
नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने सर्वसम्मति से रेपो रेट को 5.5% पर बरकरार रखने का फैसला किया है। RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा ने बुधवार को MPC की तीन दिन चली बैठक के बाद इस फैसले की जानकारी दी। RBI गवर्नर ने कहा है कि अनुकूल मानसून, कम मुद्रास्फीति और मौद्रिक नरमी से आर्थिक वृद्धि की संभावना मजबूत बनी हुई है।
RBI गवर्नर बोले- GST में सुधारों से महंगाई पर पड़ेगा असर
RBI गवर्नर ने MPC के फैसलों का एलान करते हुए कहा कि GST को युक्तिसंगत बनाने से महंगाई पर मजबूत असर पड़ेगा। इसके साथ ही साथ ही उपभोग और विकास को प्रोत्साहन मिलेगा।
संजय मल्होत्रा ने कहा कि मौद्रिक नीति समिति ने नीतिगत दर को 5.5 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखने का निर्णय लिया। उन्होंने कहा कि MPC ने मौद्रिक नीति रुख को ‘तटस्थ’ पर अपरिवर्तित रखने का फैसला किया है।
टैरिफ के कारण दूसरी छमाही में थम सकती है विकास दर
अक्तूबर महीने की MPC बैठक के फैसलों के बारे में बताते हुए केंद्रीय बैंक के गवर्नर ने कहा कि इस वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में घरेलू आर्थिक गतिविधियां गतिमान बनी रहेंगी। हालांकि उन्होंने आशंका जताई कि टैरिफ संबंधी घटनाक्रम से इस वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में विकास दर में कमी आ सकती है।
मल्होत्रा ने बताया कि GST और अन्य सुधार आर्थिक विकास पर बाहरी कारकों के प्रभाव को कुछ हद तक कम कर देंगे। RBI गवर्नर ने कहा कि मजबूत रेमिटेंस के कारण जारी वित्त वर्ष में चालू खाता घाटा टिकाऊ रहने की उम्मीद है।
नीतिगत दरों में फरवरी 2025 से 100 आधार अंकों की हुई कटौती
फरवरी 2025 से RBI नीतिगत दरों में 100 आधार अंकों की कटौती कर चुका है। जून में अपनी पिछली नीति समीक्षा में, उसने रेपो दर को 50 आधार अंकों की कटौती करके 5.5 प्रतिशत कर दिया था।
सरकार ने केंद्रीय बैंक को यह सुनिश्चित करने का काम सौंपा है कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) आधारित खुदरा मुद्रास्फीति 2 प्रतिशत के मार्जिन के साथ 4 प्रतिशत पर बनी रहे।
MPC की सिफारिश के आधार पर, RBI ने खुदरा मुद्रास्फीति में कमी के बीच फरवरी और अप्रैल में रेपो दर में 25 आधार अंकों की कटौती की तथा जून में 50 आधार अंकों की कटौती की। इस साल फरवरी से खुदरा मुद्रास्फीति 4 प्रतिशत से नीचे चल रही है। खाद्य कीमतों में कमी और अनुकूल आधार प्रभाव के कारण अगस्त में यह छह साल के निचले स्तर 2.07 प्रतिशत पर आ गई।