
न्यूयॉर्क। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने भारत पर यूक्रेन युद्ध की फंडिंग करने का आरोप लगाया था लेकिन यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने बचाव करते हुए ट्रंप के दावों की पोल खोल दी है। जेलेंस्की ने यूरोप से भारत के साथ संबंधों को मजबूत करने की अपील की, न कि दूरी बनाने की। संयुक्त राष्ट्र महासभा के 80वें सत्र में यह कूटनीतिक टकराव खुलकर सामने आया।
‘भारत तो हमारे साथ ही है…’
राष्ट्रपति जेलेंस्की ने ट्रंप ने भारत और चीन को रूस के तेल आयात के जरिए युद्ध को बढ़ावा देने का दोषी ठहराया। जेलेंस्की ने ट्रंप की आलोचना का जवाब देते हुए कहा, “नहीं, भारत ज्यादातर हमारे पक्ष में है।”
उन्होंने स्वीकार किया कि ऊर्जा के मुद्दे पर कुछ समस्याएं हैं, लेकिन इन्हें हल किया जा सकता है। भारत ने रूस से तेल खरीद को राष्ट्रीय ऊर्जा सुरक्षा और आर्थिक हितों के लिए जरूरी बताया है।
चीन से जंग खत्म करवाने की अपील
जेलेंस्की ने चीन से अपील की है कि वह रूस पर हमले रोकने के लिए दवाब बनाए। चीन इस संघर्ष में पक्ष नहीं है, लेकिन कीव लंबे समय से शिकायत करता रहा है कि बीजिंग ने मास्को को ऐसे हथियार दिए हैं, जिनका इस्तेमाल यूक्रेन के खिलाफ युद्ध में किया जा सकता है और वह रूसी ऊर्जा खरीदता रहा है। जेलेंस्की ने कहा, “चीन का भी यहां प्रतिनिधित्व है, जो एक शक्तिशाली राष्ट्र है और रूस अब पूरी तरह से इस पर निर्भर है।”
उन्होंने कहा, “अगर चीन सचमुच इस युद्ध को रोकना चाहता है, तो वह मास्को पर आक्रमण रोकने के लिए दबाव डाल सकता है। चीन के बिना पुतिन का रूस कुछ भी नहीं है। फिर भी, चीन अक्सर शांति के लिए सक्रिय होने के बजाय चुप और दूर रहता है।”
क्या बोले ट्रंप?
ट्रंप ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में भारत और चीन को निशाना बनाते हुए कहा कि ये देश रूसी तेल खरीदकर यूक्रेन युद्ध को फंड कर रहे हैं। उन्होंने NATO देशों पर भी कथित पाखंड का आरोप लगाया और चेतावनी दी कि अगर रूस को शांति वार्ता के लिए मजबूर नहीं किया गया, तो अमेरिका मॉस्को के साथ व्यापार करने वाले देशों पर भारी टैरिफ लगाएगा।
भारत ने अपने तेल आयात का बचाव करते हुए कहा कि यूरोपीय देश भी समान लेनदेन कर रहे हैं, फिर भी भारत को चुनिंदा निशाना बनाया जा रहा है। यह दोहरा मापदंड भारत की ओर से बार-बार उठाया गया मुद्दा है।
‘हमें भारतीयों से पीछे नहीं हटना चाहिए’
जेलेंस्की ने भारत को अलग-थलग करने को गलती बताते हुए यूरोप से नई दिल्ली के साथ मजबूत रिश्ते बनाने की वकालत की। उन्होंने कहा, “हमें भारतीयों से पीछे नहीं हटना चाहिए।”
उनका यह बयान ट्रंप की आलोचना के ठीक उलट था, जो भारत को रूस के साथ व्यापार के लिए दंडित करने की बात कर रहे थे। इस बीच, अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने तनाव कम करने की कोशिश की।