
देहरादून। उत्तराखंड में अब लिव इन में रहने वाले युगल की गोपनीयता और बढ़ाई गई है। इसके तहत अब लिव इन इनमें रहने वाले युगल के माता-पिता को इन संबंधों की जानकारी देने की बाध्यता को समाप्त कर दिया गया है।
पुलिस को भी इनकी सूचना केवल जानकारी के लिए ही दी जाएगी। लिव इन संबंधों की समाप्ति पर युवती के गर्भवती होने अथवा बच्चे होने की सूचना देना अनिवार्य नहीं होगा।
लिव इन में रहने वालों को मकान मालिक से प्रमाण पत्र लेना भी जरूरी नहीं होगा। साथ ही नियमावली से अब वैवाहिक पंजीकरण के लिए आधार कार्ड की अनिवार्यता को हटा दिया गया है।
प्रदेश में इस वर्ष फरवरी से समान नागरिक संहिता लागू हो चुकी है। इसके क्रियान्वयन के लिए नियमावली भी बनाई गई है।
इस नियमावली के कई प्रावधानों पर निजता के अधिकारों का उल्लंघन हो रहा था। इस पर कई व्यक्तियों ने हाईकोर्ट में दस्तक दी थी।
हाईकोर्ट के निर्देशों के क्रम में गृह विभाग ने अब इस नियमावली में संशोधन कर दिया है। इसे समान नागरिक संहिता चतुर्थ संशोधन नियमावली नाम दिया गया है।
इसकी अधिसूचना जारी कर दी गई है। इसमें विवाह पंजीकरण व लिव इन संबंधी कई अहम संशोधन किए गए हैं।
लिव इन के लिए किए गए संशोधन
– 21 वर्ष से कम उम्र वाले बालिगों के माता-पिता या अभिभावकों को सूचना देना जरूरी नहीं।
– विवाह पंजीकरण के बाद किए गए धर्म परिवर्तन की सूचना देना जरूरी नहीं
– लिव इन में धर्म परिवर्तन की जानकारी देना आवश्यक- लिव इन में अब पांच दिनों के स्थान पर पंजीकरण अधिकारी 24 घंटे में मांगेगे वांछित जानकारी
– लिव इन में आने के लिए मृतक पत्नी अथवा पूर्व सहवासी के बारे में जानकारी देना स्वैच्छिक
– लिव इन के दौरान अपनी जातियों से संबंधित जानकारी देना ऐच्छिक
– लिव इन में धर्म गुरूओं से प्रमाण पत्र लेने की बाध्यता नहीं- लिव इन में पंजीकरण के लिए आधार नंबर के ओटीपी को भरने की अनिवार्यता भी समाप्त
– लिव इन में पुलिस द्वारा जांच की व्यवस्था की व्यवस्था समाप्त
अब विवाह पंजीकरण पर ये दस्तावेज भी मान्य
अब विवाह पंजीकरण के लिए आधार कार्ड के साथ ही पासपोर्ट, वोटर आइडी, राशन कार्ड, पैन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस व केंद्र या राज्य सरकारी जारी वैध अन्य पहचान पत्रों का भी इस्तेमाल किया जा सकेगा। इसके लिए नियमावली में संशोधन कर दिया गया है।





