मकर संक्रांति पर खिचड़ी खाने का क्या है महत्व और लाभ, यहां जानें

नई दिल्ली। सनातन धर्म में मकर संक्रांति का पर्व बहुत महत्वपूर्ण है। इस साल यह त्योहार 15 जनवरी को मनाया जाएगा। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, सूर्य जब मकर राशि में जातें हैं तो उसे मकर संक्रांति कहते हैं।

इस बार सूर्य और शनि का मिलन भी हो रहा है। ऐसे में यह संक्राति और भी खास रहेगी। क्योंकि, शनि भी मकर राशि में प्रवेश करेंगे। इस दिन दान पुण्य करने और खिचड़ी खिलाने का विशेष महत्व हैं।

मकर संक्रांति पर खिचड़ी का महत्व

ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक मकर संक्रांति पर जो खिचड़ी बनाई जाती है उसका संबंध किसी न किसी ग्रह से रहता है। जैसे खिचड़ी में इस्तेमाल होने वाले चावल का संबंध चंद्रमा से होता है। खिचड़ी में डाली जाने वाली उड़द की दाल का संबंध शनिदेव, हल्दी का संबंध गुरु देव से और हरी सब्जियों का संबंध बुधदेव से माना गया है। खिचड़ी में देशी घी का संबंध सूर्यदेव से होता है। इसीलिए मकर संक्रांति की खिचड़ी को बेहद खास माना जाता है।

मकर संक्रांति पर खिचड़ी खाने के साथ साथ किसी ब्राह्मण को दान भी जरूर करें। उन्हें घर बुलाकर खिचड़ी का सेवन करें इसके बाद कच्चे दाल, चावल, हल्दी, नमक, हरी सब्जियों का दान भी जरुर करें। मान्यता है कि खिचड़ी खाने से आरोग्य में वृद्धि होती है।

मकर संक्रांति की पूजा विधि

इस दिन भगवान सूर्य के साथ-साथ भगवान विष्णु की भी पूजा अर्चना करनी चाहिए। यह पर्व भगवान सूर्य नारायण को समर्पित है। इस दिन सूर्य देव को तांबे के लोटे में जल भरकर उसमें गुड, गुलाब की पत्तियां डालकर अर्घ्य दें।

इस दिन गुड़, तिल और खिचड़ी का सेवन भी जरूर करें। साथ ही गरीबों को भी कुछ दान जरुर दें। इस दिन गायत्री मंत्र का जप करना बहुत ही शुभ रहेगा। इस दिन भगवान सूर्य नारायण के मंत्रों का भी जप करना चाहिए।

कैसे शुरू हुई खिचड़ी की परंपरा

कई मान्यताओं के अनुसार, खिलजी से युद्ध के दौरान नाथ योगी बहुत कमजोर हो गए और भूख के कारण उनकी तबीयत बिगड़ने लगी। तब गोरखनाथ ने दाल चावल और सब्जी को एक साथ पकाकर सभी को खिलाई। जिससे नाथ योगियों को तुरंत ऊर्जा मिली साथ ही उनकी सेहत में भी सुधार हुआ। तभी से खिचड़ी बनाने की परंपरा चली आ रही है।

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