।
दो आतंकी मददगारों का पकड़ा जाना इस मामले की अब तक की सबसे बड़ी सफलता है। हमले को अंजाम देने वाले तीन आतंकी अभी फरार है।
NIA अधिकारियों का मानना है कि स्थानीय सहयोगियों की गिरफ्तारी से आतंकियों का पता लगाना अब आसान होगी।
एजेंसी ने स्थानीय सुरक्षाबलों के साथ मिलकर आतंकियों की खोज और उनकी धरपकड़ के लिए विशेष अभियान चलाए हैं। NIA को आशंका है कि तीनों आतंकी कश्मीर में छिपे हैं।
NIA ने सुरक्षा व्यवस्था किया मजबूत
NIA ने भविष्य में ऐसे आतंकी हमले रोकने के लिए आतंकियों के सपोर्ट नेटवर्क को खत्म करने के लिए भी कदम बढ़ाए हैं। पिछले कुछ समय से लगातार सुरक्षाबल आतंकी मददगारों को पकड़ रहे हैं।