
नई दिल्ली। कर्नाटक की कांग्रेस सरकार में मुख्यमंत्री पद को लेकर चल रही रस्साकशी अब नई दिल्ली हाईकमान तक पहुंच गई है। चर्चा ज्यादा तेज तब हो गई जब कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार के समर्थन में एक और विधायकों का समूह नई दिल्ली के लिए रवाना हुआ है।
सूत्रों की माने तो ये दल रविवार रात नई दिल्ली पहुंच भी गए। इस दल में कम से कम छह विधायक शामिल है। सूत्रों का तो ये भी मानना है कि कुछ और विधायक भी जल्द दिल्ली जा सकते हैं ताकि शिवकुमार को मुख्यमंत्री बनाने का मुद्दा पार्टी के शीर्ष नेताओं के सामने रखा जा सके।
बता दें कि कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने 20 नवंबर को अपने पांच साल के कार्यकाल का आधा समय पूरा किया। इसी बीच, मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और शिवकुमार के बीच कथित ‘पावर शेयरिंग’ समझौते की बातें भी सामने आई हैं। ऐसे में चर्चा तेज हो गई कि क्या अब डीके शिवकुमार को अगले ढाई साल के लिए मुख्यमंत्री पद दिया जा सकता है।
कौन-कौन नेता नई दिल्ली पहुंचे?
अब बात अगर नई दिल्ली पहुंचे कांग्रेस विधायकों की करे तो नई दिल्ली पहुंचे विधायकों में एचसी बालकृष्णा (मगड़ी), केएम उदय (मद्दुर), नयना मोतम्मा (मुडिगेरे), इकबाल हुसैन (रमणगर), शरथ बचेगौड़ (होसकोटे) और शिवगंगा बसवराज (चनागिरी) शामिल हैं।
कहां हैं खरगे और राहुल गांधी?
पार्टी में चल रही इस रस्साकशी के बीच कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, अभी बंगलूरू में हैं। हालांकि जल्दी ही दिल्ली जाने वाले हैं। वहीं, पार्टी के शीर्ष नेता राहुल गांधी भी जल्दी विदेश से लौट सकते हैं।
ध्यान रहे कि पिछले हफ्ते भी लगभग दस विधायक शिवकुमार के समर्थन में दिल्ली गए थे और खरगे से मिले थे। हालांकि शिवकुमार ने तब कहा था कि उन्हें विधायक दिल्ली जाने की जानकारी नहीं थी।
सिद्धारमैया और खरगे के बीच मैराथन मंथन
इसी बीच शिवकुमार के समर्थक विधायकों के दिल्ली जाने के बाद, मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने शनिवार को खरगे के साथ बंगलूरू में एक घंटे से ज्यादा लंबी बैठक की।
सूत्रों के अनुसार, सिद्धारमैया कैबिनेट में फेरबदल चाहते हैं, जबकि शिवकुमार पहले पार्टी के अंदर मुख्यमंत्री पद पर निर्णय होने की मांग कर रहे हैं।
गौरतलब है कि पार्टी के कई अंदरूनी सूत्रों का यह भी कहना है कि अगर कांग्रेस हाई कमांड कैबिनेट फेरबदल को मंजूरी देती है, तो इसका मतलब होगा कि सिद्धारमैया पूरे पांच साल का कार्यकाल पूरा करेंगे और इससे शिवकुमार के मुख्यमंत्री बनने के मौके कम हो जाएंगे।





