
नई दिल्ली। आमतौर पर माना जाता है कि हाई फैट और सोडियम वाला पनीर सेहत के लिए ठीक नहीं है, क्योंकि यह कोलेस्ट्रॉल और ब्लड प्रेशर बढ़ा सकता है, लेकिन हाल ही में हुए एक बड़े शोध ने इस धारणा को चुनौती दी है।
स्वीडन के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए एक अध्ययन में यह चौंकाने वाली बात सामने आई है कि उच्च वसा वाले डेयरी उत्पाद, जैसे कि चेडर, ब्री और गौडा पनीर, डिमेंशिया (भूलने की बीमारी) के खतरे को कम करने में मददगार हो सकते हैं।
25 वर्षों तक चला व्यापक शोध
यह अध्ययन प्रतिष्ठित जर्नल ‘न्यूरोलॉजी’ में प्रकाशित हुआ है। स्वीडन की लुंड यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने 27,670 लोगों के स्वास्थ्य डेटा का गहराई से विश्लेषण किया।
- अध्ययन की शुरुआत में इन लोगों की औसत आयु 58 वर्ष थी।
- शोधकर्ताओं ने इन लोगों का औसतन 25 वर्षों तक फॉलोअप किया।
- इस लंबी अवधि के दौरान, कुल 3,208 लोगों में डिमेंशिया विकसित हुआ।
हाई-फैट पनीर और डिमेंशिया के बीच संबंध
अध्ययन के परिणामों से पता चला कि जो लोग ज्यादा मात्रा में हाई फैट वाला पनीर खाते थे, उनमें डिमेंशिया होने का खतरा कम पाया गया।
13% कम जोखिम
कम पनीर खाने वालों की तुलना में, हाई-फैट पनीर का अधिक सेवन करने वालों में डिमेंशिया का खतरा 13 प्रतिशत कम देखा गया।
वास्कुलर डिमेंशिया में बड़ी राहत
जब शोधकर्ताओं ने डिमेंशिया के विशेष प्रकारों पर ध्यान दिया, तो पाया कि हाई-फैट पनीर खाने वालों में वास्कुलर डिमेंशिया का खतरा 29 प्रतिशत तक कम था।
क्रीम का असर
सिर्फ पनीर ही नहीं, बल्कि दैनिक रूप से हाई-फैट क्रीम (जैसे व्हिपिंग क्रीम और क्लाटेड क्रीम) का सेवन करने वालों में भी डिमेंशिया का खतरा 16% कम पाया गया।
अल्जाइमर और जेनेटिक्स का कनेक्शन
अध्ययन में अल्जाइमर रोग को लेकर भी महत्वपूर्ण जानकारी मिली। शोध के अनुसार, हाई-फैट पनीर खाने से अल्जाइमर का खतरा भी कम होता है, लेकिन यह लाभ केवल उन लोगों में देखा गया जिनमें APOE-e4 जीन वेरिएंट नहीं था। बता दें कि यह जीन अल्जाइमर के लिए एक प्रमुख आनुवंशिक जोखिम कारक माना जाता है।





